झारखंड जनजातीय महोत्सव
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विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर रांची के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में 9 व 10 अगस्त 2022 को 'झारखंड जनजातीय महोत्सव' का आयोजन किया गया है।
महत्वपूर्ण तथ्य
राज्यसभा सदस्य और झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन ने 9 अगस्त को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उपस्थिति में महोत्सव का उद्घाटन किया।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 10 अगस्त को कार्यक्रम के समापन समारोह में शिरकत करेंगे।
दो दिवसीय महोत्सव के दौरान आदिवासी कला, संस्कृति, परंपरा और साहित्य से संबंधित कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित की जाएगी।
इस आयोजन में खेल, पैनल चर्चा, सेमिनार, प्रदर्शनियां और आदिवासी फैशन शो आयोजित किए जाते हैं।
महोत्सव में आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, सिक्किम और उत्तर पूर्व के कलाकारों ने भाग लिया।
कार्यक्रम का उद्देश्य आदिवासी सभ्यता और संस्कृति को राष्ट्रीय मंच पर ले जाना है।
झारखंड के अन्य महोत्सव
सरहुल - यह वसंत ऋतु के दौरान मनाया जाता है जब साल के पेड़ों की शाखाओं पर नए फूल लगते हैं।
इसमें ग्राम देवता की पूजा की जाती है जिन्हें जनजातियों का रक्षक माना जाता है।
करम / कर्म - यह शक्ति और यौवन के देवता करम देवता की पूजा है। यह भाद्र मास में चंद्रमा की 11 तारीख को आयोजित किया जाता है। युवा ग्रामीणों के समूह जंगल में जाते हैं और लकड़ी, फल और फूल इकट्ठा करते हैं जो पूजा के काम आता है।
तुसु परब या मकर - यह त्यौहार ज्यादातर जाहरखंड के बुंदू, तामार और रैडीह क्षेत्र के बीच के क्षेत्र में होता है। यह पूस माह के अंतिम दिन सर्दियों के दौरान आयोजित होने वाला फसल उत्सव है।
रोहिणी - यह शायद झारखंड का पहला त्योहार है। यह खेत में बीज बोने का त्योहार है। रोहिणी के साथ कुछ अन्य त्यौहार जैसे राजसावाला अम्बावती और चितगोम्हा भी मनाए जाते हैं।
भगत परब - यह वसंत और गर्मियों की अवधि के बीच आता है। इसे बुद्ध बाबा की पूजा के रूप में जाना जाता है।
सोहराई - यह गाय और भैंस जैसे घरेलू पशुओं की देखभाल के लिए जाना जाता है। यह दीपावली के तुरंत बाद, अमावस्या के दिन मनाया जाता है।
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