कृषि ऋण माफी से केवल 50% किसान लाभान्वित - एसबीआई
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भारतीय स्टेट बैंक के शोधकर्ताओं के एक अध्ययन के अनुसार, 2014 से नौ राज्यों द्वारा घोषित कृषि ऋण माफी के इच्छित लाभार्थियों में से केवल आधे को ही वास्तव में ऋण माफी प्राप्त हुई है।
महत्वपूर्ण तथ्य
मार्च 2022 तक कृषि ऋण माफी योजनाओं का सबसे खराब कार्यान्वयन तेलंगाना (5%), मध्य प्रदेश (12%), झारखंड (13%), पंजाब ( 24%), कर्नाटक (38%) और उत्तर प्रदेश (52%) में हुआ है।
इसके विपरीत, 2018 में छत्तीसगढ़ और 2020 में महाराष्ट्र द्वारा लागू की गई कृषि ऋण माफी क्रमशः 100% और 91% पात्र किसानों द्वारा प्राप्त की गई थी।
2014 के बाद से, लगभग 3.7 करोड़ पात्र किसानों में से, केवल लगभग 50% किसानों को मार्च 2022 तक ऋण माफी की राशि प्राप्त हुई।
अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष
यह अध्ययन राज्यों के एसबीआई कृषि-पोर्टफोलियो के प्राथमिक आंकड़ों पर आधारित है।
इसमें पिछले पांच वर्षों में किसानों की आय में बदलाव का विश्लेषण किया गया है।
अध्ययन में कहा गया है कि नकदी फसलों में लगे किसानों की आय में वृद्धि गैर-नकदी फसल उगाने वालों की तुलना में अधिक रही है।
इसी अवधि में कृषि आय के साथ-साथ अधिकांश राज्यों में संबद्ध/गैर-कृषि आय में 1.4-1.8 गुना की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।
वित्त वर्ष 2018 और 2022 के बीच औसत किसान की आय 1.3 से 1.7 गुना बढ़ी।
महाराष्ट्र में सोयाबीन और कर्नाटक में कपास जैसी कुछ फसलों में इस अवधि के दौरान किसानों की आय दोगुनी हुई है।
किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना को आजीविका क्रेडिट कार्ड (एलसीसी) बनाने के लिए इसमें बदलाव किया जाना चाहिए।
स्वयं सहायता समूहों का पूरे भारत में लगभग 10 प्रतिशत एनपीए है।
कृषि ऋण माफी की कम पहुंच का कारण
रिपोर्ट में ऋण माफी की कम कार्यान्वयन दर के संभावित कारणों के रूप में निम्नलिखित तीन कारकों की पहचान की गई है -
राज्य सरकारों द्वारा किसानों के दावों की अस्वीकृति
वादों को पूरा करने के लिए सीमित या निम्न वित्तीय स्थिति
बाद के वर्षों में सरकारों में परिवर्तन
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