सरस मेले में भाग लेने के लिए भारत-तिब्बत सीमा से लगे अंतिम भारतीय गांव माणा पहुंचे पीएम मोदी

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‘Saras Mela’

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने  21 अक्टूबर, 2022 को उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव में  आयोजित 'सरस मेले' में शामिल हुए। सरस्वती नदी के तट पर स्थित माणा गाँव को उत्तराखंड में भारत-तिब्बत सीमा के साथ अंतिम भारतीय गाँव के रूप में भी जाना जाता है, जो बद्रीनाथ शहर से सिर्फ 3 किलोमीटर दूर है।

सरस मेला आम तौर पर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा पूरे भारत में एक विशेष राज्य को केन्द्रित कर आयोजित किया जाता है। मेले में महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) द्वारा बनाए गए उत्पादों को प्रदर्शित किया जाता है और सांस्कृतिक गतिविधियां भी आयोजित की जाती हैं।

हालाँकि यह सरस मेला स्थानीय स्तर पर स्थानीय महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी के साथ आयोजित किया गया था। पीएम मोदी ने स्थानीय कारीगरों से भी बातचीत की और मेले में स्टालों का दौरा किया।

उन्होंने करीब एक हजार करोड़ रुपये की सड़क चौड़ीकरण परियोजनाओं की आधारशिला रखी।

दो सड़क चौड़ीकरण परियोजनाएं - माणा से माणा दर्रा (एनएच07) और जोशीमठ से मलारी (एनएच107बी) तक, न केवल सीमावर्ती क्षेत्रों को तक हर मौसम में सड़क संपर्क प्रदान करेगी बल्कि यह सड़क रक्षा बलों के लिए  भी रणनीतिक महत्व रखती है।

प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उत्तराखंड के राज्यपाल सेवानिवृत्त जनरल गुरमीत सिंह के साथ बद्रीनाथ मंदिर जो चमोली जिलेमें स्थित है , का दर्शन किया ।

केदारनाथ

बद्रीनाथ मंदिर जाने से पहले पीएम मोदी ने रुद्रप्रयाग में केदारनाथ मंदिर का दौरा किया जो भगवान शिव को समर्पित है।

रोपवे परियोजना

प्रधान मंत्री मोदी in अपने उत्तराखंड दौरे के दौरानदो रोपवे परियोजना की आधारशिला रखी। दोनों रोपवे परियोजनाएं 2430 करोड़ की लागत से बन रही हैं।

केदारनाथ में उन्होंने केदारनाथ रोपवे परियोजना की आधारशिला रखी।

केदारनाथ में रोपवे लगभग 9.7 किलोमीटर लंबा होगा और गौरीकुंड को केदारनाथ से जोड़ेगा

चमोली जिले में हेमकुंड रोपवे  गोविंदघाट को हेमकुंड साहिब से जोड़ेगा। यह लगभग 12.4 किलोमीटर लंबा होगा और यात्रा के समय को एक दिन से कम करके केवल 45 मिनट तक ही सीमित कर देगा। यह रोपवे घांघरिया को भी जोड़ेगा, जो फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान का प्रवेश द्वार है।

उत्तराखंड

उत्तराखंड का गठन 9 नवंबर 2000 को भारत के 27वें राज्य के रूप में हुआ था। इसका निर्माण उत्तर प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों को अलग कर किया गया था।

यह उत्तर में चीन (तिब्बत) और पूर्व में नेपाल के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है। इसके उत्तर-पश्चिम में हिमाचल प्रदेश है, जबकि दक्षिण में उत्तर प्रदेश है।

यह राज्य देवभूमि के नाम से भी प्रसिद्ध है।

इसमें कुल 13 जिले हैं।

आधिकारिक राज्य प्रतीक

राज्य पशु – कस्तूरी मृग

राज्य पुष्प – ब्रह्म कमल

राज्य वृक्ष – बुरांश (रोडोडेंड्रोन)

राज्य पक्षी – मोनाली

स्टेट इंस्ट्रूमेंट – ढोल

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