भारत में डीमैट खातों की संख्या 10 करोड़ के पार
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डिपॉजिटरी कंपनियों नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनडीएसएल) और सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज (सीडीएसएल) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में 22 लाख से अधिक नए खाते खोले गए, जिससे यह आंकड़ा 10 करोड़ और पांच लाख हो गया है । मार्च 2020 में भारत में कुल डीमैट खाताधारकों की संख्या चार करोड़ नौ लाख थी।
महत्वपूर्ण तथ्य -
- सीडीएसएल वर्तमान में सक्रिय डीमैट खातों के मामले में देश का सबसे बड़ा डिपॉजिटरी है।
डीमैट खाते की क्या आवश्यकता है ?
- यदि कोई व्यक्ति नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई), बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) या अन्य एक्सचेंजों पर सिक्योरिटीज (शेयर, बॉन्ड इत्यादि) खरीदना और बेचना चाहता है, तो उसे एक ट्रेडिंग अकाउंट, डीमैट अकाउंट की जरूरत होती है और दोनों खातों को व्यक्ति के बैंक खातों से जुड़ा होना चाहिए।
- प्रतिभूतियों को खरीदने और बेचने के उद्देश्य से ट्रेडिंग खातों की आवश्यकता होती है।
फिर डीमैट खाता क्या है ?
- डीमैट, डीमैटरियलाइज्ड का संक्षिप्त रूप है। डीमैटरियलाइज्डका अर्थ है जो भौतिक रूप में नहीं बल्कि इलेक्ट्रॉनिक रूप में है।
- सेबी के नियमानुसार हर कंपनी अब केवल इलेक्ट्रॉनिक रूपों में प्रतिभूतियां जारी कर सकती है। पहले उन्हें कागज के रूप में जारी किया जाता था।
- तो एक व्यक्ति जो प्रतिभूतियों को खरीदता है उसे प्रतिभूतियों को जमा करने के लिए एक जगह की आवश्यकता होती है। यहां यह सुविधा डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट्स (डीपी) द्वारा दी जाती है।
- निवेशक अपने शेयरों, बांडों, डिबेंचर आदि को इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखने के लिए सेबी पंजीकृत डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट्स (डीपी) के साथ डीमैट खाते खोलता है।
- डीमैट खाता ट्रेडिंग खाते से जुड़ा होता है ताकि निवेशक आसानी से प्रतिभूतियों को खरीद और बेच सके।
अतिरिक्त जानकारी -
डिपोजिटरी पार्टिसिपेंट्स ?
- वे वित्तीय संस्थान हैं जो किसी डिपॉजिटरी के सदस्य होते हैं और वे निवेशक को डीमैट खाता सुविधाएं प्रदान करते हैं। वे बैंक, शेयर ब्रोकिंग कंपनियां आदि हो सकते हैं।
डिपॉजिटरी :
- भारत में डिपॉजिटरी, डिपॉजिटरी एक्ट 1996 के अधिनियमन के लागू होने के बाद स्थापित किए गए हैं। उन्हें सेबी द्वारा लाइसेंस और विनियमित किया जाता है।
- भारत में दो डिपॉजिटरी हैं और दोनों मुंबई,महाराष्ट्र में स्थित हैं। ये हैं , नेशनल सिक्योरिटीज एंड डिपॉजिटरीज लिमिटेड (एनडीएसएल) और सेंट्रल डिपॉजिटरीज सर्विसेज इंडिया लिमिटेड (सीडीएसएल) ।
- भारत की पहली डिपॉजिटरी कंपनी एनडीएसएल है जिसे अगस्त 1996 में स्थापित किया गया था ।
- सीडीएसएल की स्थापना 1999 में हुई थी।
वे करते क्या हैं ?
- वे कंपनियों द्वारा जारी प्रतिभूतियों (शेयर, बांड, आदि) को इलेक्ट्रॉनिक रूप में परिवर्तित करते हैं, जिससे पूंजी बाजार में उनकी खरीद और बिक्री सक्षम होती है। सेबी ने भारत में प्रतिभूतियों के डीमैटरियलाइजेशन को अनिवार्य कर दिया है।
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