गुरु तेग बहादुर की जयंती
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरु तेग बहादुर की 400वीं जयंती के अवसर पर 21 अप्रैल को लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करेंगे।
कार्यक्रम का आयोजन संस्कृति मंत्रालय द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के तहत दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के सहयोग से किया जाएगा।
गुरु तेग बहादुर के बारे में
—वे नौवें सिख गुरु थे।
—गुरु के रूप में उनका कार्यकाल 1665 से 1675 तक चला।
—उनका जन्म गुरु के महल (अब इसी नाम से एक गुरुद्वारा), अमृतसर में 1621 में हुआ था।
—वह गुरु हरगोबिंद साहिब के पांचवें और सबसे छोटे पुत्र थे। उनके बचपन का नाम त्याग मल था।
—वह कश्मीरी पंडितों के अधिकारों के लिए खड़े हुए।
—1675 में मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश पर दिल्ली में उन्हें सार्वजनिक रूप से हत्या कर दी गई थी।
उनका योगदान
—उन्होंने औरंगजेब के शासन के दौरान गैर-मुसलमानों के इस्लाम में जबरन धर्मांतरण का विरोध किया।
—उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब में कई भजनों का योगदान दिया, जिसमें सलोक, या दोहे शामिल हैं।
—उन्हें नानक की शिक्षाओं का प्रचार करने के लिए बड़े पैमाने पर यात्रा करने के लिए जाना जाता है।
—वह जहां भी गए स्थानीय लोगों के लिए उन्होंने सामुदायिक रसोई और कुएं स्थापित किए थे।
—उन्होंने पंजाब में चक-ननकी शहर की स्थापना की, जो बाद में आनंदपुर साहिब का एक हिस्सा बन गया, जो एक प्रसिद्ध पवित्र शहर और हिमालय की तलहटी में एक वैश्विक पर्यटक आकर्षण था।
—सिख धर्म की स्थापना गुरु नानक (1469-1539) ने 15 वीं शताब्दी में तत्कालीन अविभाजित भारत और पाकिस्तान के पंजाब जिले में की थी।
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