प्राकृतिक खेती सम्मेलन सूरत में आयोजित किया गया
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प्राकृतिक खेती सम्मेलन का आयोजन 10 जुलाई, 2022 को सूरत, गुजरात में किया गया।
महत्वपूर्ण तथ्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल मोड में सम्मेलन को संबोधित किया और कहा कि ‘सबका प्रयास’ भारत के विकास को बढ़ावा देने का आधार है।
इसमें हजारों किसानों और अन्य हितधारकों की भागीदारी देखी गई, जिन्होंने सूरत में प्राकृतिक खेती को सफलतापूर्वक अपनाया है।
इस अवसर पर, प्रधानमंत्री ने “प्राकृतिक खेती मॉडल” के महत्व पर प्रकाश डाला।
प्राकृतिक खेती लाखों लोगों को भोजन उपलब्ध करवाने में मदद करती है।
यह लोगों को घातक बीमारियों से भी बचाती है, जो कीटनाशकों और रसायनों के कारण होती हैं।
प्राकृतिक खेती
प्राकृतिक खेती पशुधन पर आधारित एक पारंपरिक स्वदेशी कृषि पद्धति है।
यह किसी भी रासायनिक उर्वरक या कीटनाशक या जैविक खाद, वर्मीकम्पोस्ट, जैव उर्वरक, जैव-कीटनाशकों का उपयोग नहीं करती है।
यह खेती, खेती की लागत को कम करने के उद्देश्य से की जाती है और इस प्रकार यह ज्यादातर छोटे और सीमांत किसानों को लाभ प्रदान करती है।
भारत में प्राकृतिक खेती को परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) के अंतर्गत भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति कार्यक्रम (BPKP) के रूप में प्रोत्साहित किया जा रहा है।
वर्ष 2022-23 के बजट में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना को 10,433 करोड़ रुपए का 4.2 गुना (पिछले वर्ष की तुलना में) अधिक आवंटन प्राप्त हुआ है जो रसायन-मुक्त खेती के ज़मीनी कार्यान्वयन हेतु धन निर्धारित करेगा।
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