आंध्र प्रदेश राज्य विधानसभा ने केंद्र से 2021 की जनगणना में जाति आधारित जनगणना को शामिल करने का आग्रह किया है।
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आंध्र प्रदेश विधानसभा ने 2021 के लिए सामान्य जनगणना आयोजित करते हुए केंद्र से अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अल्पसंख्यकों के साथ-साथ नागरिकों के सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की जातिवार जनगणना आयोजित करने का आग्रह किया।
भारत में जाति जनगणना
- भारत में पहली जाति जनगणना 1881 में हुई थी
- आजादी से पहले 1931 में आखिरी जाति जनगणना हुई थी।
- स्वतंत्रता के बाद, जनगणना के आंकड़ों में हर दस साल के बाद होने वाली भारत की सामान्य जनगणना में अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जाति की जनगणना शामिल थी।
- आजादी के बाद पहली बार 2011 की जनगणना में सभी जातियों के लिए जातिगत जनगणना हुई थी।
- 2011 की जाति जनगणना का शीर्षक "सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना 2011 (SECC)" था।
- डेटा में विसंगति के कारण, केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय ने SECC डेटा की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया था। समिति के अध्यक्ष श्री अरविन्द पंगरिया थे।
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