महान भारतीय फुटबॉलर तुलसीदास बलराम का 86 वर्ष की आयु में निधन

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देश के बेहतरीन फुटबॉलरों में से एक और भारतीय फुटबॉल के स्वर्ण युग (1951-1962) के सदस्य तुलसीदास बलराम का 16 फरवरी को कोलकाता में मल्टीपल ऑर्गन फेलियर के कारण निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे।

खबर का अवलोकन 

  • उन्होंने 1956 और 1960 में दो ओलंपिक खेले और एशियाई फुटबॉल के शिखर पर पहुंचे जब महान कोच सैयद अब्दुल रहीम के मार्गदर्शन में भारत ने 1962 में दक्षिण कोरिया को 2-1 से हराकर जकार्ता में एशियाई खेलों का स्वर्ण जीता।

  • वह 1956 और 1960 ओलंपिक में भारतीय फुटबाल टीम में शामिल थे। 

  • 1960 के रोम ओलंपिक में उन्होंने हंगरी और पेरु के खिलाफ शानदार प्रदर्शन किया और गोल दागे।

  • उन्होंने ने कोलकाता की मशहूर फुटबाल क्लब ईस्ट बंगाल की भी कप्तानी की।

  • उन्हें चुन्नी गोस्वामी, पीके बनर्जी और तुलसीदास बलराम ‘होली ट्रिनिटी’ (त्रिमूर्ति) के नाम से पुकारा जाता था।

  • अर्जुन पुरस्कार से नवाजे जा चुके बलराम का 1960 रोम ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन रहा। 

  • हंगरी, फ्रांस और पेरू के साथ ‘ग्रुप ऑफ डेथ’ में शामिल भारत को पहले मैच में हंगरी से 1-2 से हार मिली थी, उस मैच में बलराम ने 79वें मिनट में गोल करके अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज कराया।

  • बलराम ‘सेंटर फॉरवर्ड’ या ‘लेफ्ट विंगर’ के तौर पर खेलते थे। 

  • तपेदिक रोग के कारण उनका करियर मात्र 8 साल (1955 से 1963) तक ही चला और उन्हें 27 साल की उम्र में ही खेल को अलविदा कहना पड़ा। 

  • सिकंदराबाद के गैरीसन शहर के अम्मुगुडा गांव में 4 अक्टूबर 1936 को तमिल परिवार में जन्में बलराम ने सात सीजन में भारत के लिए 14 समेत 131 गोल किए।


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