राष्ट्रपति चुनाव : सांसदों के मत का मूल्य 708 से घट कर हो सकता है 700
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जम्मू और कश्मीर में विधान सभा न होने के कारण जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में संसद सदस्य के वोट का मूल्य 708 से घटकर 700 हो जाने की संभावना है।
वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल इसी 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है।
राष्ट्रपति चुनाव में एक सांसद के वोट का मूल्य दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू और कश्मीर सहित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं में निर्वाचित सदस्यों की संख्या पर आधारित होता है।
1952 में पहले राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक संसद सदस्य के वोट का मूल्य 494 था।
राष्ट्रपति चुनाव के लिए इलेक्टोरल कॉलेज में लोकसभा, राज्यसभा और दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू और कश्मीर सहित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के सदस्य शामिल होते हैं।
अगस्त 2019 में लद्दाख तथा जम्मू और कश्मीर के दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित होने से पहले, जम्मू-कश्मीर राज्य में 83 विधानसभा सीटें थीं।
एक सांसद के वोट का मूल्य
1997 के राष्ट्रपति चुनाव के बाद से संसद सदस्य के वोट का मूल्य 708 निर्धारित किया गया है।
1952 में पहले राष्ट्रपति चुनाव के लिए, संसद सदस्य के वोट का मूल्य 494 था।
1957 के राष्ट्रपति चुनाव में यह मामूली रूप से बढ़कर 496 हो गया, इसके बाद 493 (1962), 576 (1967 और 1969) था।
3 मई 1969 को राष्ट्रपति जाकिर हुसैन की मृत्यु के कारण 1969 में राष्ट्रपति चुनाव हुए थे।
1974 के राष्ट्रपति चुनाव में एक सांसद के वोट का मूल्य 723 था।
1977 से 1992 तक के राष्ट्रपति चुनावों के लिए इसे 702 निर्धारित किया गया।
राष्ट्रपति का चुनाव
राष्ट्रपति के चुनाव के प्रावधान भारत के संविधान के अनुच्छेद 54 में निर्धारित हैं।
राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति चुनाव अधिनियम 1952 द्वारा इस संवैधानिक प्रावधान की स्थापना की गई है।
भारत के राष्ट्रपति को देश के प्रथम नागरिक और राज्य के मुखिया के रूप में मान्यता दिया गया है।
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