यूएस ट्रेजरी ने भारत को अपनी करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट से हटाया

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US Treasury removes India

अमेरिकी ट्रेजरी विभाग (अमेरिकी वित्त मंत्रालय) ने 11 नवंबर 2022 को इटली, मैक्सिको, थाईलैंड और वियतनाम के साथ भारत को अपनी मुद्रा निगरानी सूची से हटा दिया है।

ट्रेजरी विभाग ने कांग्रेस को अपनी द्विवार्षिक रिपोर्ट के अनुसार  चीन, जापान, कोरिया, जर्मनी, मलेशिया, सिंगापुर और ताइवान सात अर्थव्यवस्थाएं हैं जो अभी भी मुद्रा निगरानी सूची  का हिस्सा हैं।

भारत को पहली बार 2018 में मुद्रा निगरानी सूची में रखा गया था और बाद में उसे इस सूची से  हटा दिया गया था, लेकिन अप्रैल 2021 में इसे फिर से सूची में डाल दिया गया था ।

ट्रेजरी विभाग के  रिपोर्ट में  कहा गया है कि जिन देशों को सूची से हटा दिया गया है, वे लगातार दो रिपोर्टों में , तीन मानदंडों में से केवल एक को पूरा कर पाए हैं।

मुद्रा निगरानी सूची क्या है?

संयुक्त राज्य अमेरिका के 2015 के अधिनियम के तहत ट्रेजरी विभाग को संयुक्त राज्य अमेरिका के  कांग्रेस (अमेरिकी संसद) को एक अर्ध-वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होती है।

इस रिपोर्ट में उन संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रमुख व्यापारिक भागीदारों का उल्लेख किया जाता है जो जान - बूझकर अपने मुद्रा की कीमत काम रखते हैं ताकि व्यापार में उनको अनुचित लाभ मिले।

मुद्रा हेरफेर का मतलब है कि देश जानबूझकर अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में अपनी मुद्रा का मूल्य कम रखता है ताकि उसके निर्यात किए गए सामान की कीमत कम रखी जा सके और इसलिए उसके निर्यात को बढ़ावा मिल सके।

2015 के अधिनियम में तीन मानदंडों में से दो को पूरा करने वाली अर्थव्यवस्था को निगरानी सूची में रखा गया है। ये मानदंड इस प्रकार हैं:

  • उस देश का संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एक बड़ा व्यापार अधिशेष होगा।
  • वह देश लगातार विदेशी मुद्रा बाजार में 12 महीनों में से कम से कम छह महीनों में विदेशी मुद्रा की खरीद करता हो और विदेशी मुद्रा की शुद्ध खरीद देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 2% से अधिक हो।
  • देश का चालू खाता अधिशेष सकल घरेलू उत्पाद का कम से कम 3% हो।


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