ऋणों के एकमुश्त निपटान पर कोई टीडीएस नहीं: सीबीडीटी
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केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 13 सितंबर 2022 को जारी एक सर्कुलर में स्पष्ट किया है कि बैंकों को एकमुश्त निपटान (ओटीएस) या ऋण माफी पर स्रोत पर 10 प्रतिशत कर कटौती (टीडीएस) काटने की आवश्यकता नहीं है।
सीबीडीटी ने कहा कि किसी बैंक द्वारा ऋण माफी याओटीएस को लाभ या अनुलाभ के रूप में नहीं माना जाएगा और स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) का सामना नहीं करना पड़ेगा। इससे बैंकों पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा।
महत्वपूर्ण तथ्य -
किसे फायदा होगा ?
- टीडीएस से इस छूट में सार्वजनिक वित्तीय संस्थान, अनुसूचित बैंक, सहकारी बैंक, ग्रामीण विकास बैंक, राज्य वित्तीय निगम और राज्य औद्योगिक निवेश निगम शामिल हैं।
अन्य जिन्हें टीडीएस से छूट प्राप्त है :
- टीडीएस प्रावधान किसी कंपनी द्वारा जारी किए गए बोनस/राइट्सशेयर जारी करने पर लागू नहीं होंगे, जहां कंपनी के सभी शेयरधारकों को बोनस/राइट्स शेयर जारी किए जाते हैं।
कांसेप्ट जाने :
एकमुश्त निपटान(वन टाइम सेटलमेंट ) :
- यह एक ऐसी योजना है जो उन चूककर्ताओं को पेश की जाती है जो अपने ऋणों को चुकाने में असमर्थ हैं और निकट भविष्य में ऋण वापस करने के लिए पर्याप्त संसाधन उत्पन्न करने के लिए सक्षम प्रतीत नहीं होते है।
- इस प्रकार के लोन सेटलमेंट में बैंक अक्सर लोन पर हेयरकट्स लेते हैं।
ऋण निपटान पर हेयरकट्स :
- हेयरकट्स का सीधा सा मतलब है कि बैंक अपनी बकाया राशि से कम स्वीकार करने को तैयार हैं। उदाहरण के लिए यदि व्यक्ति पर बैंक का 100 रुपये बकाया है तो बैंक उधारकर्ता से 80 रुपये स्वीकार करता है और ऋण ख़तम कर देता है। यहां बैंक 20% हेयर कट ले रहा है।
स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) :
- इसे टैक्स चोरी रोकने के लिए इनकम टैक्स एक्ट 1961 के तहत लाया गया था।
- इस पद्धति के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति (कटौती करनेवाला/ डिडक्टर) किसी अन्य व्यक्ति को भुगतान करने के लिए ज़िम्मेदार है तो वह सोर्स (स्त्रोत) पर टैक्स में डिडक्शन (कटौती) कर शेष रकम डिडक्टी को ट्रान्स्फर करेगा। काटी गई टीडीएस राशि केंद्रीय सरकार को भेज दी जाती है।
- फॉर्म 26एएस या डिडक्टर (कटौती करनेवाले) द्वारा जारी किए गए टीडीएस सर्टिफिकेट (प्रमाणपत्र) में डिडक्टी टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (टीडीएस) राशि की जाँच कर सकता है।
- उदाहरण के लिए एक व्यक्ति एक बैंक के साथ एक सावधि जमा खोलता है और एक राशि जमा करता है। अगर जमा राशि पर ब्याज आय 5000 रुपये प्रति वर्ष से अधिक है तो बैंक ब्याज राशि पर 10% टीडीएस काटेगा। तो अगर उस व्यक्ति की ब्याज आय 6000 रुपये प्रति वर्ष है तो बैंक 1000x10% = 100 रुपये टीडीएस काटेगा।
- यहांबैंक कटौती करनेवाला/ डिडक्टर है जबकि जमाकर्ता डिडक्टीहै।
- अलग-अलग वित्तीय लेनदेन के लिए टीडीएस की दरें अलग-अलग हैं।
बोनस इशू :
- जब कोई कंपनी लाभांश के रूप में अपने मौजूदा शेयरधारक को कंपनी का नया शेयर जारी करती है तो इसे बोनस इश्यू कहा जाता है।
राइट्स इशू :
- जब कोई कंपनी सिर्फ अपने मौजूदा शेयरधारकों को कुछ कीमत पर नए शेयर जारी करती है, तो इसे राइट इश्यू कहा जाता है।
अतिरिक्त जानकारी -
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) :
- केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड केंद्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम, 1963 के तहत कार्यरत एक सांविधिक प्राधिकरण है।
- सीबीडीटी वित्त मंत्रालय में राजस्व विभाग का एक हिस्सा है।
- एक तरफ, सीबीडीटी भारत में प्रत्यक्ष करों की नीति और नियोजन के लिए आवश्यक इनपुट प्रदान करता है, साथ ही यह आयकर विभाग के माध्यम से प्रत्यक्ष कर कानूनों के प्रशासन के लिए भी जिम्मेदार है।
- अध्यक्ष : नितिन गुप्ता
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