पराली प्रबंधन की समीक्षा के लिए दिल्ली में हुई अंतर-मंत्रालय बैठक

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खरीफ फसलों के लिए कटाई के मौसम की शुरुआत के साथ, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह और केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव की सह-अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयी बैठक 3 अक्टूबर 2022 को नई दिल्ली में आयोजित की गई थी। दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और आसपास के राज्यों में पराली प्रबंधन के साथ ताप विद्युत संयंत्रों में बायोमास सह-फायरिंग की प्रगति की समीक्षा की गयी ।

बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों ने भी भाग लिया।

बैठक की पृष्ठभूमि

हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान अपने कटे हुए धान के खेतों को साफ करने और रबी सीजन की तैयारी के लिए अपनी पराली जलाते हैं। खेतों के जलने से आमतौर पर सर्दियों के मौसम में एनसीआर और उसके आसपास के इलाकों में भारी वायु प्रदूषण और हवा जहरीली हो जाती है । बैठक का आयोजन संबंधित सरकार की तैयारियों औरस्थिति का जायजा लेने के लिए किया गया था।

किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रोत्साहित करने और उन्हें प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए, भारत सरकार ने समर्थ मिशन शुरू किया।

ससटेनेबल एग्रेरियन मिशन ऑन यूज ऑफ एग्रो रेसीड्यू इन थर्मल पावर प्लांट्स(समर्थ )

ससटेनेबल एग्रेरियन मिशन ऑन यूज ऑफ एग्रो रेसीड्यू इन थर्मल पावर प्लांट्स(समर्थ ) को भारत सरकार द्वारा 2021 में शुरू किया गया था।

समर्थ के तहत केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों में बायोमास के उपयोग पर राष्ट्रीय मिशन का शुभारंभ किया था।

समर्उथ का उद्देश्य :-

  • यह भारत सरकार द्वारा किसानों की आय में वृद्धि करने , पराली जलाने को कम करने और थर्मल पावर प्लांटों के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए शुरू किया गया था।
  • इस  योजना के  तहत किसानों को अपनी फसल के अवशेषों को बिजली संयंत्रों को बेचने के लिए प्रोत्साहित  किया जाता है ताकि उन्हें  अतिरिक्त आय अर्जित कर सके। किसान इससे अपने खेतो में पराली नहीं जलाएंगे  तथा  इससे   प्रदूषण में भी वृद्धि नहीं  होगी ।
  • ताप विद्युत संयंत्रों को बिजली उत्पादन के लिए कोयले के साथ फसल अवशेषों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। यह बिजली उत्पादन के लिए कोयले के उपयोग को कम करेगा और परिणामस्वरूप कम मात्रा में कार्बन का उत्पादन होगा।
  • अक्टूबर 2021 में जारी "“कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों में कोयले के साथ बायोमास को जलाकर बिजली उत्पादन के लिये बायोमास की उपयोगिता” पर बिजली मंत्रालय की नीति, देश के सभी ताप विद्युत संयंत्रों को बिजली उत्पादन के लिए कोयले के साथ 5 से 10% बायोमास का उपयोग करने के लिए अनिवार्य करती है।

समर्थ मिशन की वर्तमान स्थिति 

  • समर्थ मिशन की उपलब्धि बताते हुए सरकार ने कहा कि वर्तमान में 39 ताप विद्युत संयंत्रों में बायोमास पैलेटों का सह-फायर किया गया है।
  • एनसीआर क्षेत्र में, 10 ताप विद्युत संयंत्रों ने सह-फायरिंग शुरू कर दी है।
  • अब तक, देश भर के 39 ताप विद्युत संयंत्रों में कुल 55390 मेगावाट क्षमता के 83066 मीट्रिक टन बायोमास का सह-प्रजनन किया जा चुका है।
  • एनसीआर क्षेत्र में, 22,696 मीट्रिक टन बायोमास का इस्तेमाल ताप विद्युत  संयंत्रों में किया जा चुका है , जिसमें से 95% एनटीपीसी द्वारा किया गया है।

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