पेरारीवलन की याचिका में राष्ट्रपति की कोई भूमिका नहीं : सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में उम्रकैद के तहत 30 से अधिक साल जेल में काट चुके एजी पेरारिवलन को रिहा करने के राज्य मंत्रिमंडल के फैसले को मानने के लिए तमिलनाडु के राज्यपाल बाध्य हैं। 

  • सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के इस सुझाव से असहमति जताई कि अदालत को राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका पर फैसला लेने तक इंतजार करना चाहिए।

  • शीर्ष अदालत ने दया याचिका राष्ट्रपति के पास भेजने के राज्यपाल के कदम को खारिज करते हुए कहा कि संविधान के खिलाफ कुछ हो रहा हो तो आँखें बंद नहीं की जा सकती।

  • प्रासंगिक प्रश्न यह था कि क्या राज्यपाल के पास राष्ट्रपति को दया याचिका भेजने का अधिकार था।

  • संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत, राज्यपाल सितंबर 2018 में तमिलनाडु मंत्रिपरिषद द्वारा दी गई सहायता और सलाह से बाध्य थे।

  • राज्यपाल को प्रथम दृष्टया राष्ट्रपति को दया याचिका स्थानांतरित करने का कोई अधिकार नहीं था।

  • संविधान का अनुच्छेद 161

  • संविधान का अनुच्छेद 161 राज्यपाल को किसी भी कैदी की सजा को माफ करने या कम करने की शक्ति प्रदान करता है।

  • राज्यपाल का निर्णय संवैधानिक न्यायालयों द्वारा न्यायिक समीक्षा के अधीन होगा।

  • क्षमा दान क्या है?

  • क्षमा एक सरकार/कार्यकारी निर्णय है जो किसी व्यक्ति को किसी कथित अपराध या अन्य कानूनी अपराध के लिए अपराध से मुक्त करने की अनुमति देता है जैसे कि अपराधी से अपराध कभी हुआ ही नहीं।

  • राष्ट्रपति और राज्यपाल की क्षमादान शक्तियों के बीच अंतर

  • राज्यपाल की शक्तियां उस मामले से संबंधित कानून के खिलाफ अपराधों तक सीमित हैं, जिस पर राज्य की कार्यकारी शक्ति का विस्तार होता है।

  • राज्यपाल मौत की सजा को माफ नहीं कर सकता लेकिन राष्ट्रपति मौत की सजा को माफ कर सकता है।

  • कोर्ट-मार्शल द्वारा सजा या सजा के संबंध में राज्यपाल क्षमा, राहत, निलंबन, छूट या कम्यूटेशन नहीं दे सकता है। लेकिन राष्ट्रपति ऐसा कर सकते हैं।

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