गांधीसागर वन्यजीव अभ्यारण्य को चीतों के दूसरे निवास स्थान के रूप में विकसित किया जाएगा
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हाल ही में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य को अगले छह महीनों में चीतों के नए निवास स्थान के रूप में विकसित किया जाएगा।
खबर का अवलोकन
वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक कूनो नेशनल पार्क में चीतों की संख्या बढ़ने के बाद उनके लिए पर्याप्त जगह नहीं बचेगी, इसलिए उन्हें दूसरी जगह स्थानांतरित करना जरूरी है।
गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य में विशाल खुले स्थान और झाड़ियों से घिरे घास के मैदान हैं, जो चीता के लिए एक आदर्श परिदृश्य है।
गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य के बारे में
यह उत्तर-पश्चिमी मध्य प्रदेश (मंदसौर और नीमच जिलों) में राजस्थान की सीमा के पास स्थित है।
इसे वर्ष 1974 में वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया था।
चंबल नदी, गांधीसागर अभयारण्य से होकर बहती है और इसे दो भागों में विभाजित करती है।
खैर, सलाई, करधई, धावड़ा, तेंदू और पलाश आदि यहां पाई जाने वाली प्रमुख वृक्ष प्रजातियां हैं।
इस वन्यजीव अभयारण्य में चिंकारा, नीलगाय और चित्तीदार हिरण, तेंदुआ, धारीदार लकड़बग्घा और सियार जैसे जानवर पाए जाते हैं।
गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य में ऐतिहासिक, पुरातत्व और धार्मिक महत्व के कई स्थान हैं जैसे - चौरासीगढ़, चतुर्भुजनाथ मंदिर, भड़काजी रॉक पेंटिंग, नरसिंहझर हिंगलाजगढ़ किला, करकेश्वर मंदिर।
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