आरईसी बना 12वां 'महारत्न' सीपीएसई
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वित्त मंत्रालय के तहत सार्वजनिक उद्यम विभाग ने 22 सितंबर 2022 को एक आदेश जारी किया है, जिसमें ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) को 'महारत्न' केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (सीपीएसई) का दर्जा दिया गया है। आरईसी महारत्न का दर्जा पाने वाला 12वां सीपीएसई है।
आरईसी के सीएमडी विवेक कुमार देवांगन ने कहा कि, आरईसी ने वैश्विक कोविड-19 महामारी के दौरान भी अपनी अनुकूलन क्षमता, लचीलेपन और लगातार प्रदर्शन के कारण यह उपलब्धि हासिल की है।
महत्वपूर्ण तथ्य -
ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) :
- ग्रामीण विद्युतीकरण निगम केंद्रीय विद्युत मंत्रालय के तहत एक गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी (एनबीएफसी) है। इसे 1969 में स्थापितकिया गया था और यह पूरे भारत में बिजली क्षेत्र के वित्तपोषण और विकास पर केंद्रित है।इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
महारत्न सीपीएसई क्या है ?
- महारत्न योजना 2010 में भारत सरकार द्वारा केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) के लिए शुरू की गई थी, ताकि मेगा सीपीएसई को अपने संचालन का विस्तार करने और वैश्विक दिग्गजों के रूप में उभरने के लिए सशक्त बनाया जा सके।
- केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (सीपीएसई) वे कंपनियाँ हैं जिनका स्वामित्व भारत सरकार के पास है।
महारत्न का दर्जा देने के लिए पात्रता मानदंड :
निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करने वाले सीपीएसई को महारत्न का दर्जा देने के लिए विचार किए जाने के पात्र हैं।
- उसे नवरत्न का दर्जा प्राप्त हों;
- सेबी के नियमों के तहत न्यूनतम निर्धारित सार्वजनिक शेयरधारिता के साथ भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध;
- पिछले 3 वर्षों के दौरान 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का औसत वार्षिक कारोबार;
- पिछले 3 वर्षों के दौरान 15,000 करोड़ रुपये से अधिक की औसत वार्षिक निवल संपत्ति;
- पिछले 3 वर्षों के दौरान 5,000 करोड़ रुपये से अधिक के कर के बाद एक औसत वार्षिक शुद्ध लाभ;
- महत्वपूर्ण वैश्विक उपस्थिति/अंतर्राष्ट्रीय संचालन होना चाहिए।
एक महारत्न होने के लाभ :
- सीपीएसई को 'महारत्न' का दर्जा दिए जाने से कंपनी के बोर्ड को वित्तीय निर्णय लेने के दौरान बढ़ी हुई शक्तियां हासिल होती हैं ।
- एक ‘महारत्न’ केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (सीपीएसई) का बोर्ड वित्तीय संयुक्त उद्यम और पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों को शुरू करने के लिए इक्विटी निवेश कर सकता है और भारत एवं विदेशों में विलय तथा अधिग्रहण कर सकता है।
- इस विलय तथा अधिग्रहण की सीमा संबंधित सीपीएसई की शुद्ध संपत्ति (नेट वर्थ) के 15 प्रतिशत हिस्से और एक परियोजना में 5,000 करोड़ रुपये तक सीमित होती है।
- बोर्ड कार्मिक एवं मानव संसाधन प्रबंधन और प्रशिक्षण से संबंधित योजनाओं की संरचना और कार्यान्वयन भी कर सकता है।
- ‘महारत्न’ के इस दर्जे के साथ, सीपीएसई, प्रौद्योगिकी आधारित संयुक्त उद्यम या अन्य रणनीतिक गठजोड़ में भी कदम रख सकता है।
अतिरिक्त जानकारी -
महारत्न सीपीएसई (22 सितंबर 2022 तक) :
- भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड
- भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड
- कोल इंडिया लिमिटेड
- गेल (इंडिया) लिमिटेड
- हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड
- इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड
- एनटीपीसी लिमिटेड
- तेल और प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड
- पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन
- पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड
- ग्रामीण विद्युतीकरण निगम
- स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड
फुल फॉर्म :
सीपीएसई /CPSE : सेंट्रल पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइजेज
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