1. ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स 2023
ग्लोबल फायरपावर रिपोर्ट 2023 में भारत को दुनिया की चौथी सबसे शक्तिशाली सेना के रूप में स्थान दिया है।
खबर का अवलोकन
ग्लोबल फायरपावर रिपोर्ट में इस वर्ष 145 देशों को स्थान दिया गया है I
ग्लोबल फायरपावर सेना की संख्या, राष्ट्रीय संसाधन, वित्तीय स्थिति, लॉजिस्टिक और भौगोलिक पैमाने के आधार पर देशों को रैंक करता है।
दुनिया में सबसे शक्तिशाली देश संयुक्त राज्य अमेरिका है, जिसके बाद रूस, चीन, भारत का स्थान आता है।
मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीकी क्षेत्र का सबसे ताकतवर देश
ग्लोबल फायरपावर मिलिट्री इंडेक्स 2023 के अनुसार, तुर्की एक बार फिर मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीकी क्षेत्र का सबसे ताकतवर देश बनकर उभरा है I तुर्की को वैश्विक रैंकिंग में 11वें स्थान पर रखा गया है I
इस इंडेक्स में मिस्र और ईरान को क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रखा गया है I जबकि वैश्विक रैंकिंग में मिस्र 14वें और ईरान को 17वें स्थान पर रखा गया है I
मिस्र को अपनी सैन्य शक्ति के मामले में सबसे शक्तिशाली अरब देश के रूप में स्थान दिया गया है I
खाड़ी सहयोग परिषद देशों में सऊदी अरब सबसे शक्तिशाली देश के रूप में उभरा औरसऊदी अरब के पास अरब देशों में दूसरी सबसे शक्तिशाली सेना है I इसको वैश्विक रैंकिंग में 22वें स्थान पर रखा गया है I
उत्तरी अफ्रीकी देशों में अल्जीरिया को सबसे शक्तिशाली है इसको वैश्विक सूचकांक में 26वें स्थान पर रखा गया है I
इस सूचकांक में लेबनान को मध्यपूर्व का सबसे कमजोर देश बताया गया है I
ग्लोबल पावर इंडेक्स 2023 पर शीर्ष 10 देश
1. अमेरिका
2. रूस
3. चीन
4. भारत
5. यूनाइटेड किंगडम
6. दक्षिण कोरिया
7. पाकिस्तान
8. जापान
9. फ्रांस
10. इटली
2. शाहरुख खान दुनिया के सबसे अमीर एक्टर्स की लिस्ट में चौथे पायदान पर
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वर्ल्ड ऑफ स्टैटिस्टिक्स के ट्विटर अकाउंट पर दुनिया के सबसे अमीर अभिनेताओं की सूची जारी की गई, जिसमें भारतीय अभिनेता शाहरुख खान हॉलीवुड स्टार टॉम क्रूज को पीछे छोड़कर दुनिया के सबसे अमीर अभिनेता बन गए हैं।
बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान इस लिस्ट में इंडिया के अकेले एक्टर है जिनकी कुल संपत्ति 770 मिलियन डॉलर यानी 6 हजार 300 करोड़ रुपए से ज्यादा है।
इस लिस्ट में जेरी सीनफेल्ड को पहले नंबर रखा गया है।
शाहरुख खान ने टॉम क्रूज और जैकी चैन को भी पीछे छोड़ दिया है।
हॉलीवुड स्टार जैकी चैन 520 मिलियन डॉलर की कमाई के साथ लिस्ट में छठे नंबर पर हैं।
दुनिया के 5 सबसे अमीर अभिनेता
1. जेरी सीनफेल्ड (अमेरिकी) –(8200 करोड़ रुपये)
2. टायलर पेरी (अमेरिकी) – (8200 करोड़ रुपये)
3. डेन जॉनसन (अमेरिकी) – (6500 करोड़)
4. शाहरुख खान (भारतीय) – (6300 करोड़)
5. टॉम क्रूज (अमेरिकी) – (5900 करोड़)
3. भारत के सबसे अमीर 1% के पास कुल संपत्ति का 40% से अधिक : ऑक्सफैम
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ऑक्सफैम इंटरनेशनल की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत की कुल संपत्ति के 40 फीसदी से अधिक हिस्से पर देश के महज एक फीसदी सबसे दौलतमंद लोगों का कब्जाहै, जबकि 50 फीसदी आबादी के पास देश कुल संपत्ति का सिर्फ तीन फीसदी हिस्सा ही है I
खबर का अवलोकन
रिपोर्ट के अनुसार देश में कोरोना महामारी की शुरुआत से लेकर नवंबर 2022 के दौरान देश के अरबपतियों की दौलत में 121 फीसदी का इजाफा हुआ है I
देश में कुल अरबपतियों की संख्या 2020 में 102 से बढ़कर 2022 में 166हो चुकी है I
रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 100 सबसे अमीर लोगों की कुल दौलत बढ़कर 660 अरब अमेरिकी डॉलर यानी करीब 54.12 लाख करोड़ रुपये हो गयी है I
रिपोर्ट के अनुसार 2021-22 के दौरान गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) के जरिए जुटाए गए 14.83 लाख करोड़ रुपये में देश के 10 फीसदी सबसे अमीर लोगों का योगदान महज 3 फीसदी रहा I
जबकि इसमें करीब 64 फीसदी योगदान आर्थिक हैसियत के लिहाज से देश के सबसे कमजोर 50 फीसदी तबके से आने वाले लोगों ने दिया है I
ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने कहा कि भारत के दस सबसे अमीरों पर 5 प्रतिशत टैक्स लगाने से बच्चों को स्कूल वापस लाने के लिए पूरा पैसा मिल सकता है I
4. पिछले 20 सालों में 1668 पत्रकार मारे गए : रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स
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31 दिसंबर 2022 को प्रकाशित रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) की वर्ष के अंत की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो दशकों (2003-2022) में पत्रकारिता के अपने काम के सिलसिले में दुनिया भर में कुल 1,668 पत्रकारों की हत्या की गई है। मौतके मुख्य कारणहत्याएं, संविदा हत्याएं, घात लगाकर हमला करना, युद्ध क्षेत्र में मौतें, और घातक चोटें थी ।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हर साल औसतन 80 पत्रकारों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
सीरिया में युद्ध के कारण 2012 में सबसे अधिक 144 से अधिक पत्रकारों की जान चली गई और 2013 में 142 पत्रकारों की मौत हो गई।
आरएसएफ के मुताबिक, पिछले दो दशकों में पत्रकारों की 80% मौत 15 देशों में हुई है. सीरिया और इराक में मृत्यु दर सबसे अधिक है, जहां पिछले बीस वर्षों में कुल 578 पत्रकार मारे गए हैं। यह दुनिया भर मेंपत्रकारों की मृत्यु दर का लगभग 1/3 है।
इन खतरनाक देशों के बाद पत्रकारों के लिए सबसे असुरक्षित देश अफगानिस्तान, यमन और फिलिस्तीन थे।
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ)
- रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन है।
- इसकी स्थापना चार पत्रकारों ने 1985 में फ्रांस के मोंटपेलियर में की थी।
- आरएसएफ सूचना की स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने और बढ़ावा देने के लिए काम करता है।
- मुख्यालय: पेरिस, फ्रांस
- इसके लंदन, ब्रुसेल्स, ट्यूनिस, वाशिंगटन डीसी, रियो डी जनेरियो, डकार, ताइपे में 7 कार्यालय हैं।
5. विनिर्माण क्षेत्र की तुलना में सेवा क्षेत्र में अभी भी अधिक एफडीआई निवेश: इंड-रा रिपोर्ट
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इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (इंड-रा ) द्वारा 28 दिसंबर 2022 को प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) अभी भी कुछ क्षेत्रों तक सीमित था और अधिकतम निवेश अभी भी सेवा क्षेत्रों में है ।
इंड-रा के अनुसार "मेक इन इंडिया" अभियान के माध्यम से विनिर्माण क्षेत्र में अधिक निवेश आकर्षित करने के सरकार के प्रयासों के बावजूद, एफडीआई प्रवाह अभी भी सेवा क्षेत्र के पक्ष में झुका हुआ है।"
इंड-रा का मानना है कि ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि भारत में विनिर्माण क्षेत्र में व्यापार करने की तुलना में सेवा क्षेत्र में व्यवसाय करना कम जटिल है। शायद इसी कारण हैकि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में आने वाला ज्यादातर एफडीआई ग्रीनफील्ड इनवेस्टमेंट नहीं है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
अप्रैल 2014 और मार्च 2022 के बीच एफडीआई में सेवा क्षेत्र और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की हिस्सेदारी क्रमशः 41.3% और 19.6% थी, जबकि विनिर्माण का हिस्सा केवल 25.4% था।
अप्रैल 2000 और मार्च 2014 के बीच, इस तरह के प्रवाह में सेवा क्षेत्र और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर का हिस्सा क्रमशः 37% और 5.9% था, और विनिर्माण का हिस्सा 35.4% था।
अक्टूबर 2019 और मार्च 2022 के दौरान $146.7 बिलियन के कुल एफडीआई प्रवाह में से सिर्फ चार राज्यों ने एफडीआई का 83.0% आकर्षित किया, जिसमें महाराष्ट्र 27.5%, कर्नाटक 23.9%, गुजरात 19.1% और दिल्ली 12.4% था।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में तीन अलग-अलग एफडीआई कॉरिडोर उभरे हैं। उत्तर भारत में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर), पश्चिम में महाराष्ट्र-गुजरात और दक्षिण में कर्नाटक-तमिलनाडु-आंध्र प्रदेश-तेलंगाना हैं।
उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में, भारत ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। सिर्फ चीन ही भारत से लगातार आगे रहा है।
व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीटीएडी) की विश्व निवेश रिपोर्ट 2022 के अनुसार, भारत एफडीआई में विश्व स्तर पर गंतव्यों में 7वे स्थान पर है।
इंडिया रेटिंग एंड रिसर्च (इंड-रा)
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (इंड-रा) वैश्विक रेटिंग कंपनी फिच की सहायक कंपनी है। यह एक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी है जिसका मुख्यालय मुंबई में है। इंड-रा को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मान्यता प्राप्त है।
अध्यक्ष, प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी: रोहित करण साहनी
6. सरकारी स्वामित्व वाली वैपकोस को एशियाई विकास बैंक द्वारा शीर्ष परामर्श फर्म घोषित
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एशियाई विकास बैंक(एडीबी) ने अपनी वार्षिक वार्षिक खरीद रिपोर्ट 2022 में भारत सरकार के स्वामित्व वाली वाटर एंड पावर कंसल्टेंसी सर्विसेज इंडिया लिमिटेड (वैपकोस) कंपनी को जल और अन्य बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में शीर्ष परामर्श सेवा फर्म के रूप में स्थान दिया है।
एडीबी द्वारा जारी अपने सदस्यों की फैक्ट शीट - 2022 पर एक अन्य रिपोर्ट में, वैपकोस को एडीबी ऋण, ऊर्जा, परिवहन और जल और अन्य शहरी बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में तकनीकी सहायता परियोजनाओं के तहत परामर्श सेवा अनुबंधों में शामिल भारत के शीर्ष 3 सलाहकारों में शामिल किया गया है। उपरोक्त श्रेणियों में शामिल होने वाला वाप्कोस एकमात्र भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र है।
मनीला, फिलीपींस स्थित एशियाई विकास बैंक एशिया और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लिए एक क्षेत्रीय विकास बैंक है। इसके 68 सदस्य देश हैं और इसका नेतृत्व मासत्सुगु असकावा कर रहे हैं। यह एशियाई विकास आउटलुक रिपोर्ट भी जारी करता है।
वैपकोस
इसकी स्थापना भारत सरकार द्वारा 1969 में जल संसाधन मंत्रालय के तत्वावधान में मैत्रीपूर्ण विकासशील देशों को प्रौद्योगिकी साझा करने और निर्यात करके जल संसाधन के क्षेत्र में भारत के ज्ञान और विशेषज्ञता का उपयोग करने के लिए की गई थी।
1979 में कंपनी का नाम "वाटर एंड पावर डेवलपमेंट कंसल्टेंसी सर्विसेज (इंडिया) लिमिटेड" से बदलकर "वाटर एंड पावर कंसल्टेंसी सर्विसेज (इंडिया) लिमिटेड" कर दिया गया।
भारत के अलावा, कंपनी ने एशिया, अफ्रीका, सीआईएस, प्रशांत द्वीप समूह और दक्षिण अमेरिका को कवर करते हुए 51 से अधिक देशों में सफलतापूर्वक परामर्श कार्य पूरा किया है/चल रहा है।
अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक: रजनीकांत अग्रवाल
मुख्यालय: नई दिल्ली
7. 2021 में 4.12 लाख सड़क हादसों में 1.53 लाख लोगों की मौत: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा 28 दिसंबर 2022 को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 कैलेंडर वर्ष में कुल 4,12,432 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें 1,53,972 लोगों की जान गई, जबकि 3,84,448 लोग घायल हुए।
'भारत में सड़क दुर्घटनाएं- 2021' शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि दुर्घटनाओं से संबंधित प्रमुख संकेतकों ने 2019 की तुलना में 2021 में बेहतर प्रदर्शन किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, "2019 की तुलना में 2021 में सड़क दुर्घटनाओं में 8.1 प्रतिशत की कमी और चोटों में 14.8 प्रतिशत की कमी आई। हालांकि, 2019 की समान अवधि की तुलना में 2021 में सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु दर में 1.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
सड़क हादसों की वजह सीट बेल्ट और हेलमेट नहीं लगाना है
- रिपोर्ट के अनुसार सीट बेल्ट नहीं लगाने के कारण 2021 में सड़क दुर्घटनाओं में कुल 16,397 लोग मारे गए, जिनमें से 8,438 चालक थे और शेष 7,959 यात्री थे।
- हेलमेट न पहनने के कारण कुल 46,593 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए, जिनमें 32,877 चालक और 13,716 यात्री थे।
- रिपोर्ट के अनुसार, 2021 के दौरान हेलमेट नहीं पहनने से 93,763 लोगों को चोटें आईं और सीट बेल्ट नहीं लगाने से 39,231 लोगों को चोटें आईं।
- हेलमेट और सीट बेल्ट जैसे सुरक्षा उपकरणों का उपयोग न करने से दुर्घटनाएं नहीं होती हैं, लेकिन सड़क दुर्घटनाओं की स्थिति में घातक और गंभीर चोटों को रोकने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- केंद्रीय मोटर वाहन नियम (सीएमवीआर) के नियम 138 (3) के तहत पिछली सीट पर बैठे यात्रियों द्वारा सीट बेल्ट नहीं लगाने पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगता है, लेकिन ज्यादातर लोग या तो इस अनिवार्य नियम से अनजान हैं या इसे अनदेखा कर देते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार देश ने दुर्घटनाओं, मौतों और चोटों में अभूतपूर्व कमी देखी।यह कोविड-19 महामारी के असामान्य प्रकोप और विशेष रूप से मार्च-अप्रैल, 2020 के दौरान इसके परिणामस्वरूप कड़े राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन और धीरे-धीरे अनलॉकिंग और नियंत्रण उपायों को कम करने के बाद ऐसा संभव हुआ।
रिपोर्ट कैलेंडर वर्ष 2021 के दौरान देश में सड़क दुर्घटनाओं के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी प्रदान करती है। यह रिपोर्ट एशिया प्रशांत सड़क दुर्घटना डेटा (एपीआरएडी) आधार परियोजना के तहत एशिया और प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (यूएनईएससीएपी) द्वारा मानकीकृत प्रारूप में प्रदान किए गए कैलेंडर वर्ष के आधार पर एकत्रित राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के पुलिस विभागों से प्राप्त आंकड़ों/सूचनाओं पर आधारित है।
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री: नितिन गडकरी
8. भारत 2037 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा; सीईबीआर
Tags: Reports Economy/Finance
यूनाइटेड किंगडम स्थित अर्थशास्त्र सलाहकार संस्था सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स एंड बिजनेस रिसर्च (सीईबीआर) ने भविष्यवाणी की है कि भारत 2037 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
'वर्ल्ड इकोनॉमिक लीग टेबल' शीर्षक वाली इसकी वार्षिक रिपोर्ट विश्व स्तर पर और देशवार व्यापक आर्थिक विकास को ट्रैक करती है। इस रिपोर्ट में यहदुनिया के 191 देशों के लिए पूर्वानुमान प्रस्तुत करता है।
26 दिसंबर 2022 को जारी रिपोर्ट के 14वें संस्करण के अनुसार, अगले पांच वर्षों में भारत की वार्षिक आर्थिक वृद्धि औसतन 6.4% रहने की उम्मीद है, और फिर उसके बाद के नौ वर्षों में भारत की विकास दर औसतन 6.5% रहने की उम्मीद है।
यह उम्मीद करता है कि 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.8% की दर से बढ़ेगी।
रिपोर्ट किए गए विकास प्रक्षेपवक्र में भारत 2022 में विश्व आर्थिक लीग तालिका में पांचवें स्थान से चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद 2037 तक वैश्विक रैंकिंग में तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार, भारत के 2027-28 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है।
एसबीआई की इकोरैप (Ecowrap) की रिपोर्ट के अनुसार भारत के 2029 में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की संभावना है।
आईएमएफ के अनुसार 2022-23 में भारत के ग्रेट ब्रिटेन से आगे निकल जाने और संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी के बाद 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की संभावना है।
9. पुडुचेरी और आइजोल (मिजोरम) को सामाजिक प्रगति सूचकांक में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य और जिले घोषित किया गया
प्रधान मंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) ने 20 दिसंबर 2022 को प्रतिस्पर्धात्मकता और सामाजिक प्रगति अनिवार्य संस्थान द्वारा तैयार राज्यों और जिलों के लिए सामाजिक प्रगति सूचकांक (एसपीआई) जारी किया।
सूचकांक सामाजिक प्रगति के तीन महत्वपूर्ण आयामों - बुनियादी मानवीय आवश्यकताओं, कल्याण की नींव और अवसर के 12 घटकों के आधार पर राज्यों और जिलों का आकलन करता है।
सूचकांक एक व्यापक ढांचे का उपयोग करता है जिसमें राज्य स्तर पर 89 संकेतक और जिला स्तर पर 49 संकेतक शामिल हैं।
- बुनियादी मानवीय आवश्यकताएं पोषण और बुनियादी चिकित्सा देखभाल, जल और स्वच्छता, व्यक्तिगत सुरक्षा और आश्रय के संदर्भ में राज्यों और जिलों के प्रदर्शन का आकलन करती हैं।
- फाउंडेशन ऑफ़ वेलबीइंग बुनियादी ज्ञान तक पहुँच, सूचना और संचार तक पहुँच, स्वास्थ्य और कल्याण, और पर्यावरणीय गुणवत्ता के घटकों में देश द्वारा की गई प्रगति का मूल्यांकन करता है।
- अवसर व्यक्तिगत अधिकारों, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और पसंद, समावेशिता और उन्नत शिक्षा तक पहुंच पर केन्द्रित है।
एसपीआई स्कोर के आधार पर, राज्यों और जिलों को सामाजिक प्रगति के छह स्तरों के तहत रैंक किया गया है। टीयर 1: बहुत उच्च सामाजिक प्रगति; टीयर 2: उच्च सामाजिक प्रगति; टीयर 3: ऊपरी मध्य सामाजिक प्रगति; टीयर 4: निम्न मध्य सामाजिक प्रगति, टीयर 5: कम सामाजिक प्रगति और टीयर 6: बहुत कम सामाजिक प्रगति।
शीर्ष रैंक वाले राज्य / केंद्र शासित प्रदेश
राज्य / केंद्र शासित प्रदेश | एसपीआई | रेंक |
पुदुचेरी | 65.99 | 1 |
लक्षद्वीप | 65.89 | 2 |
गोवा | 65.53 | 3 |
सिक्किम | 65.10 | 4 |
मिजोरम | 64.19 | 5 |
सबसे कम रैंक राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश
झारखंड को 43.95 के एसपीआई स्कोर के साथ 36वें और बिहार को 44.47 के स्कोर के साथ 35वें स्थान पर रखा गया।
49.16 के एसपीआई स्कोर के साथ उत्तर प्रदेश को 31वां स्थान दिया गया और उसे निम्न सामाजिक प्रगति श्रेणी में रखा गया।
शीर्ष प्रदर्शन करने वाले जिले
आइजोल (मिजोरम), सोलन (हिमाचल प्रदेश), और शिमला (हिमाचल प्रदेश) शीर्ष 3 सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले जिले हैं।
10. वैज्ञानिक पत्रों के प्रकाशन में भारत विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर; केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह
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केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह के अनुसार वैज्ञानिक पत्रों के प्रकाशन में भारत को विश्व स्तर पर तीसरा स्थान दिया गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका की नेशनल साइंस फाउंडेशनके विज्ञान और इंजीनियरिंग संकेतक 2022 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा की वैज्ञानिक प्रकाशनों में विश्व स्तर पर भारत की स्थिति 2010 में 7वें स्थान से सुधर कर 2020 में तीसरे स्थान पर आ गई है। 2010 मेंदेश में 60,555 वैज्ञानिक पेपर प्रकाशित किये गए थे जो 2020 में बढ़कर 1,49,213 हों गए ।
चीन सबसे अधिक संख्या में वैज्ञानिक पत्रों के प्रकाशन में दुनिया का नेतृत्व करता है, जिसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका का स्थान है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि भारत अब विज्ञान और इंजीनियरिंग में पीएचडी की संख्या के मामले में तीसरे स्थान पर है।
नेशनल साइंस फाउंडेशन संयुक्त राज्य सरकार की एक स्वतंत्र एजेंसी है जो विज्ञान और इंजीनियरिंग के सभी गैर-चिकित्सा क्षेत्रों में मौलिक अनुसंधान और शिक्षा का समर्थन करती है।