1. भारत के विदेशी ऋण में 8.2% की सालाना वृद्धि
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वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने भारत के बाहरी ऋण 2021-22 ,पर स्थिति रिपोर्ट के 28वें संस्करण को जारी करते हुए कहा कि भारत के विदेशी ऋण का प्रबंधन विवेकपूर्ण और टिकाऊ है। श्रीलंका जैसी स्थिति का कोई डर नहीं है।
रिपोर्ट के अनुसार क्रॉस-कंट्री परिप्रेक्ष्य में भारत का विदेशी ऋण मामूली है, और विश्व स्तर पर भारत 23वें स्थान पर है।
देश का कुल बाह्य ऋण
मार्च 2022 के अंत में देश का कुल विदेशी ऋण 620.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि इसी अवधि में यह पिछले साल 573.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। इसमेंपिछले साल की तुलना में 8.2% की वृद्धि हुई।
कुल विदेशी ऋण में दीर्घकालीन और अल्पकालिक ऋण हिस्सेदारी
लंबी अवधि के कर्ज का अनुमान 499.1 अरब अमेरिकी डॉलर था। दीर्घकालीन ऋण का अर्थ है ऐसे ऋण जिनकी अवधि एक वर्ष या उससे अधिक है।
कुल विदेशी कर्ज में लंबी अवधि के कर्ज की हिस्सेदारी 80.4 फीसदी थी।
कुल ऋण में दीर्घकालीन ऋण का अनुपात अधिक होना किसी देश के लिए एक अच्छा संकेत है।
अल्पकालिक ऋण 121.7 बिलियन अमरीकी डालर था। कुल विदेशी ऋण में अल्पावधि ऋण का हिस्सा कुल ऋण का 19.6 प्रतिशत था। अल्पकालिक व्यापार ऋण मुख्य रूप से व्यापार ऋण (96 प्रतिशत) वित्तपोषण आयात के रूप में था।
अल्पकालिक ऋण का मतलब है कि इसकी मैच्योरिटी अवधि एक साल से कम की है।
अनुकूल ऋण संकेतक
सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में बाहरी ऋण मार्च 2022 के अंत तक गिरकर 19.9 प्रतिशत हो गया, जो एक साल पहले 21.2 प्रतिशत था।
विदेशी ऋण के अनुपात के रूप में विदेशी मुद्रा भंडार एक साल पहले के 100.6 प्रतिशत की तुलना में मार्च 2022 के अंत में 97.8 प्रतिशत था। इसका मतलब है कि भारत के पास अपने पूरे कर्ज का भुगतान करने के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा है।
संप्रभु उधार (भारत सरकार द्वारा उधार लिया गया धन) का हिस्सा 130.7 बिलियन अमरीकी डालर था। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 17.1 प्रतिशत की वृद्धि मुख्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा 2021-22 के दौरान विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) के अतिरिक्त आवंटन के कारण हुआ।
दूसरी ओर, गैर-संप्रभु ऋण (कंपनियों द्वारा लिया गया उधार), मार्च 2021 के अंत के स्तर पर 6.1 प्रतिशत बढ़कर 490.0 बिलियन अमरीकी डालर हो गया।
वाणिज्यिक उधार, एनआरआई जमा और अल्पकालिक व्यापार ऋण गैर-संप्रभु ऋण के तीन सबसे बड़े घटक हैं, जो 95.2 प्रतिशत के बराबर है। एनआरआई जमा 2 प्रतिशत घटकर 139.0 बिलियन अमरीकी डालर, वाणिज्यिक उधारी 209.71 बिलियन अमरीकी डालर और अल्पकालिक व्यापार ऋण 117.4 बिलियन अमरीकी डालर क्रमशः 5.7 प्रतिशत और 20.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
भारत के कुल विदेशी ऋण का 53.2 प्रतिशत अमेरिकी डॉलर में मूल्यवर्गित है और भारतीय रुपया रुपये के मूल्य वर्ग का ऋण 31.2 प्रतिशत अनुमानित था जो दूसरी सबसे बड़ी राशि है।
ऋण सेवा अनुपात वर्तमान प्राप्तियों में उछाल और ऋण सेवा भुगतान में कमी के कारण वर्ष 2020-21 में 8.2 प्रतिशत था जो 2021-22 के दौरान घटकर 5.2 प्रतिशत हो गया।
2. उत्तराखंड में बनेगी भारत की सबसे लंबी 14.57 किलोमीटर लंबी रेलवे सुरंग
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भारतीय रेलवे, भारत में सबसे लंबी रेलवे सुरंग का निर्माण करने जा रहा है।
यह उत्तराखंड में देवप्रयाग और जनसु के बीच 14 किलोमीटर लंबा रेलवे सुरंग होगा, और महत्वाकांक्षी 125 किमी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग ब्रॉड गेज लाइन का हिस्सा होगा।
यह जम्मू और कश्मीर में निर्माणाधीन टनल टी-49 से भी लम्बा होगा जो 12.758 किमी लंबी है और इसका निर्माण उधमपुर श्रीनगर बारामूला रेल लिंक परियोजना के तहत किया जा रहा है।
ऋषिकेश और कर्णप्रयाग को जोड़ने वाली 125.20 किलोमीटर की रेलवे लाइन राज्य के पांच जिलों: देहरादून, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग और चमोली से गुजरेगी।
भारत सरकार के स्वामित्व वाली रेल विकास निगम लिमिटेड ,125 किमी लंबी इस रेलवे लाइन को क्रियान्वित कर रही है।
परियोजना की कुल लागत 23,000 करोड़ रुपये है और इसके दिसंबर 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है।
सबसे लंबी रेलवे सुरंग :
वर्तमान में, जम्मू और कश्मीर में बनिहाल-काजीगुंड खंड पर 11.2 किमी लंबी पीर पंजाल सुरंग भारत में सबसे लंबी कामकाजी रेलवे सुरंग है।
3. भारत, 2029 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी: एसबीआई
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भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने 3 सितंबर 2022 को प्रकाशित अपनी नवीनतम शोध रिपोर्ट इकोरैप (Ecowrap) में ,भारतीय अर्थव्यवस्था को , 2029 में, जापान को पीछे छोड़ते हुए विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान लगाया है।
आईएमएफ के आंकड़ों का हवाला देते हुए ब्लूमबर्ग की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था, दिसंबर 2021 के अंत में यूनाइटेड किंगडम की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई थी ।
वर्तमान में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था संयुक्त राज्य अमेरिका है जिसके बाद चीन, जापान , जर्मनी और भारत हैं।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु :
वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में 13.5% की वृद्धि हुई। भारत अभी भी दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है।
एसबीआई का शोध पत्र यह मान कर चल रहा है की निकट भविष्य में भारतीय अर्थव्यवस्था 6 प्रतिशत से 6.5 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर से बढ़ेगी।
यदि ऐसा होता है तो विश्व जीडीपी में भारतीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की हिस्सेदारी जो अब 3.5 प्रतिशत है, 2027 में वैश्विक जीडीपी में जर्मनी की वर्तमान हिस्सेदारी के 4 प्रतिशत को पार करने की संभावना है।
इस विकास दर के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था 2029 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी।
यह 2027 में जर्मनी और 2029 में जापान को पीछे छोड़ देगा।
ध्यान दें
एसबीआई ने यहाँ पूर्वानुमान के लिए नाममात्र/नॉमिनल जीडीपी का मान लिया है।
2014 के बाद से भारत की अर्थव्यवस्था में बदलाव :
दुनिया में रैंक | वर्ष |
10 | 2014 |
7 | 2015 |
6 | 2019 |
5 | 2022 |
4 | 2027(अनंतिम) |
3 | 2029(अनंतिम) |
स्रोत आईएमएफ, एसबीआई अनुसंधान
4. चीन को पीछे छोड़ते हुए भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टवॉच मार्केट बना
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भारत,चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टवॉच बाजार बन गया है।
यूनाइटेड किंगडम स्थित मार्केट रिसर्च कंपनी काउंटरपॉइंट के अनुसार, जून 2022 तिमाही के अंत में, भारतीय बाजार में पिछले साल की अप्रैल-जून 2021 तिमाही की तुलना में 347% की वृद्धि हुई। इसी अवधि के दौरान वैश्विक बाजार में सिर्फ 13% की दर वृद्धि हुई।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
वैश्विक बाजार के 26% शिपमेंट के साथ उत्तरी अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा स्मार्टवॉच बाजार बना हुआ है।
वैश्विक बाजार के 22% शिपमेंट के साथ भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बाजार था।
वैश्विक बाजार के 21% शिपमेंट के साथ चीन तीसरा सबसे बड़ा बाजार बना रहा।
दुनिया में स्मार्टवॉच ब्रांड
दुनिया की सबसे बड़ी स्मार्टवॉच कंपनीअभी भी एप्पल(Apple) है और विश्व के कुल स्मार्टवॉच शिपमेंट में इसका हिस्सा 29.3% है , इसके बाद सैमसंग (9.2%), हुआवेई (6.8%), फायर-बोल्ट (6.3%) और नॉइज़ (5.9%) है ।
फायर-बोल्ट और नॉइज़, भारतीय कंपनियां हैं और उन्हें पहली बार दुनिया की शीर्ष पांच कंपनियों में शामिल किया गया है।
5. एडीबी के साथ इंडसइंड बैंक ने आपूर्ति श्रृंखलाओं में एमएसएमई को वित्तपोषित करने के लिए आंशिक गारंटी की स्थापना की
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इंडसइंड बैंक ने आपूर्ति श्रृंखला वित्तपोषण के लिए $70 मिलियन (560 करोड़ रुपये) के प्रारंभिक परिव्यय के साथ आंशिक गारंटी कार्यक्रम के लिए एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
इस समझौते के तहत एडीबी ऋणदाताओं को आंशिक ऋण गारंटी प्रदान करेगा। इसका अर्थ यह है कि यदि ग्राहक जो आंशिक गारंटी के अंतर्गत आता है, ऋण चुकौती में चूक करता है तो एडीबी, बैंक को मूलधन और ब्याज के गारंटीकृत हिस्से का भुगतान करेगा।
इंडसइंड बैंक इस साझेदारी के माध्यम से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) वित्तपोषण में अपने कारोबार को बढ़ाने की उम्मीद कर रहा है।
इंडसइंड बैंक
यह एक अनुसूचित वाणिज्यिक निजी क्षेत्र का बैंक है। बैंक की स्थापना हिंदुजा समूह द्वारा 1994 में की गई थी।
मुख्यालय: मुंबई
प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी: सुमन कठपालिया
बैंक की टैगलाइन: वी केयर दिल से: वी मेक यू फील रिचर
एशियाई विकास बैंक
- इसकी स्थापना 1966 में हुई थी।
- इसका मुख्यालय मांडलुयोंग सिटी, मनीला, फिलीपींस में है।
- कुल सदस्य देश : 68
- एडीबी के अध्यक्ष: मासात्सुगु असाकावा (जापान के नागरिक )
6. आरबीआई ने नए डिजिटल ऋण दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए ऋणदाताओं को नवंबर के अंत तक का समय दिया
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भारतीय रिजर्व बैंक ने नवंबर के अंत तक उधारदाताओं को सिस्टम और प्रक्रियाओं को स्थापित करने के लिए दिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मौजूदा डिजिटल ऋण, 10 अगस्त 2022 को जारी नियामक के नियमों के अनुपालन में हैं। यह निर्देश आरबीआई ने 2 सितंबर 2022 को जारी किया था। हालांकि, नए और मौजूदा ग्राहकों के लिए नए ऋण प्राप्त करने के लिए, ये मानदंड तुरंत लागू होंगे।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने 10 अगस्त 2022 को डिजिटल ऋण देने वाले ऐप्स और उनके साथ जुड़ने वाले ऋणदाताओं के लिए एक विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए जो उन पर भारतीय रिज़र्व बैंक की जांच और पर्यवेक्षण को बढ़ाएंगे।
डिजिटल ऋणदाता वे संस्थाएं हैं जो ऑनलाइन ऋण प्रदान करती हैं। पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होती है और ऋणदाता और उधारकर्ता के बीच कोई भौतिक इंटरफ़ेस नहीं होता है।
डिजिटल ऋण पर कार्य समूह
आरबीआई ने 13 जनवरी, 2021 को आरबीआई के कार्यकारी निदेशक जयंत कुमार दास के अध्यक्षता में “ऑनलाइन मंच और मोबाइल ऐप्लिकेशन के जरिए ऋण देने सहित डिजिटल उधार’ (डब्ल्यूजीडीएल) पर एक कार्य समूह” का गठन किया था। ऑनलाइन ऋण देने वाले ऐप्स द्वारा कदाचार की कई शिकायतें मिलने के बाद आरबीआई द्वारा इसकार्य समूह की स्थापना की गई थी।
ऑनलाइन उधारदाताओं का वर्गीकरण
आरबीआई ने ऑनलाइन उधारदाताओं को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया है;
- आरबीआई द्वारा विनियमित संस्थाएं जिन्हें उधार कारोबार करने की अनुमति है ;
- अन्य वैधानिक/विनियामक प्रावधानों के अनुसार उधार देने के लिए अधिकृत संस्थाएं जो आरबीआई द्वारा विनियमित नहीं; तथा
- किसी भी वैधानिक/नियामक प्रावधानों के दायरे से बाहर उधार देने वाली संस्थाएं।
संस्थाओं की किस श्रेणी पर आरबीआई की लागू दिशानिर्देश किस पर लागू होंगे
आरबीआई ने कहा है कि उसके दिशानिर्देश उन संस्थाओं(बैंक, एनबीएफसी) पर लागू होंगे जो केंद्रीय बैंक द्वारा विनियमित हैं और इन संस्थाओंद्वारा नियुक्त किये गए ऋण सेवा प्रदाताओं (एलएसपी) पर लागू होगा ।
ऋण सेवा प्रदाता (एलएसपी) विनियमित संस्थाओं और उधारकर्ता के बीच मध्यस्थ होते हैं । सरल शब्दों में यह एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो ऋणदाता और उधारकर्ता को ऑनलाइन मिलाता है।
आरबीआई के दिशानिर्देश
- सभी ऋण वितरण और ऋण पुनर्भुगतान केवल उधारकर्ता और विनियमित संस्थाओं के बैंक खातों के बीच ही होंगे और इसमें एलएसपी की कोई भूमिका नहीं होगा ।
- क्रेडिट मध्यस्थता प्रक्रिया में एलएसपी को देय किसी भी शुल्क, शुल्क आदि का भुगतान सीधे विनियमित संस्था द्वारा किया जाना चाहिए, न कि उधारकर्ता द्वारा।
- वार्षिक प्रतिशत दर (एपीआर) के रूप में डिजिटल ऋणों की सभी समावेशी लागत को उधारकर्ताओं के सामने प्रकट करना आवश्यक है।
- केंद्रीय बैंक ने कहा है कि उधारकर्ता की स्पष्ट सहमति के बिना क्रेडिट सीमा में स्वत: वृद्धि नहीं हो सकती है।
- डीएलए (डिजिटल लेंडिंग ऐप्स) के माध्यम से प्राप्त किसी भी उधार को विनियमित संस्थाओं द्वारा क्रेडिट सूचना कंपनियों (सीआईसी) को सूचित किया जाना होगा । इसके लिए ऋण की प्रकृति या अवधि कोई मायना नहीं रखता ।यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि कई 'अभी खरीदें, बाद में भुगतान करें' की सेवा प्रदान करने वाली डिजिटल ऋण कंपनियां सीआईसी को दिए जा रहे ऋणों की रिपोर्ट नहीं कर रहे थे।
- आरबीआई ने कहा है कि डिजिटल लेंडिंग ऐप्स (डीएलए) द्वारा एकत्र किए गए डेटा को आवश्यकता आधारित होना चाहिए, उनके पास स्पष्ट ऑडिट ट्रेल्स होने चाहिए और केवल उधारकर्ता की पूर्व स्पष्ट सहमति से ही डेटा एकत्र किया जाना चाहिए।
7. जीएमआर समूह फिलीपींस के सेबू हवाई अड्डे में अपनी पूरी 40% हिस्सेदारी बेचेगा
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नई दिल्ली स्थित बहुराष्ट्रीय जीएमआर समूह ने 2 सितंबर 2022 को कहा है कि वह फिलीपींस में स्थित सेबू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में अपनी पूरी 40 प्रतिशत हिस्सेदारी 1,330 करोड़ रुपये में बेच रहा है।हालांकि जीएमआर 2026 तक एयरपोर्ट को कंसल्टेंसी सर्विस मुहैया कराना जारी रखेगा और इससे उसको अलग से राजस्व मिलेगा ।
जीएमआर के अनुसार, कंपनी अब उच्च विकास के अवसरों पर ध्यान केंद्रित करेगी।कंपनी इस पूंजी का उपयोग इंडोनेशिया के मेडन में कुआलानामु अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में निवेश के लिए इस्तेमाल करेगी । कुआलानामु अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को जीएमआर एयरपोर्ट इंटरनेशनल द्वारा विकसित और संचालित किया जा रहा है।
मैक्टन सेबू अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा
निनॉय एक्विनो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे, मनीला के बाद यह हवाई अड्डा फिलीपींस में दूसरा सबसे बड़ा हवाई अड्डा है।
2014 में, फिलीपींस के मेगावाइड कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन के साथ साझेदारी में जीएमआर इंफ्रास्ट्रक्चर ने मैक्टन सेबू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के संचालन और विकास के लिए बोली जीती थी । मेगावाइड कंस्ट्रक्शन कंपनी और जीएमआर दोनों ही फिलीपींस के एबोइटिज इंफ्राकैपिटल कंपनी को अपनी हिस्सेदारी बेच रहे हैं।
फिलीपींस की मुद्रा: फिलीपीन पेसो
जीएमआर एयरपोर्ट्स इंटरनेशनल
जीएमआर एयरपोर्ट्स इंटरनेशनल जीएमआर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की सहायक कंपनी है।
जीएमआर समूह ,आईजीआई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे, राजीव गांधी हैदराबाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और बीदर हवाई अड्डे (कर्नाटक) का संचालन करता है।
यह उत्तरी गोवा के मोपा में एक ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा और भोगापुरम, विजयनगरम, आंध्र प्रदेश में एक अंतर्राष्ट्रीय ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा बना रहा है।
यह विदेशी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का विकास और संचालन करने वाली एकमात्र भारतीय कंपनी है ।यह वर्त्तमान में इंडोनेशिया और ग्रीस में हवाई अड्डों का विकास कर रहा है।
जीएमआर समूह की स्थापना ग्रैंडी मल्लिकार्जुन राव ने की थी। यह बुनियादी ढांचा, ऊर्जा, परिवहन आदि के कारोबार में है।
8. वित्तीय वर्ष 22-23 की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में 13.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई
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भारतीय अर्थव्यवस्था में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में अप्रैल से जून (2022-23) में 13.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है । हालांकि यह पहली तिमाही के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के 16.2% के पूर्वानुमान से कम था।
वित्तीय वर्ष 20222-23 की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन के संबंध में आंकड़े राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा 31 अगस्त 2022 को जारी किए गए थे।
भारत अभी भी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। अप्रैल-जून 2022 के दौरान चीन की अर्थव्यवस्था में 0.4% की वृद्धि हुई है ।
2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 8.7% थी।
स्थिर मूल्य (2011-12 आधार वर्ष) पर सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर
अर्थव्यवस्था का क्षेत्र | 2022-23 में पहली तिमाही (अप्रैल-जून) सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर |
कृषि | 4.5% |
उद्योग | 8.5% |
सेवा क्षेत्र | 17.6% |
सकल घरेलू उत्पाद | 13.5% |
सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) | 12.7% |
जीवीए = जीडीपी + उत्पादों पर सब्सिडी - उत्पादों पर कर
नाममात्र/नॉमिनल जीडीपी
2022-23 की पहली तिमाही में नॉमिनल जीडीपी या जीडीपी 2021-22 की पहली तिमाही में ₹ 51.27 लाख करोड़ के मुकाबले ₹ 64.95 लाख करोड़ रहने का अनुमान ह ।
यह 2021-22 की पहली तिमाही के 32.4 प्रतिशत की तुलना में 26.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
नॉमिनल जीडीपी की गणना करते समय वस्तुओं और सेवाओं के बाजार मूल्य को शामिल किया जाता है। यह मुद्रास्फीति के लिए कोई समायोजन नहीं करता है।
स्थिर मूल्य पर जीडीपी या वास्तविक जीडीपी
2022-23 की पहली तिमाही में स्थिर (2011-12) कीमतों पर वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ₹ 36.85 लाख करोड़ रहने का अनुमान है, जबकि 2021-22 की पहली तिमाही में यह ₹ 32.46 लाख करोड़ थी।
पहली तिमाही में 2021-22 के 20.1 प्रतिशत की तुलना में 13.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्शायी गई है।
स्थिर मूल्य पर सकल घरेलू उत्पाद की गणना करते समय मुद्रास्फीति के कारण वस्तुओं और सेवाओं में मूल्य वृद्धि की गणना नहीं की जाती है। कीमतें एक आधार वर्ष के लिए तय की जाती हैं। यह वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में वास्तविक वृद्धि को मापता है।
स्थिर कीमत पर जीडीपी किसी अर्थव्यवस्था की वृद्धि को मापने का सबसे अच्छा संकेतक है।
वित्तीय वर्ष 2022-23 में अनुमानित जीडीपी विकास दर
भारतीय रिजर्व बैंक को 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 7.2% बढ़ने की उम्मीद है।
केंद्रीय वित्त सचिव टी वी सोमनाथन ने कहा कि वित्त मंत्रालय को चालू वित्त वर्ष (2022-23) में अर्थव्यवस्था की विकास दर 7-7.5% रहने की उम्मीद है।
9. आरबीआई एमपी और तमिलनाडु में किसान क्रेडिट कार्ड को डिजिटाइज़ करने के लिए एक प्रायोगिक परियोजना शुरू करेगा
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भारतीय रिजर्व बैंक ने ग्रामीण ऋण वितरण प्रणाली को बदलने और ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण वितरण की गुणवत्ता में सुधार के लिए मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) को डिजिटाइज़ करने के लिए एक प्रायोगिक परियोजना को शुरू करने का निर्णय लिया है।
डिजिटलीकरण परियोजना
- भारतीय रिजर्व बैंक इनोवेशन हब (आरबीआईएच) बेंगलुरु द्वारा विकसित किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) उधार के एंड-टू-एंड डिजिटलाइजेशन के लिए एक प्रायोगिक परियोजना शुरू की जा रही है।
- प्रायोगिक परियोजना में बैंकों के भीतर विभिन्न प्रक्रियाओं का स्वचालन और सेवा प्रदाताओं के साथ उनकी प्रणालियों का एकीकरण शामिल होगा।
- केसीसी ऋण देने की प्रक्रिया का प्रस्तावित डिजिटलीकरण इसे और अधिक कुशल बना देगा, उधारकर्ताओं के लिए लागत कम करेगा और ऋण आवेदन से संवितरण तक टर्न अराउंड टाइम (टीएटी) को महत्वपूर्ण रूप से कम करेगा।
इसे कहाँ शुरू किया जाएगा
यह प्रायोगिक परियोजना सितंबर 2022 में मध्य प्रदेश और तमिलनाडु के चुनिंदा जिलों में क्रमशः यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और फेडरल बैंक के साथ, सहयोगी बैंकों के रूप में और संबंधित राज्य सरकारों के सक्रिय सहयोग से शुरू होगी।
किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी)
- इसे भारत में बैंकों द्वारा अगस्त 1998 में किसानों की कृषि ऋण जरूरतों को पूरा करने के लिए पेश किया गया था।
- केसीसी योजना का मॉडल आर वी गुप्ता समिति की सिफारिशों पर नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) द्वारा तैयार किया गया था।
- आरबीआई ने 1997 में “वाणिज्यिक बैंकों के माध्यम से कृषि ऋण पर एक उच्च स्तरीय समिति” की स्थापना की। समिति की अध्यक्षता
- आर वी गुप्ता ने की थी ।
10. भारत , यूनाइटेड किंगडम को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था: ब्लूमबर्ग
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2 सितंबर 2022 को ब्लूमबर्ग द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत, यूनाइटेड किंगडम को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।
भारत अब संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी के बाद पांचवे स्थान पर है ।
ब्लूमबर्ग रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएं :
ब्लूमबर्ग के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था ने दिसंबर 2021 के अंत में यूनाइटेड किंगडम की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ दिया था ।
ब्लूमबर्ग के अनुसार मार्च 2022 के अंत में, भारत की अर्थव्यवस्था $854.7 बिलियन थी जबकि यूनाइटेड किंगडम की अर्थव्यवस्था $816 बिलियन थी।
भारतीय और यूनाइटेड किंगडम की अर्थव्यवस्था के बीच की खाई बढ़ेगी :
ब्लूमबर्ग को उम्मीद है कि भविष्य में भारतीय और यूनाइटेड किंगडम की अर्थव्यवस्था के बीच की खाई और बढ़ेगी।
यूनाइटेड किंगडम चार दशकों में सबसे तेज मुद्रास्फीति का सामना कर रहा है और बैंक ऑफ इंग्लैंड (यूनाइटेड किंगडम का केंद्रीय बैंक) का कहना है कि मंदी का जोखिम 2024 तक रह सकता है।
यूनाइटेड किंगडम की अर्थव्यवस्था ने दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) 2022 में 0.1% का नेगेटिव विकास दर दर्ज की है ।
इसके विपरीत, इस वर्ष भारत की अर्थव्यवस्था के 7% से अधिक बढ़ने की संभावना है और यह दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने की उम्मीद है।
आईएमएफ के पूर्वानुमानों के अनुसार उम्मीद है कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस साल के अंत तक डॉलर के आधार, यूनाइटेड किंगडम से आगे निकल जायेगा।
एक दशक पहले, विश्व में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत 11वें स्थान पर था, जबकि यूनाइटेड किंगडम 5वें स्थान पर था।
ब्लूमबर्ग की गणना का आधार :
ब्लूमबर्ग ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष डेटाबेस से दोनों देशों के सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़ों का उपयोग किया है और नवीनतम विनिमय दर का उपयोग करके उन्हें अमेरिकी डॉलर में परिवर्तित किया है।
मंदी क्या है ?
जब लगातार दो तिमाहियों में अर्थव्यवस्था में नकारात्मक वृद्धि होती है तो अर्थव्यवस्था, मंदी की स्थिति में होती है।
मंदी के कारण बड़े पैमाने पर कारखाने बंद हो जाते हैं, रोजगार का नुकसान होता है, बेरोजगारी बढ़ जाती है, गरीबी बढ़ जाती है और देश में सामाजिक और राजनीतिक अशांति फैल जाती है।
ब्लूमबर्ग :
ब्लूमबर्ग एक अमेरिकी वैश्विक मीडिया और वित्तीय डेटा और विश्लेषिकी कंपनी है। यह वित्तीय कंपनियों और संगठनों को डेटा सेवा और समाचार प्रदान करता है।
इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका में है।
ग्रेट ब्रिटेन और यूनाइटेड किंगडम में क्या अंतर है ?
ग्रेट ब्रिटेन : इसमें इंग्लैंड, वेल्स और स्कॉटलैंड जैसे देश शामिल हैं।
यूनाइटेड किंगडम : ग्रेट ब्रिटेन में उत्तरी आयरलैंड को शामिल करने से यूनाइटेड किंगडम कहलाता है। अर्थात यूनाइटेड किंगडम इंग्लैंड, वेल्स, स्कॉटलैंड और उत्तरी आयरलैंड से मिलकर बना एक साम्राज्य है।
इंग्लैंड की महारानी यूनाइटेड किंगडम/ब्रिटेन दोनों की प्रमुख हैं।
यूनाइटेड किंगडम/ग्रेट ब्रिटेन की राजधानी लंदन है।