बेदती-वरदा नदी को आपस में जोड़ने की परियोजना
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कर्नाटक में दो पर्यावरण समूहों ने बेदती और वरदा नदियों को जोड़ने की परियोजना की आलोचना करते हुए इसे अवैज्ञानिक और जनता के पैसे की बर्बादी बताया है।
बेदती-वरदा परियोजना
बेदती-वरदा परियोजना की परिकल्पना वर्ष 1992 में पेयजल की आपूर्ति के लिये की गई थी ।
इस योजना का उद्देश्य अरब सागर की ओर पश्चिम में बहने वाली एक नदी बेदती को तुंगभद्रा नदी की एक सहायक नदी वरदा के साथ जोड़ना है, जो कृष्णा नदी में मिलकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
गदग ज़िले के हिरेवाडट्टी में एक विशाल बाँध बनाया जाएगा।
उत्तर कन्नड़ ज़िले के सिरसी के मेनासागोडा में पट्टनहल्ला नदी पर एक दूसरा बाँध बनाया जाएगा।
दोनों बाँध सुरंगों के माध्यम से वरदा तक पानी ले जाएंगे।
पानी केंगरे तक पहुँच जाएगा और फिर हक्कालुमाने तक 6.88 किमी की सुरंग से नीचे प्रवाहित होगा, जहाँ यह वरदा में शामिल हो जाएगा।
इस प्रकार इस परियोजना में उत्तर कन्नड़ ज़िले के सिरसी-येलापुरा क्षेत्र के जल को रायचूर, गडग और कोप्पल ज़िलों के शुष्क क्षेत्रों में ले जाने की परिकल्पना की गई है।
परियोजना से जुड़े मुद्दे
मार्ग के पुन:निर्धारण में मुश्किल - पश्चिम की ओर बहने वाली नदी को पूर्व की ओर बहने के लिये पुनर्निर्देशित करना कठिन कार्य है।
वर्षा जल पर निर्भर नदियाँ - गर्मियों की शुरुआत में, बेदती और वरदा नदियाँ सूखने लगती हैं।
उचित प्रोजेक्ट रिपोर्ट का अभाव
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