उपराष्ट्रपति ने मीडिया से न्यायपालिका के बारे में रिपोर्टिंग करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतने को कहा
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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 18 सितंबर को जबलपुर, मध्य प्रदेश में आयोजित पहले 'न्यायमूर्ति जे एस वर्मा स्मृति व्याख्यान' में मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में मीडिया से न्यायपालिका के बारे में रिपोर्टिंग करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतने का आग्रह किया।
महत्वपूर्ण तथ्य -
उन्होंने कहा कि हमें न्यायाधीशों की गरिमा और न्यायपालिका के लिए सम्मान को बनाये रखना चाहिए, क्योंकि ये कानून के शासन और संवैधानिकता के मूल सिद्धांत हैं।
उन्होंने कहा कि एक मजबूत, निष्पक्ष और स्वतंत्र न्याय प्रणाली लोकतांत्रिक मूल्यों के फलने-फूलने और प्रभावी होने की गारंटी है।
पहले 'न्यायमूर्ति जे एस वर्मा स्मृति व्याख्यान' में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने मुख्य व्याख्यान दिया।
स्मृति व्याख्यान के बाद उपराष्ट्रपति ने राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
अतिरिक्त जानकारी -
जस्टिस जे एस वर्मा :
न्यायमूर्ति जगदीश शरण वर्मा 25 मार्च 1997 से 18 जनवरी 1998 तक भारत के मुख्य न्यायाधीश थे।
14 जून 1986 को उन्हें मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
उन्हें 1 सितंबर 1986 को राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरित कर दिया गया था।
उन्हें दो बार राजस्थान का कार्यवाहक राज्यपाल नियुक्त किया गया था।
2013 में न्यायमूर्ति जे एस वर्मा समिति ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न संबंधी कानूनों में व्यापक बदलाव की सिफारिश की।
पैनल का गठन 2012 में 16 दिसंबर के निर्भया गैंगरेप के बाद किया गया था, जिसने 2013 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।
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