Current Affairs search results for: "सेबी ने ऋण प्रतिभूतियों पर अंकित मूल्य घटाकर 1 लाख रुपये कर दिया"
By admin: Dec. 6, 2022

1. सेबी ने निजी प्लेसमेंट के आधार पर जारी ऋण प्रतिभूतियों को सूचीबद्ध करने की समय अवधि को घटाकर तीन दिन कर दिया

Tags: Economy/Finance

Sebi reduces time period for listing of debt securities issued on a private placement

पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) ने निजी प्लेसमेंट के आधार पर जारी ऋण प्रतिभूतियों की लिस्टिंग के लिए समय सीमा को घटाकर तीन दिन (टी+3) कर दिया है।वर्तमान में, समयरेखा चार दिन(टी+4) है और नवीनतम कदम से निवेशकों द्वारा व्यापार के लिए प्रतिभूतियों की उपलब्धता में भी तेजी आएगी। टी इश्यू क्लोजर डेट को संदर्भित करता है।

नए दिशानिर्देश 1 जनवरी, 2023 से लागू होंगे।

इससे पहले अक्टूबर में सेबी ने निजी प्लेसमेंट के आधार पर जारी ऋण सुरक्षा और गैर-परिवर्तनीय प्रतिदेय वरीयता शेयरों का अंकित मूल्य मौजूदा 10 लाख रुपये से घटाकर 1 लाख रुपये कर दिया था।यह भी 1 जनवरी 2023 से लागू होगा।

सेबी अध्यक्ष: माधबी पुरी बुच


By admin: Oct. 29, 2022

2. सेबी ने ऋण प्रतिभूतियों पर अंकित मूल्य घटाकर 1 लाख रुपये कर दिया

Tags: Economy/Finance

SEBI reduces face value of debt

पूंजी और कमोडिटी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 28 अक्टूबर 2022 को निजी प्लेसमेंट के आधार पर जारी ऋण प्रतिभूति और गैर-परिवर्तनीय प्रतिदेय वरीयता शेयरों के अंकित मूल्य (फेस वैल्यू) को मौजूदा 10 लाख रुपये से घटाकर 1 लाख रुपये कर दिया है ।

नए दिशानिर्देश 1 जनवरी, 2023 से लागू होंगे।

सेबी के मुताबिक ऐसा, निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने के लिए किया गया है और इससे कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में तरलता भी बढ़ेगी।

ऋण प्रतिभूतियां

ऋण प्रतिभूतियां एक प्रकार का वित्तीय दस्तावेज है जो एक कंपनी द्वारा बाजार से पैसा उधार लेने के लिए जारी किया जाता है। ऋण प्रतिभूतियों के जारीकर्ता वादा करते हैं कि वह  एक निश्चित समय अवधि के बाद पैसा वापस कर देगा और उधार के पैसे पर उल्लिखित ब्याज का भुगतान भी करेगा। ऋण प्रतिभूतियों के कुछ उदाहरण बांड, डिबेंचर आदि हैं।

प्रतिभूतियों का अंकित मूल्य. टेन्योर और कूपन दर क्या है?

अंकित मूल्य(फेस वैल्यू ) वह नाममात्र मूल्य है जो किसी कंपनी द्वारा जारी प्रतिभूतियों पर अंकित होता है । उदाहरण के लिए एक कंपनी 5 साल की अवधि के लिए और 10% की ब्याज दर के साथ 100 रुपये का बांड जारी करती है।

यहां बॉन्ड की अंकित मूल्य(फेस वैल्यू )100 रुपये होगी।

जिस समयावधि के लिए इसे उधार लिया जाता है, उसे टेन्योर /Tenure कहा जाता है। यहां उदाहरण में बांड की टेन्योर 5 वर्ष होगी।

बांड पर उल्लिखित ब्याज दर को कूपन दर कहा जाता है। इस उदाहरण में कूपन दर 10% है।

प्रतिभूतियों का सार्वजनिक और निजी प्लेसमेंट क्या है

एक कंपनी जो अपनी प्रतिभूतियों (शेयर, बांड, आदि) को बेचकर बाजार से पूंजी जुटाना चाहती हैं,के पास दो विकल्प हैं। कंपनी या तो सार्वजनिक पेशकश के लिए जा सकती है या अपनी प्रतिभूतियों के निजी प्लेसमेंट का विकल्प चुन सकती है।

सार्वजनिक पेशकश (पब्लिक ऑफर) का मतलब है कि कंपनी को इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग्स (आईपीओ) लाना होगा। कंपनी को एक मर्चेंट बैंकर को नियुक्त करना होता है जो आम जनता को कंपनी की प्रतिभूतियों की बिक्री की पूरी प्रक्रिया को संभालता है।

आईपीओ से तात्पर्य कंपनी की प्रतिभूतियों को पहली बार जनता को बेचने से है और आईपीओ  के बाद कंपनी की अपनी प्रतिभूतियों को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध करना अनिवार्य होता है। सार्वजनिक पेशकश एक समय लेने वाली प्रक्रिया है और कंपनी के लिए महंगी भी होती है।

प्राइवेट प्लेसमेंट

कंपनी के लिए एक और विकल्प है। कंपनी सीधे चुनिंदा निवेशकों जैसे बैंक, म्यूचुअल फंड, हाई नेट वर्थ इन्वेस्टर्स (एचएनआई) से संपर्क कर सकती है और उन्हें कंपनी की प्रतिभूतियों को सीधा बेच सकती है।

कंपनी को प्राइवेट प्लेसमेंट के बाद के बाद कंपनी की अपनी प्रतिभूतियों को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कराने की जरूरत नहीं होती  है। यह विधि कंपनी के लिए कम समय लेने वाली और कम खर्चीली है।

भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी)

भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) की स्थापना 12 अप्रैल 1988 को हुई थी और इसे 30 जनवरी 1992 को सेबी अधिनियम 1992 द्वारा वैधानिक दर्जा दिया गया था।

  • यह भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अधीन आता है।
  • यह भारत में पूंजी बाजार और कमोडिटी बाजार का नियामक है।
  • सेबी के पहले अध्यक्ष डॉ एस ए दवे (1988-90) थे।
  • माधबी पुरी बुच सेबी की वर्तमान और 10वीं अध्यक्ष हैं।
  • मुख्यालय: मुंबई

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