फोरेंसिक साक्ष्यों के संग्रह को अनिवार्य बनाने वाली दिल्ली पुलिस बनी पहली पुलिस बल
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दिल्ली पुलिस छह साल से अधिक की सजा वाले अपराधों में फोरेंसिक साक्ष्य के संग्रह को अनिवार्य करने वाली देश की पहली पुलिस बल बन गई है।
महत्वपूर्ण तथ्य -
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पुलिस मुख्यालय के दौरे के दौरान 30 अगस्त को यह आदेश जारी किया गया।
दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है, इसका पुलिस बल गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है।
इस पहल का उद्देश्य दोषसिद्धि दर को बढ़ाना और आपराधिक न्याय प्रणाली को फोरेंसिक विज्ञान जांच के साथ एकीकृत करना है।
गृह मंत्री ने कहा कि गंभीर मामलों में पुलिस कानूनी जांच के बाद ही चार्जशीट दाखिल करे।
दिल्ली में नशीले पदार्थों पर नकेल कसने के लिए एक विस्तृत कार्य योजना तैयार की गई है।
दिल्ली और एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) और आसपास के राज्यों में सक्रिय बहुराज्यीय आपराधिक गिरोहों पर नकेल कसने की रणनीति भी बनाई गई है।
गृह मंत्री ने महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा पर पुलिस को अधिक पेशेवर और संवेदनशील दृष्टिकोण के साथ उन्हें एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करने के प्रयासों में तेजी लाने का निर्देश दिया।
हाल ही में जारी एनसीआरबी की रिपोर्ट में दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 40% की वृद्धि देखी गई, जो देश के सभी महानगरीय शहरों में सबसे अधिक है।
फोरेंसिक मोबाइल वैन :
दिशानिर्देशों के अनुसार सभी जिलों में दिल्ली पुलिस के अपने सचल वाहनों के अलावा प्रत्येक जिले में एक फोरेंसिक सचल वाहन आवंटित किया जाएगा।
यह वाहन जांच अधिकारियों को जरूरत पड़ने पर मौके पर वैज्ञानिक तथा फोरेंसिक सहायता प्रदान करेगा।
ये वाहन वैज्ञानिक उपकरणों से सुसज्जित होंगे।
फोरेंसिक सचल वाहन शहर पुलिस के प्रशासनिक नियंत्रण में नहीं रहेंगे, बल्कि स्वतंत्र निकाय की तरह काम करेंगे और अदालत के प्रति जवाबदेह होंगे।
फोरेंसिक साइंस क्या है?
फोरेंसिक साइंस अपराधों की जाँच करने या न्यायालय में प्रस्तुत किए जाने वाले सबूतों का परीक्षण करने के लिए वैज्ञानिक तरीकों या विशेषज्ञता का उपयोग है।
यह आपराधिक न्याय प्रणाली का एक महत्त्वपूर्ण भाग है।
दस्तावेज़ परीक्षा, डीएनए विश्लेषण, इलेक्ट्रॉनिक / डिजिटल मीडिया, फ़िंगरप्रिंटिंग, ऑटोप्सी तकनीक, इंजीनियरिंग, भाषाविज्ञान, नृविज्ञान आदि फोरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र हैं।
भारत का पहला सेंट्रल फ़िंगरप्रिंट ब्यूरो वर्ष 1897 में कोलकाता में स्थापित किया गया था, जो वर्ष 1904 में कार्य करना शुरू किया था।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत हैदराबाद में डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नोस्टिक्स (CDFD) केंद्र स्थापित किया गया है।
भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 2000 में गांधीनगर गुजरात में किया गया था।
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