आईआईटी रूड़की द्वारा 2022 के अनुसंधान पुरस्कारों की घोषणा

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Indian Institute of Technology Roorkee

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की (आईआईटी रूड़की) ने अपने अनुसंधान पुरस्कार 2022 की घोषणा की है। 

खबर का अवलोकन:

  • संस्थान पुरस्कार विजेताओं के उनके चुने हुए करियर में उत्कृष्ट योगदान को मान्यता देने के लिए ये पुरस्कार दिया जाता है। 
  • आईआईटी रूड़की द्वारा दिए जाने वाले अनुसंधान पुरस्कार सभी भारतीय नागरिकों के लिए सुलभ है और इसमें पुरे देश के विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों के विजेता शामिल होते हैं। 
  • इस बार के पुरस्कार में ‘खोसला राष्ट्रीय पुरस्कार’ (विज्ञान) सहित विभिन्न श्रेणियों में पांच पुरस्कार विजेता हैं।
  • ये पुरस्कार विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद से ही अस्तित्व में हैं।

खोसला राष्ट्रीय पुरस्कार (विज्ञान): 

  • खोसला राष्ट्रीय पुरस्कार के प्राप्तकर्ता डॉ. कनिष्क बिस्वास जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च, बैंगलोर में नई रसायन विज्ञान इकाई में प्रोफेसर हैं, जिनकी अनुसंधान रुचि नवीकरणीय ऊर्जा और स्वच्छ पर्यावरण पर केंद्रित है।
  • पूर्व में डॉ. बिस्वास को 2021 में रासायनिक विज्ञान के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार और स्वर्णजयंती फ़ेलोशिप 2019 भी दिया गया है।

एचआरईडी हाइड्रो एंड रिन्यूएबल एनर्जी अवार्ड: 

  • एचआरईडी हाइड्रो एंड रिन्यूएबल एनर्जी अवार्ड से सम्मानित डॉ. आरपी सैनी आईआईटी रूड़की में हाइड्रो एंड रिन्यूएबल एनर्जी विभाग में प्रोफेसर रहे हैं।

ए.एस. आर्य आपदा निवारण पुरस्कार: 

  • प्रोफेसर डीपी कानूनगो को ए.एस. आर्य आपदा निवारण पुरस्कार विजेता घोषित किया गया है।
  • प्रोफेसर कानूनगो सीएसआईआर-सीबीआरआई, रूड़की के भू-खतरा जोखिम न्यूनीकरण समूह के मुख्य वैज्ञानिक हैं।
  • भारत के वैज्ञानिक और नवोन्मेषी अनुसंधान अकादमी (एसीएसआईआर) में भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर भी हैं। वह सीएसआईआर के रमन रिसर्च फेलो हैं।

गोपाल रंजन प्रौद्योगिकी पुरस्कार: 

  • आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर डॉ. दीपांकर चौधरी ने गोपाल रंजन प्रौद्योगिकी पुरस्कार प्राप्त किया।
  • प्रोफेसर चौधरी भारत के एकमात्र जियोटेक्निकल इंजीनियर हैं, जो भारत की सबसे पुरानी विज्ञान अकादमी, नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज, भारत (एनएएसआई) के निर्वाचित फेलो हैं।

एसआर मेहरा मेमोरियल अवार्ड: 

  • डॉ. सतीश चंद्रा को एसआर मेहरा मेमोरियल अवार्ड से सम्मानित किया गया। वह आईआईटी रूड़की में सिविल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर हैं।
  • डॉ. चंद्रा ने राजमार्ग क्षमता और बिटुमिनस सामग्री विशेषता के क्षेत्रों में शिक्षण और अनुसंधान में बहुत योगदान दिया है।

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