सुप्रीम कोर्ट ने सेक्स वर्क को 'पेशे' के रूप में मान्यता दी

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सुप्रीम कोर्ट ने वेश्यावृत्ति को पेशा माना है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि पुलिस इसमें दखलंदाजी नहीं कर सकती और न ही सहमति से यह काम करने वाले सेक्स वर्करों के खिलाफ कोई कार्रवाई कर सकती है। 

  • सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

  • सेक्स वर्क एक पेशा है और इसके व्यवसायी कानून के तहत सम्मान और समान सुरक्षा के हकदार हैं।

  • संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत इस देश के प्रत्येक व्यक्ति को सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार है।

  • आपराधिक कानून सभी मामलों में 'आयु' और 'सहमति' के आधार पर समान रूप से लागू होना चाहिए।

  • न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने आदेश दिया कि जब भी किसी वेश्यालय पर छापा मारा जाए तो यौनकर्मियों को गिरफ्तार या दंडित या परेशान या पीड़ित नहीं किया जाना चाहिए।

  • संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्तियों को लागू करने के बाद यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस आदेश को पारित किया गया।

  • यौनकर्मी भी यौन उत्पीड़न का शिकार हो सकते हैं, उन्हें तत्काल चिकित्सा-कानूनी देखभाल सहित हर सुविधा प्रदान की जानी चाहिए।

  • संवैधानिक संरक्षण

  • 2014 में संशोधित भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 में निम्नलिखित प्रावधान शामिल हैं -

  1. मानव तस्करी और इसी तरह के अन्य प्रकार के जबरन श्रम निषिद्ध हैं।

  2. इस प्रावधान का कोई भी उल्लंघन कानून के अनुसार दंडनीय अपराध होगा।

  3. इस अनुच्छेद में कुछ भी राज्य को सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए अनिवार्य सेवा लागू करने से नहीं रोकेगा।

  4. ऐसी सेवा लागू करने से राज्य केवल धर्म, मूलवंश, जाति या वर्ग या इनमें से किसी के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा।

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