गोवा के एक राजनेता को आजीवन 'कैबिनेट मंत्री' का दर्जा देने के खिलाफ जनहित याचिका
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गोवा के वरिष्ठ नेता प्रतापसिंह राणे को गोवा विधानसभा में विधायक के तौर पर 50 साल पूरे करने पर आजीवन “कैबिनेट मंत्री’ का दर्जा प्रदान करके सम्मानित किया है। अतः इस फैसले के खिलाफ बॉम्बे उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है।
जनहित याचिका में कहा गया है, कि राज्य सरकार का यह कदम ‘संविधान के 91वें संशोधन’ का उल्लंघन है।
गोवा कैबिनेट में सदस्यों की अधिकतम संख्या 12 निर्धारित है।
राणे को ‘कैबिनेट मंत्री’ का दर्जा दिए जाने के बाद ‘कैबिनेट सदस्यों’ की संख्या बढ़कर 13 हो जाती है, जोकि संविधान द्वारा निर्धारित अधिकतम सीमा से अधिक है।
कैबिनेट मंत्री के पद की आजीवन स्थिति
पूर्व मुख्यमंत्री और गोवा विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष श्री राणे ने विधायक के रूप में 50 वर्ष पूरे कर लिए हैं।
कैबिनेट ने फैसला किया कि भविष्य में भी 50 साल पूरे करने वाले और सीएम और स्पीकर जैसे पदों पर रहने वालों को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद भी कैबिनेट का दर्जा दिया जाएगा।
संविधान (91वां संशोधन) अधिनियम, 2003 क्या है ?
इसमें कहा गया है कि किसी राज्य में मंत्रिपरिषद में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या उस राज्य की विधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या के 15% से अधिक नहीं होनी चाहिए।
यह एक शर्त प्रदान करता है कि एक राज्य में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की संख्या बारह से कम नहीं होनी चाहिए।
जीवन भर के लिए एक कैबिनेट मंत्री 12 स्टाफ सदस्यों - ओएसडी, सहायक स्टाफ, चपरासी, ड्राइवर के हकदार होंगे - जिस पर सालाना 90 लाख रुपये खर्च होंगे। इसलिए यह निर्णय उचित नहीं है।
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