अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई दिवस
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सतत विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन में सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यमों के योगदान को मान्यता देने के लिए हर साल 27 जून को एमएसएमई दिवस मनाया जाता है।
अप्रैल 2017 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में संयुक्त राष्ट्र द्वारा पारित एक प्रस्ताव के माध्यम से 27 जून को सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यमों के दिन के रूप में नामित किया गया था।
मई 2017 में ‘एनहेनसिंग नेशनल केपेसिटीज़ फॉर अनलेशिंग फुल पोटेंशियल्स ऑफ एमएसएमई इन अचीविंग द एसडीजीज़ इन डेवलपिंग कंट्रीज़' नामक एक कार्यक्रम शुरू किया गया था।
इसे संयुक्त राष्ट्र शांति और विकास कोष के सतत् विकास उप-निधि के लिये 2030 एजेंडा द्वारा वित्तपोषित किया गया है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में MSMEs की भूमिका
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान करते हैं।
निर्यात के संदर्भ में वे आपूर्ति शृंखला का एक अभिन्न अंग हैं और कुल निर्यात में लगभग 48 प्रतिशत का योगदान देते हैं।
इसके अलावा MSMEs रोज़गार सृजन में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और देश भर में लगभग 110 मिलियन लोगों को रोज़गार प्रदान करते हैं।
MSMEs की पहलें -
भारत में MSME मंत्रालय ने COVID-19 संकट के दौरान उद्योगों को जीवित रहने में मदद करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए हैं -
प्रवासियों को भोजन के पैकेट उपलब्ध कराने के लिए सामुदायिक रसोई की स्थापना
कारीगर कल्याण कोष ट्रस्ट के माध्यम से पंजीकृत कारीगरों को प्रति माह 1000 रुपये का भुगतान
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से कारीगरों और खादी संस्थानों को बाजार विकास सहायता के माध्यम से फंड्स जारी करना।
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