कोयला से मेथनॉल उत्पादक प्रथम संयंत्र ने वाणिज्यिक उत्पादन शुरू किया
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भारत के पहले स्वदेश में विकसित कोयला से मेथनॉल (सीटीएम) बनाने वाले संयंत्र ने गैसीकरण मार्ग के माध्यम से उच्च राख वाले कोयले को मेथनॉल में रूपांतरण के लिए 99% से अधिक शुद्धता के साथ काम करना शुरू कर दिया है जिसने इस क्षेत्र में एक नए अवसर का मार्ग प्रसस्त किया है।
- केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने इस संयंत्र को 'आजादी का अमृत महोत्सव' समारोह के तहत देश को समर्पित किया।
- 0.25 टीपीडी (टन प्रति दिन) क्षमता वाले सीटीएम पायलट प्लांट को भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) द्वारा डिजाइन, विकसित और स्थापित किया गया था।
- इस परियोजना को स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान पहल के तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा समर्थित किया गया था
- यह हैदराबाद में स्थित भेल के इन-हाउस प्लांट में स्थापित है।
- इस तकनीक से देश को स्वच्छ तकनीक अपनाने की दिशा में आगे बढ़ने और मेथनॉल के इस्तेमाल को परिवहन ईंधन (पेट्रोल के साथ सम्मिश्रण) के रूप में बढ़ावा देने में मदद मिलेगी, इस तरह कच्चे तेल के आयात में कमी आएगी।
- कोयले को मेथनॉल में बदलने की व्यापक प्रक्रिया में कोयले का संश्लेषण (सिंगैस) गैस में रूपांतरण, सिंगैस की सफाई और कंडीशनिंग, सिंगास का मेथनॉल रूपांतरण और मेथनॉल का शुद्धिकरण शामिल है।
- ज्यादातर देशों में मेथनॉल संयंत्रों का संचालन निम्न राख की मात्रा वाले कोयलों से किया जाता है। भारतीय कोयले में राख की उच्च मात्रा होने की वजह से यह भारत के लिए एक चुनौती थी।
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