राष्ट्रीय मिर्गी दिवस
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हर साल 17 नवंबर को राष्ट्रीय मिर्गी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
महत्वपूर्ण तथ्य
इसका उद्देश्य मिर्गी रोग से पीड़ितों व परिजनों को जागरूक करना है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि दुनिया भर में 50 मिलियन मिर्गी के रोगी हैं, जिनमें से 80 प्रतिशत विकासशील देशों में रहते हैं।
हालाँकि मिर्गी का इलाज संभव है, अविकसित देशों में प्रभावित लोगों में से तीन-चौथाई को आवश्यक देखभाल नहीं मिलती है।
भारत में लगभग 10 मिलियन लोग मिर्गी से जुड़े दौरे का अनुभव करते हैं।
हर साल फरवरी के दूसरे सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय मिर्गी दिवस (IED) के रूप में मनाया जाता है।
2022 में, 14 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मिर्गी दिवस मनाया गया।
दिन की पृष्ठभूमि
एपिलेप्सी फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने भारत में मिर्गी रोग को कम करने के लिए एक राष्ट्रीय अभियान के रूप में राष्ट्रीय मिर्गी दिवस की स्थापना की।
डॉ निर्मल सूर्या ने 2009 में मुंबई, महाराष्ट्र में एपिलेप्सी फाउंडेशन ऑफ इंडिया की स्थापना की।
इस गैर-लाभकारी एपिलेप्सी फाउंडेशन का उद्देश्य लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना और मिर्गी के संबंध में सामाजिक धारणाओं को बदलना है।
मिर्गी क्या है?
मिर्गी दुनिया में चौथा सबसे आम स्नायविक विकार है।
इस विकार में मस्तिष्क की गतिविधि असामान्य हो जाती है, जिससे दौरे पड़ते हैं या असामान्य व्यवहार और संवेदनाएं कम हो जाती हैं।
हालांकि कोई भी व्यक्ति मिर्गी से ग्रसित हो सकता है, परंतु यह छोटे बच्चों और वयस्कों तथा महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक देखा जाता है।
स्वाद, गंध, दृष्टि, सुनने या स्पर्श में परिवर्तन, चक्कर आना, अंगों में कंपन, घूरना, एक ही काम को बार-बार करना इसके प्रमुख लक्षण हैं।
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