केंद्र ने हिमाचल प्रदेश, गुजरात और आंध्र प्रदेश को तीन बल्क ड्रग पार्कों की 'सैद्धांतिक' मंजूरी दी

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रसायन और उर्वरक मंत्रालय के तहत फार्मास्युटिकल विभाग ने "बल्क ड्रग पार्कों को बढ़ावा देने" की योजना के तहत तीन राज्यों- हिमाचल प्रदेश, गुजरात और आंध्र प्रदेश के प्रस्तावों को 'सैद्धांतिक' मंजूरी दे दी है।

बल्क ड्रग पार्क का उद्देश्य

  • केंद्र सरकार द्वारा समर्थित विश्व स्तरीय सामान्य बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करके बल्क ड्रग के विनिर्माण की लागत को कम करना। 

  • घरेलू थोक दवा उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता में बढ़ोतरी करना।

बल्क ड्रग पार्क योजना

  • इस योजना को वर्ष 2020 में 3,000 करोड़ रुपए के वित्तीय परिव्यय के साथ अधिसूचित किया गया था।

  • औषधि विभाग, देश को एपीआई और ड्रग इंटरमीडिएट्स में आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न योजनाओं को लागू कर रहा है। 

  • इसके तहत प्रमुख पहलों में से एक बल्क ड्रग पार्क की योजना भी है।

  • इस योजना के तहत विकसित किए जाने वाले बल्क ड्रग पार्क एक ही स्थान पर सामान्य बुनियादी सुविधाएं प्रदान करेंगे।

  • इससे देश में बल्क ड्रग विनिर्माण के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम का निर्माण होगा और विनिर्माण लागत में भी काफी कमी आएगी।

  • इस योजना के तहत बल्क ड्रग पार्कों की स्थापना के लिए तीन राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान किया जाएगा। 

  • भारतीय औषधि उद्योग आकार के आधार पर विश्व में तीसरा सबसे बड़ा उद्योग है।

बल्क ड्रग पार्क के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता

  • गुजरात और आंध्र प्रदेश में प्रस्तावित बल्क ड्रग पार्क के लिए वित्तीय सहायता सामान्य बुनियादी सुविधाओं की परियोजना लागत का 70 प्रतिशत होगा।

  • हिमाचल प्रदेश को पहाड़ी राज्य होने के कारण वित्तीय सहायता कुल परियोजना लागत का 90 प्रतिशत होगा।

  • बल्क ड्रग पार्क के लिए योजना के तहत अधिकतम सहायता 1,000 करोड़ रुपये तक सीमित होगी।

  • हिमाचल प्रदेश में ऊना जिले के तहसील हरोली में 1402.44 एकड़ भूमि पर  बल्क ड्रग्स पार्कों का निर्माण किया जाएगा

  • गुजरात के भरूच जिले के जम्बूसर तहसील में 2015.02 एकड़ जमीन पर  बल्क ड्रग्स पार्कों का निर्माण किया जाएगा 

  • आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले के थोंडागी मंडल के केपी पुरम व कोढ़ाहा के 2000.45 एकड़ भूमि पर  बल्क ड्रग्स पार्कों का निर्माण किया जाएगा। 

औषधि विभाग की अन्य पहल

  • केएसएम/ड्रग इंटरमीडिएट्स (डीआई) और एपीआई के घरेलू विनिर्माण के लिए उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना

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