संसद से सरकार ने मनरेगा के लिए 25,000 करोड़ रुपये मांगे

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केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना के लिए 25000 करोड़ रुपये की अनुदान की अनुपूरक मांग संसद के समक्ष रखी है। 

मांग आधारित ग्रामीण रोजगार योजना चालू वित्त वर्ष के बीच में ही धन की कमी हो गई, जिसके कारण मजदूरी और सामग्री का भुगतान लंबित हो गया।

वित्तीय वर्ष 2021-22 में मनरेगा के लिए प्रारंभिक बजटीय आवंटन 73000 करोड़ रुपये था

ग्रामीण भारत में कोविड के प्रभावों के कारण जारी आर्थिक संकट के कारण इस योजना के तहत नौकरियों की मांग में वृद्धि हुई है

पिछले साल, COVID19 महामारी के कारण लॉकडाउन और व्यापक बेरोजगारी के साथ, मनरेगा ने 1.1 लाख करोड़ रुपये के संशोधित बजट के साथ, भारत की ग्रामीण आबादी के लिए एक जीवन रेखा के रूप में काम किया

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना

  • नरेगा अधिनियम 23 अगस्त 2005 को भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था, लेकिन यह 6 फरवरी, 2006 को लागू हुआ। 
  • 2 अक्टूबर 2009 को राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 में एक संशोधन किया गया, जिससे अधिनियम का नाम नरेगा से बदलकर कर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (एमजीएनआरईजीए) कर दिया गया। 
  • मनरेगा  में प्रत्येक ग्रामीण परिवार जिसके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक कार्य करने के लिए स्वेच्छा से तैयार हैं  उनको एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों की गारंटी मजदूरी रोजगार प्रदान करना है, । वर्तमान में वेतन दर लगभग 210 रुपये प्रति दिन है।
  • यह अब भारत के सभी ग्रामीण जिलों में चालू है
  • यह योजना केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है।
  • केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री: गिरिराज सिंह।

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