भूपेंद्र यादव ने अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया

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केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने 26 मार्च को हरियाणा के टिकली गांव में अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया।

खबर का अवलोकन

  • परियोजना वनीकरण, पुनर्वनीकरण और जल निकायों की बहाली के माध्यम से अरावली के हरित आवरण और जैव विविधता को बढ़ाएगी।

  • यह क्षेत्र की मिट्टी की उर्वरता, जल की उपलब्धता और जलवायु से संबंधी लचीलापन में भी सुधार करेगा।

  • यह परियोजना स्थानीय समुदायों को रोजगार के अवसर, आय के सृजन और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं प्रदान करके लाभान्वित करने में मदद करेगी।

  • इस पहल का उद्देश्य पांच राज्यों में फैली अरावली पर्वत श्रंखला के लगभग 5 किमी के बफर क्षेत्र को हरा भरा बनाना है। 

  • परियोजना के तहत 75 जल स्रोतों का कायाकल्प किया जाएगा, जिसकी शुरुआत 25 मार्च को अरावली परिदृश्य के प्रत्येक जिले में पांच जल स्रोतों से होगी। 

  • परियोजना में अरावली क्षेत्र में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान और जल संसाधनों का संरक्षण भी शामिल होगा। 

  • यह परियोजना गुड़गांव, फरीदाबाद, भिवानी, महेंद्रगढ़ और हरियाणा के रेवाड़ी जिलों में बंजर भूमि को शामिल करेगी।

अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट के बारे में

  • यह परियोजना केंद्रीय वन मंत्रालय के भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए देश भर में ग्रीन कॉरिडोर तैयार करने के विजन का एक हिस्सा है। 

  • इस परियोजना में हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और दिल्ली शामिल हैं जहां 60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर अरावली की पहाड़ियां फैली हैं। 

  • इस परियोजना में तालाबों, झीलों और नदियों के कायाकल्प और पुनर्स्थापन के साथ-साथ झाड़ियों, बंजर भूमि और खराब वन भूमि पर पेड़ों और झाड़ियों की मूल प्रजातियों को लगाना शामिल होगा। 

  • यह परियोजना स्थानीय समुदायों की आजीविका बढ़ाने के लिए कृषि वानिकी और चरागाह विकास पर भी ध्यान केंद्रित करेगी।

अरावली रेंज के बारे में

  • इसका का विस्तार गुजरात के हिम्मतनगर से दिल्ली तक लगभग 720 किमी की दूरी तक है, जो हरियाणा और राजस्थान तक विस्तारित है।

  • यह हजारों साल पुराना है, जिसका निर्माण भारतीय उपमहाद्वीपीय प्लेट के यूरेशियन प्लेट की मुख्य भूमि से टकराने के कारण हुआ।

  • कार्बन डेटिंग के अनुसार अरावली रेंज में ताँबे और अन्य धातुओं का खनन लगभग 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व में किया गया था।

  • इसकी ऊंचाई 300 मीटर से 900 मीटर के बीच है।

  • इसकी सबसे ऊंची चोटी माउंट आबू पर स्थित गुरु शिखर (1,722 मीटर) है।

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