सुप्रीम कोर्ट ने नीट दाखिले में ओबीसी कोटे की वैधता बरकरार रखी

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उच्चतम न्यायालय ने स्नातक और स्नातकोत्तर चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश (नीट) अखिल भारतीय कोटा (एआईक्यू) सीटों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27% कोटा प्रदान करने की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है, इस टिप्पणी के साथ कि "उच्च अंक योग्यता के लिए एकमात्र मानदंड नहीं हैं" ।


  • इसने 2021-22 के लिए नीट स्नातक और स्नातकोत्तर प्रवेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण की अनुमति देने वाले अपने 7 जनवरी के आदेश को बरकरार रखा ।
  • सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के सरकारी चिकित्सा संस्थानों में ऑल इंडिया कोटे (एआईक्यू) सीटों पर केंद्र सरकार द्वारा ओबीसी और ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण को चुनौती देने वाली अगस्त 2021 में डॉक्टरों द्वारा दायर याचिका पर अपना फैसला दिया।

उच्चतम न्यायालय के फैसले के मुख्य बिंदु

  • अदालत ने यह भी फैसला सुनाया कि नीट-पीजी में प्रवेश के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) मापदंड पर कोई रोक नहीं होगी और मौजूदा मापदंड (8 लाख रुपये सकल वार्षिक आय कट ऑफ) चालू प्रवेश वर्ष पर लागू होंगे ।
  • उच्चतम न्यायालय ने कहा कि एआईक्यू को आरक्षण प्रदान करना एक नीतिगत निर्णय है जो न्यायिक समीक्षा के अधीन नहीं होगा। ओबीसी कोटा शुरू करने से पहले केंद्र सरकार को कोर्ट की पूर्व सहमति लेने की जरूरत नहीं थी।
  • अदालत ने यह भी कहा कि राज्य सरकार को संविधान के अनुच्छेद 15 (4) और (5) के तहत आरक्षण देने का अधिकार है और यह अनुच्छेद 15 (1) का अपवाद नहीं है जिसमें यह प्रावधान है कि "राज्य किसी भी नागरिक के साथ केवल धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्म स्थान या उनमें से किसी के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा" ।
  • अदालत ने कहा कि राज्य सरकार की ओबीसी के लिए आरक्षण नीति बनाने की शक्ति संविधान के अनुच्छेद 15 (1) में प्रकट होने वाली 'मौलिक समानता' के सिद्धांत को परिलक्षित करता है| 

ईडब्ल्यूएस श्रेणी को 10 फीसद कोटा देने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मार्च 2022 के तीसरे सप्ताह में अंतिम सुनवाई होगी।

1 दिसंबर 2021 और 10 जनवरी 2022 की पोस्ट भी देखें

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