डीआरडीओ ने हिमालयी क्षेत्रों में अभियान के लिए विकसित किया मानवरहित यान

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अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने हिमालयी सीमा पर साजो-सामान संबंधी परिचालन को लक्षित करने के उद्देश्य से एक मानवरहित यान विकसित किया है I 

खबर का अवलोकन 

  • डीआरडीओ द्वारा इस विमान को महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित 108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में प्रदर्शित किया गया है।

  • यह यूएवी 5 से लेकर 25 किलो क्षमता का भार लेकर उड़ान भर सकता है तथा दुश्मन क्षेत्र में बम गिराने में भी सक्षम है।

  • विमान पांच किलोमीटर के दायरे में स्वायत्त मिशन संचालित कर सकता है और स्वचालित तरीके से निर्धारित स्थान पर सामान पहुंचा कर मूल स्थान पर लौट सकता है। 

  • यह यूएवी लैंडिंग एक्यूरेसी के साथ ही ग्राउंड व्हीकल फॉलो मोड और मॉड्यूलर डिजाइन से लैस है, जिससे युद्ध के दौरान यह यूएवी काफी उपयोगी साबित हो सकता है। 

  • डीआरडीओ द्वारा सिक्किम में 14 हजार फीट की ऊंचाई पर इस मल्टी-कॉप्टर पेलोड का सफल परीक्षण किया गया है। दो और ट्रायल के बाद इस यूएवी को आर्म्ड फोर्सेस में शामिल कर लिया जाएगा। 

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO)

  • यह भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के तहत एक प्रमुख रक्षा अनुसंधान और विकास एजेंसी है।

  • इसका उद्देश्य भारत को महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकी और प्रणालियों में आत्मनिर्भर बनाना है।

  • इसकी स्थापना 1958 में हुई थी।

  • मुख्यालय - नई दिल्ली

  • अध्यक्ष - समीर वी कामत


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