सरकार ने 2023-24 मार्केटिंग सीजन के लिए गेहूं के एमएसपी में 110 रुपये की बढ़ोतरी की

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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए)  ने 18 अक्टूबर 2022 को गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 110 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि को मंजूरी दे दी है और सथ ही विपणन सीजन 2023-24  के लिए सभी अनिवार्य रबी फसलों के एमएसपी में वृद्धि को भी मंजूरी दे दी है।

 इस बार मसूरके एमएसपी  में सबसे अधिक 500 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है, इसके बाद सफेद सरसों और सरसों, जिसमे  400 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है।

विपणन सीजन 2023-24 के लिए रबी फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है, जिसमें एमएसपी को अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के 1.5 गुना के स्तर पर तय किया गया है, जिसका लक्ष्य किसानों के लिए उचित पारिश्रमिक तय करना है।

विपणन सीजन 2023-24 के लिए सभी रबी फसलों के लिए एमएसपी (सभी आंकड़े रुपये प्रति क्विंटल में हैं)

फसल

एमएसपी 2022-23

एमएसपी 2023-24

एमएसपी में वृद्धि

गेहूं

2015

2125

110

जौ

1635

1735

100

चना

5230

5335

105

मसूर

5500

6000

500

सफेद सरसों और सरसों

5050

5450

400

कुसुंभ

5441

5650

209

दलहन और तिलहन उत्पादन पर ज़ोर

भारत दुनिया में दालों और तिलहनों के सबसे बड़े आयातकों में से एक है और सरकार दोनों फसलों के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के प्रयास कर रही है।

देश में कृषि मंत्रालय के चौथा अग्रिम अनुमान के अनुसार ,तिलहन का उत्पादन 2014-15 में 27.51 मिलियन टन से बढ़कर 2021-22 में 37.70 मिलियन टन हो जायेगा ।

दलहन के मामले में उत्पादकता 728 किग्रा/हेक्टेयर (2014-15) से बढ़ाकर 892 किग्रा/हेक्टेयर हो गई है (चौथा अग्रिम अनुमान, 2021-22) अर्थात इसमें 22.53 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 

इसी प्रकार तिलहन फसलों में उत्पादकता 1075 किग्रा/हेक्टेयर (2014-15) से बढ़ाकर 1292 किग्रा/हेक्टेयर (चौथा अग्रिम अनुमान, 2021-22) हो गई है ।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)

एमएसपी वह न्यूनतम मूल्य है जिस पर सरकार किसान से चयनित फसलों को खरीदने की गारंटी देती है। यह किसानों को आश्वस्त करने के लिए किया जाता है कि उनकी उपज सरकार द्वारा गारंटीकृत मूल्य पर खरीदी जाएगी।

हालांकि, सरकार हर किसान की फसल खरीदने के लिए बाध्य नहीं है

एमएसपी कौन तय करता है?

एमएसपी मूल्य की गणना कृषि मंत्रालय के तहत एक विशेषज्ञ समिति द्वारा की जाती है।

विशेषज्ञ समिति को सीएसीपी (कृषि लागत और मूल्य आयोग) कहा जाता है। यह केंद्रीय कृषि मंत्रालय को एमएसपी की सिफारिश करता है और मंत्रालय उसके आधार पर एमएसपी की घोषणा करता है।

हालांकि कृषि मंत्रालय सीएसीपी की सिफारिश मानने के लिए बाध्य नहीं है

एमएसपी की घोषणा कब की जाती है?

एमएसपी की घोषणा कृषि मंत्रालय साल में दो बार करता है। एक खरीफ के मौसम में और दूसरा रबी के मौसम में।

एमएसपी के तहत फसलें

कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) 22 अनिवार्य फसलों के लिए एमएसपी और गन्ने के लिए उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) की सिफारिश करता है।

अनिवार्य फसलें हैं;

अनाज - धान, गेहूं, मक्का, ज्वार, बाजरा, जौ, रागी

दालें - चना/चना, तूर, मूंग, उड़द, मसूर

तिलहन - मूंगफली, तोरी, सोयाबीन, तिल, सूरजमुखी, कुसुम, नाइजर बीज

वाणिज्यिक फसलें - खोपरा, गन्ना, कपास, कच्चा जूट

फुल फॉर्म

सीसीईए/CCEA: कैबिनेट  कमेटी ओंन इकनोमिक अफेयर्स (Cabinet Committee on Economic Affairs)

सीएसीपी/CACP:कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कास्ट्स एंड प्राइस (Commission for Agricultural Costs and Price)

एमएसपी/MSP: मिनिमम सपोर्ट प्राइस (Minimum Support Price)

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