अडानी-हिंडनबर्ग मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित सप्रे समिति ने रिपोर्ट प्रस्तुत की
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सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को हिंडनबर्ग-अडानी मामले में अदालत द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ पैनल की रिपोर्ट सार्वजनिक की।
खबर का अवलोकन
अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी 2023 को रिपोर्ट जारी कर अडानी ग्रुप की कंपनियों को ओवरवैल्यूड बताया था और अकाउंट्स में हेरफेर का आरोप लगाया था।
हालांकि, हिंडनबर्ग के आरोपों को अडानी ग्रुप ने खारिज कर दिया था।
लेकिन विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर जमकर बवाल मचाया और जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो सर्वोच्च न्यायालय ने जांच के लिए एक विशेष कमेटी गठित की थी।
रिपोर्ट की मुख्य बातें
रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी समूह ने सभी लाभकारी मालिकों का खुलासा किया है।
सेबी ने ऐसा कोई आरोप नहीं लगाया गया कि वे अडानी के लाभकारी मालिकों की घोषणा को खारिज कर रहे हैं।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद अडानी की रिटेल हिस्सेदारी में इजाफा हुआ है।
रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि मौजूदा नियमों या कानूनों का प्रथम दृष्टया किसी भी तरह का उल्लंघन नहीं पाया गया है।
सप्रे समिति
गठित - सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2 मार्च 2023 को
अध्यक्ष - सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे (सेवानिवृत्त)।
समिति के सदस्य - ओपी भट्ट, न्यायमूर्ति जे पी देवधर (सेवानिवृत्त), नंदन नीलेकणि, के वी कामथ और सोमशेखर सुंदरेसन
समिति का उद्देश्य - हिंडनबर्ग रिपोर्ट के मद्देनजर अडानी समूह द्वारा प्रतिभूति कानून के किसी भी उल्लंघन की जांच करना।
सर्वोच्च न्यायालय ने रिपोर्ट सार्वजनिक की - 19 मई को
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