1. भारत सॉवरेन फंड निवेशकों के लिए एक शीर्ष निवेश गंतव्य के रूप में उभरा
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अमेरिकी एसेट मैनेजमेंट कंपनी इंवेस्को की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2022 में सॉवरेन वेल्थ फंड और पब्लिक पेंशन फंड के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद दूसरा सबसे पसंदीदा निवेश बाजार बनकर उभरा है।
इंवेस्को की ग्लोबल सॉवरेन एसेट मैनेजमेंट स्टडी ,सॉवरेन वेल्थ फंड्स और पब्लिक पेंशन फंड्स के 139 मुख्य निवेश अधिकारियों की राय पर आधारित है।
इंवेस्को के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका सॉवरेन वेल्थ फंड्स और पब्लिक पेंशन फंड्स के लिए शीर्ष स्थान पर बना रहा, लेकिन जोखिम को संतुलित करने के लिए कई फंड मैनेजर उभरते बाजारों में निवेश करना चाहते हैं। उभरते बाजारों में इस बदलाव का सबसे ज्यादा फायदा भारत को हुआ है।
उभरते बाजारों में भारत ने सबसे लोकप्रिय उभरते बाजार के रूप में चीन को पीछे छोड़ दिया है। इस साल चीन को छठवें स्थान पर रखा गया है।
एक मुख्य कारण यह रहा है कि कई फंड चीन में अपने जोखिम को कम कर रहे हैं और भारत के सकारात्मक आर्थिक सुधारों और मजबूत जनसांख्यिकीय प्रोफाइल के कारण वे भारत की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक सॉवरेन निवेशक करीब 33 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति का प्रबंधन करते हैं। पिछले एक दशक में संप्रभु निवेशकों के लिए औसत वार्षिक रिटर्न 6.5% रहा। हालांकि, 2022 में विश्व में उच्च मुद्रास्फीति और सख्त मौद्रिक नीति के कारण लंबी अवधि के अपेक्षित रिटर्न को प्रभावित कर सकता है।
सॉवरिन वेल्थ फंड (एसडब्ल्यूएफ)
संप्रभु का अर्थ है किसी देश की सरकार। इस प्रकार सॉवरिन वेल्थ फंड (एसडब्ल्यूएफ) एक देश की सरकार के स्वामित्व वाला फंड है। यह आम तौर पर एक अधिशेष धन होता है जो सरकार के पास होता है और इसका उपयोग निवेश पर बेहतर रिटर्न के लिए अन्य देशों के शेयर या ऋण बाजार में निवेश करने के लिए किया जाता है।
इसका प्रबंधन या तो सरकार द्वारा स्थापित कंपनी द्वारा किया जाता है या इसका प्रबंधन देश के केंद्रीय बैंक द्वारा किया जाता है।
एसडब्ल्यूएफ को दीर्घकालिक निवेशक माना जाता है।
भारत में एक एसडब्ल्यूएफ स्थापित करने का प्रस्ताव कई बार दिया गया है लेकिन आज तक ऐसा कोई फंड स्थापित नहीं किया गया है।
कुछ प्रसिद्ध और सबसे बड़े एसडब्ल्यूएफ हैं:
नॉर्वे सरकार पेंशन फंड ग्लोबल, चीन निवेश निगम, अबू धाबी निवेश प्राधिकरण।
2. कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायव को राष्ट्रपति के रूप में फिर से चुना गया
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कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायव को कजाकिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में फिर से निर्वाचित किया गया है। कजाकिस्तान चुनाव आयोग के अनुसार, उन्होंने 20 नवंबर 2022 को हुए राष्ट्रपति चुनाव में 81.31% वोट हासिल किए हैं ।
कासिम-जोमार्ट टोकायव 29 मार्च 2019 को कजाकिस्तान के पहले राष्ट्रपति नूर सुल्तान नज़रबायेव के इस्तीफे के बाद कजाकिस्तान के राष्ट्रपति बने थे। 6 सितंबर 2022 को कजाकिस्तान के संविधान में संशोधन किया गया और राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 साल से बढ़ाकर 7 साल कर दिया गया और एक व्यक्ति केवल एक बार कजाकिस्तान का राष्ट्रपति बन सकता है।चूंकि संविधान संशोधन को एक नया संविधान माना जा रहा है। इसीलिए तोकायेव 20 नवंबर 2022 को हुए राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के योग्य हो गए। राष्ट्रपति के रूप में उनके पहले के कार्यकाल की गणना नहीं की जा रही है।
कजाकिस्तान सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था, जो सोवियत संघ के विघटन के बाद 16 दिसंबर 1991 को स्वतंत्रता हो गया।
यह मध्य एशिया में स्थित है। यह मध्य एशिया का सबसे बड़ा देश और दुनिया का 9वां सबसे बड़ा देश है।
राजधानी: अस्ताना
मुद्रा: तेंगे (Tenge)
3. नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स 2022 में भारत ने 61वां स्थान प्राप्त किया
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हाल ही में जारी नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स 2022 (एनआरआई 2022) में भारत ने अपनी रैंक में 6 स्थानों का सुधार कर 61वें स्थान पर पहुंच गया है। अमेरिका स्थित गैर-लाभकारी संस्था पोर्टुलन्स इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में भारत की तारीफ की गई है और कहा गया है कि "भारत के पास अपनी आय के स्तर को देखते हुए उम्मीद से कहीं अधिक नेटवर्क तत्परता है"।
नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स के अलग-अलग चार स्तंभ; प्रौद्योगिकी, लोग, शासन और प्रभाव में 58 वेरिएबल पर 131 देशों की रैंक की जाती है ।
भारत का प्रदर्शन
- भारत ने अपना स्कोर 2021 में 49.74 से सुधार कर 2022 में 51.19 कर लिया।
- भारत ने "एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) प्रतिभा एकाग्रता" में पहला स्थान, "देश के भीतर मोबाइल ब्रॉडबैंड इंटरनेट ट्रैफिक" व "अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट बैंडविड्थ" में दूसरा स्थान और "दूरसंचार सेवाओं में वार्षिक निवेश" व "घरेलू बाजार आकार" में तीसरा स्थान, "आईसीटी सेवा निर्यात" में चौथा स्थान और "एफटीटीएच बिल्डिंग इंटरनेट सब्सक्रिप्शन" व "एआई वैज्ञानिक प्रकाशन" में 5वां स्थान प्राप्त किया है।
- यूक्रेन (50) और इंडोनेशिया (59) के बाद भारत निम्न-मध्यम-आय वाले देशों के समूह में 36 में से तीसरे स्थान पर है
नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स पर शीर्ष तीन रैंक वाले देश
संयुक्त राज्य अमेरिका 80.3 के समग्र स्कोर के साथ सूची में सबसे ऊपर है। इसके बाद 79.35 के स्कोर के साथ सिंगापुर दूसरे और 78.91 के स्कोर के साथ स्वीडन का स्थान रहा।
एशिया प्रशांत क्षेत्र में, सूची का नेतृत्व सिंगापुर ने किया, उसके बाद दक्षिण कोरिया दूसरे और जापान का स्थान तीसरा रहा।
फुल फॉर्म
एफटीटीएच/FTTH : फाइबर टू द होम( Fiber to the Home)
आईसीटी /ICT: इनफार्मेशन कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (Information Communication Technology )
एआई/ AI: आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence)
4. सरकार ने स्टील पर निर्यात शुल्क वापस लिया
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सरकार ने 19 नवंबर, 2022 से स्टील पर निर्यात शुल्क वापस ले लिया है।
महत्वपूर्ण तथ्य
वित्त मंत्रालय के अधिसूचना के अनुसार लौह अयस्क और विभिन्न स्टील प्रोडक्ट्स पर निर्यात शुल्क को जीरो कर दिया गया है अर्थात अब स्टील प्रोडक्ट्स के निर्यात पर कोई शुल्क नहीं लगेगा।
केंद्र सरकार ने 22 मई, 2022 से पहले की यथास्थिति बहाल कर दी है।
इसके अलावा कम लोहे वाले लौह अयस्क लम्प्स और फाइन्स (जिनमें लौह 58 फीसदी से कम है) पर भी निर्यात शुल्क शून्य किया गया है।
19 नवंबर, 2022 से निम्न नियम प्रभावी होंगे -
लौह अयस्क लम्प्स और फाइन्स (58 प्रतिशत लौह मात्रा) के निर्यात पर शून्य निर्यात शुल्क शून्य होगा।
लौह अयस्क लम्प्स और फाइन्स (58 प्रतिशत लौह मात्रा) के निर्यात पर 30 प्रतिशत कम निर्यात शुल्क लगेगा।
लौह अयस्क पेलेट्स के निर्यात पर निर्यात शुल्क शून्य होगा।
एचएस 7201, 7208, 7209, 7210, 7213, 7214, 7219, 7222 और 7227 के तहत वर्गीकृत पिग आयरन और स्टील उत्पादों के निर्यात पर निर्यात शुल्क शून्य होगा।
एन्थ्रेसाइट/पीसीआई और कोकिंग कोल तथा फेरोनिकेल पर 2.5 प्रतिशत का आयात शुल्क लगेगा।
कोक और सेमी कोक पर 5 प्रतिशत आयात शुल्क लगेगा।
निर्यात शुल्क क्या है?
निर्यात शुल्क एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर है जो भारत में आयातित वस्तुओं के साथ-साथ भारत से निर्यात होने वाले वस्तुओं पर लगाया जाता है।
निर्यात का अर्थ है भारत से माल को दूसरे देशों में ले जाना।
5. शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने राष्ट्रीय स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार 2021-22 प्रदान किया
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शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष सरकार ने 19 नवंबर, 2022 को आकाशवाणी भवन, दिल्ली में राष्ट्रीय स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार 2021-22 प्रदान किया।
महत्वपूर्ण तथ्य
कुल 39 स्कूलों को यह पुरस्कार दिया गया है, जिसमें राष्ट्रीय श्रेणी में पांच और समग्र श्रेणी में 34 स्कूल शामिल हैं।
राष्ट्रीय वर्ग के विजेताओं को 60,000 रुपए और अन्य वर्ग को 20,000 रुपए दिए गए।
राष्ट्रीय आयोग समिति ने इन स्कूलों को पुरस्कारों के लिए चुना है।
स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार की स्थापना शिक्षा मंत्रालय द्वारा स्कूलों में पानी, स्वास्थ्य रक्षा और स्वच्छता में उत्कृष्टता को मान्यता देने के लिए की गई है।
पुरस्कार ग्रामीण और शहरी सरकारी स्कूलों, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों और निजी स्कूलों को प्रदान किए गए।
स्कूलों के प्रदर्शन को मापने के लिए पीने के पानी, शौचालय, साबुन से हाथ धोना, संचालन और रखरखाव, क्षमता निर्माण और कोविड-19 (तैयारी और प्रतिक्रिया) मापदंडों का उपयोग किया गया है।
2014 में, स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय (SBSV) पहल की शुरुआत यह सुनिश्चित करने के लिए की गई थी कि भारत के सभी स्कूलों में लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग कार्यात्मक शौचालयों की सुविधा हो।
राष्ट्रीय स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार के बारे में
यह शिक्षा मंत्रालय द्वारा स्कूलों में स्वच्छता और स्वच्छता प्रथाओं में उत्कृष्टता को पहचानने, प्रेरित करने और मनाने के लिए स्थापित किया गया है।
पुरस्कार का मुख्य उद्देश्य उन स्कूलों को सम्मानित करना है जिन्होंने स्वच्छ विद्यालय अभियान की आवश्यकता को पूरा करने के लिए कदम उठाए हैं।
यह पुरस्कार वॉश अवसंरचना, स्वच्छ प्रथाओं और कोविड-19 उपयुक्त व्यवहार के IT-सक्षम मूल्यांकन पर आधारित है।
6. भारत ने 'फॉर ए सिक्योर एससीओ' की थीम के साथ एससीओ 2023 की आधिकारिक वेबसाइट लॉन्च की
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विदेश मंत्रालय ने एक सुरक्षित एससीओ (SECURE SCO) की थीम के साथ शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की आधिकारिक वेबसाइट लॉन्च की है। वेबसाइट अगले वर्ष भारत की अध्यक्षता में किए जाने वाले कार्यक्रमों के बारे में जानकारी प्रदान करेगा ।
सितंबर में उज्बेकिस्तान के समरकंद में एससीओ के 22वें राज्य प्रमुख शिखर बैठक 2022 के दौरान, भारत ने औपचारिक रूप से एससीओ की अध्यक्षता प्राप्त की थी। भारत सितंबर 2023 तक एक वर्ष के लिए समूह की अध्यक्षता करेगा।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में चीन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में एस इ सी यू आर इ(SECURE) की अवधारणा पेश की थी। एस इ सी यू आर इ(SECURE) की अवधारणा की व्याख्या करते हुए, प्रधान मंत्री ने नागरिकों के लिए सुरक्षा के लिए एस('S)', आर्थिक विकास के लिए इ(E)', ' क्षेत्र में कनेक्टिविटी के लिए सी (C) एकता के लिए यू(U) , संप्रभुता और अखंडता के संबंध में 'आर'(R) और ' पर्यावरण संरक्षण के लिए 'ई(E) का उपयोग किया था।
शंघाई सहयोग संगठन रूस, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान के 8 देशों का एक क्षेत्रीय समूह है।
7. भारत ने रूस में आयोजित अफगानिस्तान पर मास्को प्रारूप परामर्श की चौथी बैठक में भाग लिया
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भारत ने 16 नवंबर 2022 को मास्को, रूस में आयोजित अफगानिस्तान पर मास्को प्रारूप परामर्श की चौथी बैठक में भाग लिया।बैठक में रूस, चीन, पाकिस्तान, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के विशेष दूतों और वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, प्रतिभागियों ने अफगानिस्तान से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की। इनमें वर्तमान मानवीय स्थिति और सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न हितधारकों के चल रहे प्रयासों, अंतर-अफगान वार्ता, एक समावेशी और प्रतिनिधि सरकार का गठन, आतंकवाद के खतरों का मुकाबला करने के प्रयास और क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना शामिल है।
अफगानिस्तान पर मास्को प्रारूप परामर्श
अफगानिस्तान पर मास्को प्रारूप परामर्श, 2017 में शुरू किया गया था यह एक क्षेत्रीय मंच है जिसमें रूस, अफगानिस्तान, भारत, ईरान, चीन और पाकिस्तान के विशेष दूत शामिल हुए ।
इसका जनादेश तत्कालीन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समर्थित काबुल सरकार और तालिबान के बीच राजनीतिक सुलह को सुगम बनाना, शांति स्थापित करना और क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
8. रूस और यूक्रेन काला सागर अनाज सौदे को चार महीने और आगे बढ़ाने पर सहमत हुए
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रूस और यूक्रेन ने संयुक्त राष्ट्र और तुर्की द्वारा मध्यस्थता किए गए काला सागर अनाज सौदे को 120 दिनों तक बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की है। इस समझौते पर मूल रूप से 22 जुलाई 2022 को हस्ताक्षर किए गए थे तथा यह समझौता 19 नवंबर 2022 को समाप्त होने वाला था। यह सौदा काला सागर में एक सुरक्षित गलियारे के माध्यम से निर्दिष्ट यूक्रेनी काला सागर बंदरगाह से अनाज निर्यात की अनुमति देता है।
रूस, यूक्रेन, तुर्की और संयुक्त राष्ट्र के बीच यह नवीन समझौता इस्तांबुल, तुर्की में हुआ है ।
इस सौदे को अपने पहले बड़े संकट का सामना उस समय करना पड़ा था जब रूस ने 29 अक्टूबर 2022 को घोषणा की थी कि यूक्रेन सेवस्तोपोल के पास रूसी काला सागर बेड़े पर हमला करके समझौते को निलंबित कर रहा है । हालांकि बाद में रूस इस डील को जारी रखने पर राजी हो गया।
यह सौदा मौजूदा प्रावधानों के साथ जारी रहेगा। जहाज तीन यूक्रेनी बंदरगाहों चर्नोमोर्स्क, ओडेसा और युज़नी से अनाज ले जाएंगे। वे काला सागर में स्थापित मानवतावादी गलियारे से यात्रा करेंगे और अंतिम गंतव्य पर जाने से पहले निरीक्षण के लिए इस्तांबुल में रुकेंगे।
कई अफ्रीकी देशों के लिए अनाज का सौदा महत्वपूर्ण है क्योंकि वे मौसम परिवर्तन और आंतरिक संघर्षों के कारण फसल की विफलता का सामना कर रहे हैं । समझौते से लाभान्वित होने वाले देशों में मिस्र, जिबूती, सोमालिया और सूडान सेनेगल, रवांडा, कांगो, लीबिया, तंजानिया और नामीबिया शामिल हैं।
9. सऊदी अरब के वीजा के लिए भारतीयों को अब पुलिस की मंजूरी की जरूरत नहीं
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भारत में सऊदी अरब के दूतावास ने घोषणा की है कि अब भारतीय नागरिकों को सऊदी अरब की यात्रा के लिए आवेदन करते समय पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट (पीसीसी) जमा करने की ज़रुरत नहीं है। नया नियम सऊदी अरब जाने वाले भारतीयों के लिए वीजा आवेदन प्रक्रिया को तेज और आसान बना देगा। सऊदी अरब में 20 लाख से अधिक भारतीय नागरिक रहते हैं।
सऊदी दूतावास के मुताबिक यह फैसला दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत करने की कोशिशों के तहत लिया गया है।
पुलिस निकासी प्रमाण पत्र एक दस्तावेज है जो भारतीय नागरिकों को रोजगार, आवासीय स्थिति, वा दीर्घकालिक वीजा के लिए विदेश जाने के लिए आवेदन करने की आवश्यकता होती है, यदि गंतव्य देश में वीजा की आवश्यकता होती है। दस्तावेज़ व्यक्ति के आपराधिक रिकॉर्ड को जानने में मदद करता है।
सऊदी अरब का राजतन्त्र
सऊदी अरब 1923 में इब्न सऊद द्वारा स्थापित एक पश्चिम एशियाई राजतन्त्र है। यह देश अपने तेल और इस्लाम के लिए जाना जाता है।
बीपी सांख्यिकीय समीक्षा विश्व ऊर्जा 2020 के अनुसार, वेनेजुएला के बाद सऊदी अरब के पास दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल भंडार है।
वर्तमान में यह कच्चे तेल का दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है।
यहाँ इस्लाम के दो सबसे पवित्र तीर्थस्थल हैं, मक्का और मदीना मस्जिद स्थित हैं।
दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिद अल-हरम मक्का में स्थित हैं।
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मस्जिद, पैगंबर की मस्जिद, या मस्जिद अल-नबावी मदीना में है।
इस्लामिक देशों के संगठन का मुख्यालय भी सऊदी अरब के जेद्दा में है।
दुनिया का सबसे बड़ा रेत क्षेत्र, रुब अल-खली ("खाली क्वार्टर") जो लगभग 647,500 वर्ग किमी में फैला है, यह भी सऊदी अरब में है।
सऊदी अरब की राजधानी: रियाद
मुद्रा: सऊदी रियाल
सऊदी अरब के राजा: सलमान बिन अब्दुलअज़ीज़ अल सउद
सऊदी अरब के प्रधान मंत्री: मोहम्मद बिन सलमान
10. सऊदी अरब के वीजा के लिए भारतीयों को अब पुलिस की मंजूरी की जरूरत नहीं
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भारत में सऊदी अरब के दूतावास ने घोषणा की है कि अब भारतीय नागरिकों को सऊदी अरब की यात्रा के लिए आवेदन करते समय पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट (पीसीसी) जमा करने की ज़रुरत नहीं है। नया नियम सऊदी अरब जाने वाले भारतीयों के लिए वीजा आवेदन प्रक्रिया को तेज और आसान बना देगा। सऊदी अरब में 20 लाख से अधिक भारतीय नागरिक रहते हैं।
सऊदी दूतावास के मुताबिक यह फैसला दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत करने की कोशिशों के तहत लिया गया है।
पुलिस निकासी प्रमाण पत्र एक दस्तावेज है जो भारतीय नागरिकों को रोजगार, आवासीय स्थिति, वा दीर्घकालिक वीजा के लिए विदेश जाने के लिए आवेदन करने की आवश्यकता होती है, यदि गंतव्य देश में वीजा की आवश्यकता होती है। दस्तावेज़ व्यक्ति के आपराधिक रिकॉर्ड को जानने में मदद करता है।
सऊदी अरब का राजतन्त्र
सऊदी अरब 1923 में इब्न सऊद द्वारा स्थापित एक पश्चिम एशियाई राजतन्त्र है। यह देश अपने तेल और इस्लाम के लिए जाना जाता है।
बीपी सांख्यिकीय समीक्षा विश्व ऊर्जा 2020 के अनुसार, वेनेजुएला के बाद सऊदी अरब के पास दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल भंडार है।
वर्तमान में यह कच्चे तेल का दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है।
यहाँ इस्लाम के दो सबसे पवित्र तीर्थस्थल हैं, मक्का और मदीना मस्जिद स्थित हैं।
दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिद अल-हरम मक्का में स्थित हैं।
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मस्जिद, पैगंबर की मस्जिद, या मस्जिद अल-नबावी मदीना में है।
इस्लामिक देशों के संगठन का मुख्यालय भी सऊदी अरब के जेद्दा में है।
दुनिया का सबसे बड़ा रेत क्षेत्र, रुब अल-खली ("खाली क्वार्टर") जो लगभग 647,500 वर्ग किमी में फैला है, यह भी सऊदी अरब में है।
सऊदी अरब की राजधानी: रियाद
मुद्रा: सऊदी रियाल
सऊदी अरब के राजा: सलमान बिन अब्दुलअज़ीज़ अल सउद
सऊदी अरब के प्रधान मंत्री: मोहम्मद बिन सलमान