सुप्रीम कोर्ट ने चेक बाउंस के मामलों के लिए 25 विशेष अदालतों के गठन का आदेश दिया
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चेक बाउंस के लंबित मामलों के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने एक पायलट अध्ययन को हरी झंडी दे दी, जिसमें मामलों को विशेष रूप से निपटाने के लिए सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों की अध्यक्षता में विशेष अदालतें स्थापित की जाएंगी I
पायलट अध्ययन 1 सितंबर, 2022 से 31 अगस्त, 2023 तक 1 वर्ष की अवधि के लिए आयोजित किया जाएगा I
25 विशेष अदालतें महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के पांच-पांच जिलों में बनाई जाएंगी, जहां चेक बाउंस के सबसे ज्यादा मामले लंबित हैं I
एक साल के कामकाज का मूल्यांकन करने के बाद इन अदालतों का देशभर में विस्तार किया जायेगा I
पायलट अध्ययन के लिए स्थापित विशेष अदालतें मुकदमे के संबंध में उसी प्रक्रिया का पालन करेंगी जैसा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 द्वारा अनिवार्य है I
ये विशेष अदालतें नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट के तहत इन मामलों का निपटारा करेंगी।
पूरे देश में चेक बाउंस के 44 लाख मामले लंबित हैं इसमें सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में लंबित हैं I
भारत का सर्वोच्च न्यायालय
भारत का सर्वोच्च न्यायालय 28 जनवरी 1950 को अस्तित्व में आया था।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय का गठन भारत के संविधान के भाग V के अध्याय IV के अनुसार किया गया था। भारतीय संविधान का चौथा अध्याय "संघ न्यायपालिका" है।
भारत का मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय का प्रमुख होता है, जिसमें अधिकतम 34 न्यायाधीश होते हैं I
सुप्रीम कोर्ट से संबंधित प्रमुख अनुच्छेद
अनुच्छेद 124 - भारत के सर्वोच्च न्यायालय का गठन और स्थापना
अनुच्छेद 129 - सर्वोच्च न्यायालय को अभिलेख न्यायालय होना
अनुच्छेद 132, 133, 134 - सर्वोच्च न्यायालय का अपीलीय क्षेत्राधिकार अधिकृत है
अनुच्छेद 135 - संघीय न्यायालय की शक्ति सर्वोच्च न्यायालय को दी गई है
अनुच्छेद 138 - सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र के विस्तार से संबंधित
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश - जस्टिस नाथुलापति वेंकट रमन्ना (48वें)
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