भारतीय रिजर्व बैंक ने एसबीआई, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक को प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण घरेलू बैंकों (डी-एसआईबी) सूची में बरकरार रखा
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भारतीय रिजर्व बैंक ने वर्ष 2021 के लिए प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण घरेलू बैंकों (डी-एसआईबी) की सूची में एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक को बरकरार रखा है। यह सूची आरबीआई ने 2 जनवरी 2023 को जारी की ।
डी-एसआईबी की अवधारणा 2008 में बड़े वित्तीय संस्थानों की विफलता से शुरू होती है, जिसके कारण वैश्विक वित्तीय संकट पैदा हो गया था। डी-एसआईबी वे आपस में जुड़ी संस्थाएं हैं, जिनकी विफलता संपूर्ण वित्तीय प्रणाली को प्रभावित कर सकती है और अस्थिरता पैदा कर सकती है।
प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण बैंक देश के केंद्रीय बैंक से निकट पर्यवेक्षण और विनियमन को आकर्षित करते हैं क्योंकि इन संस्थाओं को किसी भी सूरत में विफल नहीं होने दिया जा सकता ।
भारत में इसकी शुरुआत
आरबीआई ने 2015 से डी-एसआईबी सूची में बैंक के नाम का खुलासा करना शुरू किया और इसमें एसबीआई को शामिल किया गया।
आईसीआईसीआई बैंक को 2016 में और एचडीएफसी बैंक को 2017 में शामिल किया गया था।
प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण घरेलू बैंकों(डी-एसआईबी)
- डी-एसआईबी के पीछे की अवधारणा यह है कि भारत में कुछ ऐसे बैंक हैं, जिन्हें किसी भी कीमत पर विफल होने नहीं दी जा सकती क्योंकि इसकी विफलता भारतीय अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है।
- भारतीय रिजर्व बैंक अपने आकार और भारतीय अर्थव्यवस्था में उनके समग्र योगदान के आधार पर बैंकों का चयन करता है।
- सामान्य पूंजी संरक्षण बफर के अलावा, डी-एसआईबी को अतिरिक्त कॉमन इक्विटी टियर 1 (सीईटी1) बनाए रखने की आवश्यकता होगी।
- एसबीआई को अपनी जोखिम भारित आस्तियों के प्रतिशत के रूप में 0.60% का एक अतिरिक्त सामान्य इक्विटी टियर 1 (सीईटी1) बनाए रखना होगा।
- एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक को अपनी जोखिम भारित आस्तियों के प्रतिशत के रूप में 0.20% का एक अतिरिक्त सामान्य इक्विटी टियर 1 (सीईटी1) बनाए रखना होगा।
भारत में शाखाएं रखने वाले विदेशी बैंकों को प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण विदेशी बैंक (जी-एसआईबी) कहा जाता है। वर्तमान में आरबीआई द्वारा किसी भी विदेशी बैंक को जी-एसआईबी श्रेणी में नहीं रखा गया है ।
आरबीआई गवर्नर: शक्तिकांत दास
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