यक्षगान भागवत बलिपा नारायण भागवत का कर्नाटक में 85 वर्ष की आयु में निधन
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मशहूर यक्षगान गायक और पटकथा लेखक बलिपा नारायण भागवत का 16 फरवरी को कर्नाटक में निधन हो गया।
खबर का अवलोकन
गायन की एक अनूठी शैली में उन्होंने महारत हासिल की थी, जिसकी वजह से प्रशंसकों ने इस शैली को 'बालिपा शैली' का नाम दिया था।
शानदार आवाज के धनी भागवत ने 30 से अधिक यक्षगान 'प्रसंग' (लिपियाँ) लिखी हैं।
वह 100 से अधिक यक्षगान प्रसंगों में पारंगत थे, जिन्हें उन्होंने खुद से बनाया था।
उन्होंने लगभग 60 वर्षों तक यक्षगान के क्षेत्र में सेवा की थी।
वे कतील दुर्गापरमेश्वरी प्रसादिता यक्षगान मंडली (कतील मेला) के प्रमुख भागवत थे।
13 अप्रैल, 1938 को कासरगोड जिले (केरल) के पड्रे गांव में पैदा हुए भागवत ने कई यक्षगान प्रसंग लिखे थे।
भागवत ने 13 साल की उम्र में यक्षगान क्षेत्र में प्रवेश किया था।
उन्होंने पांच दिवसीय 'देवी महात्मे' प्रसंग की रचना की थी, जो यक्षगान साहित्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था।
उन्हें 2002 में अखिल भारतीय कन्नड़ साहित्य में 'कर्नाटक श्री' पुरस्कार सहित कई अन्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
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