गुजरात के पांच गांवों में गठित भारत की पहली 'बालिका पंचायत'
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महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में अनूठी पहल करते हुए गुजरात के कच्छ में देश की पहली बालिका पंचायत की शुरुआत की गई है।
बालिका पंचायत की अनूठी पहल का गुजरात के कच्छ जिले के चार गाँव कुनरिया,मस्का मोटागिंया, वाडासर कुकमा गांव में इस पंचायत का आगाज हुआ है।
इसकी जिम्मेदारी 11 से 21 साल की उम्र की बालिकाओं को दी जाती है।
इसका मुख्य उद्देश्य बालिकाओं को सामाजिक और राजनीतिक विकास को बढ़ावा देना और समाज में मौजूद कुरीतियों को दूर कर उनकी समस्याओं का समाधान करना है।
यह बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत महिला एवं बाल विकास कल्याण गुजरात सरकार की अनोखी पहल है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय पूरे भारत में बालिका पंचायत शुरू करने की योजना बना रहा है।
बालिका पंचायत का सदस्य ग्राम पंचायत की तरह ही मनोनीत होता है।
पंचायती राज के बारे में
प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा राजस्थान के नागौर जिले के बगधरी गांव में 2 अक्टूबर 1959 को पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई थी।
भारत में त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में ग्राम पंचायत (ग्राम स्तर पर), पंचायत समिति (मध्यवर्ती स्तर पर) और ज़िला परिषद (ज़िला स्तर पर) शामिल हैं।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 40 में पंचायतों का उल्लेख किया गया है और अनुच्छेद 246 में राज्य विधानमंडल को स्थानीय स्वशासन से संबंधित किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार दिया गया है।
पंचायती राज संस्थान भारत में ग्रामीण स्थानीय स्वशासन की एक प्रणाली है।
ज़मीनी स्तर पर लोकतंत्र की स्थापना करने के लिये 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के माध्यम से पंचायती राज संस्थान को संवैधानिक स्थिति प्रदान की गई और उन्हें देश में ग्रामीण विकास का कार्य सौंपा गया।
73वें संवैधानिक संशोधन द्वारा संविधान में "पंचायतों" शीर्षक से भाग IX जोड़ा गया।
पंचायतों का कार्यकाल पाँच वर्ष निर्धारित है लेकिन कार्यकाल से पहले भी इसे भंग किया जा सकता है I
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