आरबीआई ने नए डिजिटल ऋण दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए ऋणदाताओं को नवंबर के अंत तक का समय दिया

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भारतीय रिजर्व बैंक ने नवंबर के अंत तक उधारदाताओं को सिस्टम और प्रक्रियाओं को स्थापित करने के लिए दिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मौजूदा डिजिटल ऋण, 10 अगस्त 2022 को जारी नियामक के नियमों के अनुपालन में हैं। यह निर्देश आरबीआई ने 2 सितंबर 2022 को जारी किया था। हालांकि, नए और मौजूदा ग्राहकों के लिए नए ऋण प्राप्त करने के लिए, ये मानदंड तुरंत लागू होंगे।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने 10 अगस्त 2022 को डिजिटल ऋण देने वाले ऐप्स और उनके साथ जुड़ने वाले ऋणदाताओं के लिए  एक विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए जो उन पर भारतीय रिज़र्व बैंक की जांच और पर्यवेक्षण को बढ़ाएंगे।

डिजिटल ऋणदाता वे संस्थाएं हैं जो ऑनलाइन ऋण प्रदान करती हैं। पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होती है और ऋणदाता और उधारकर्ता के बीच कोई भौतिक इंटरफ़ेस नहीं होता है।

डिजिटल ऋण पर कार्य समूह

आरबीआई ने 13 जनवरी, 2021 को आरबीआई के कार्यकारी निदेशक जयंत कुमार दास के अध्यक्षता में “ऑनलाइन मंच और मोबाइल ऐप्लिकेशन के जरिए ऋण देने सहित डिजिटल उधार’ (डब्ल्यूजीडीएल) पर एक कार्य समूह” का गठन किया था। ऑनलाइन ऋण देने वाले ऐप्स द्वारा कदाचार की कई शिकायतें मिलने के बाद आरबीआई द्वारा इसकार्य समूह की स्थापना की गई थी।

ऑनलाइन उधारदाताओं का वर्गीकरण

आरबीआई ने ऑनलाइन उधारदाताओं को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया है;

  • आरबीआई द्वारा विनियमित संस्थाएं  जिन्हें  उधार कारोबार करने की अनुमति है ;
  • अन्य वैधानिक/विनियामक प्रावधानों के अनुसार उधार देने के लिए अधिकृत संस्थाएं जो आरबीआई द्वारा विनियमित नहीं; तथा
  • किसी भी वैधानिक/नियामक प्रावधानों के दायरे से बाहर उधार देने वाली संस्थाएं।

संस्थाओं की किस श्रेणी पर आरबीआई की लागू दिशानिर्देश किस पर लागू होंगे

आरबीआई ने कहा है कि उसके दिशानिर्देश उन संस्थाओं(बैंक, एनबीएफसी) पर लागू होंगे जो केंद्रीय बैंक द्वारा विनियमित हैं और इन संस्थाओंद्वारा नियुक्त  किये गए  ऋण सेवा प्रदाताओं (एलएसपी) पर लागू होगा ।

ऋण सेवा प्रदाता (एलएसपी)  विनियमित संस्थाओं और उधारकर्ता के बीच मध्यस्थ होते हैं । सरल शब्दों में यह एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो ऋणदाता और उधारकर्ता को ऑनलाइन  मिलाता  है।

आरबीआई के दिशानिर्देश

  • सभी ऋण वितरण और ऋण पुनर्भुगतान केवल उधारकर्ता और विनियमित संस्थाओं के बैंक खातों के बीच  ही होंगे और इसमें एलएसपी की कोई भूमिका नहीं होगा ।
  • क्रेडिट मध्यस्थता प्रक्रिया में एलएसपी को देय किसी भी शुल्क, शुल्क आदि का भुगतान सीधे विनियमित संस्था द्वारा किया जाना चाहिए, न कि उधारकर्ता द्वारा।
  • वार्षिक प्रतिशत दर (एपीआर) के रूप में डिजिटल ऋणों की सभी समावेशी लागत को उधारकर्ताओं के सामने प्रकट करना आवश्यक है।
  • केंद्रीय बैंक ने कहा है कि उधारकर्ता की स्पष्ट सहमति के बिना क्रेडिट सीमा में स्वत: वृद्धि नहीं हो सकती है।
  • डीएलए (डिजिटल लेंडिंग ऐप्स) के माध्यम से प्राप्त  किसी भी उधार को विनियमित संस्थाओं द्वारा क्रेडिट सूचना कंपनियों (सीआईसी) को सूचित किया जाना होगा । इसके लिए ऋण की प्रकृति या अवधि कोई मायना नहीं रखता ।यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि कई 'अभी खरीदें, बाद में भुगतान करें'  की सेवा प्रदान करने वाली डिजिटल ऋण कंपनियां  सीआईसी को दिए जा रहे ऋणों की रिपोर्ट नहीं कर रहे थे।
  • आरबीआई ने कहा है कि डिजिटल लेंडिंग ऐप्स (डीएलए) द्वारा एकत्र किए गए डेटा को आवश्यकता आधारित होना चाहिए, उनके पास स्पष्ट ऑडिट ट्रेल्स होने चाहिए और केवल उधारकर्ता की पूर्व स्पष्ट सहमति से ही  डेटा एकत्र  किया जाना चाहिए।

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