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निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, उस विकल्प का चयन करें जो प्रत्यय से बना है।
जादूगर शब्द प्रत्यय से बना है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु-
अतिरिक्त बिंदु-
निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, उस विकल्प का चयन करें जो उपसर्ग से बना शब्द नहीं हैं।
दिखावा शब्द उपसर्ग से बना शब्द नहीं हैं। दिखावा प्रत्यय ‘कृत प्रत्यय’ का एक उदाहरण है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु-
अन्य विकल्प -
अतिरिक्त बिंदु -
'परि' उपसर्ग में कौन-सा शब्द जोड़ें, जिससे उसका अर्थ छोड़ना हो जाए ?
'परि' उपसर्ग में हार शब्द जोड़ने से उसका अर्थ छोड़ना हो जाएगा।
अतिरिक्त ज्ञान -
⇒उपसर्ग उस शब्दांश को कहते हैं , जो किसी शब्द अथवा अव्यय के साथ में जुड़कर उसके अर्थ में विशेषता या परिवर्तन उत्पन्न करते हैं ;जैसे कर्म के पहले सु उपसर्ग लगने से सुकर्म शब्द बन गया और इससे कर्म की विशेषता प्रकट हो गयी।
⇒उपसर्ग का प्रयोग तथा शब्दार्थ - उपसर्ग के प्रयोग से अर्थ में विशेषता आ जाती है।
1 शब्दार्थ सर्वथा प्रतिकूल हो जाता है।
2 शब्दार्थ में कोई विशेष अंतर नहीं आता, मात्र गति या अधिकता का संकेत मिलता है।
3 शब्दार्थ में एक नवीन विशेषता आ जाती है।
⇒हिंदी में जो उपसर्ग मिलते हैं ,वे कई भाषाओं के होते हैं ; जैसे- संस्कृत, उर्दू, हिंदी, अंग्रेजी।
⇒संस्कृत उपसर्ग -संस्कृत के उपसर्गों का प्राय: हिन्दी प्रयोग होता है, जो निम्नलिखित हैं प्र , पर, अप, अनु, अलम, आविर, आ, निर, दूर, वि, अभि, प्रति आदि।
⇒हिंदी उपसर्ग - हिंदी उपसर्ग, प्रायः संस्कृत उपसर्गों के अपभ्रंश है और विशेषकर तद्भव शब्दों के पूर्व आते हैं। जैसे- अ, अध, अन, उ, उन, औ, कु, नि, बिन, भर, सु आदि।
⇒उर्दू उपसर्ग - उर्दू के उपसर्ग भी जगह-जगह स्थान की पूर्ति करते निर्देशित होते हैं , जो अग्रलिखित हैं- अल, कम, खुश, दर, ना, फिल, ब, बद आदि।
अनुपमा शब्द में उपसर्ग है ?
अनुपमा शब्द में 'अन्' उपसर्ग है ।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
अन्य विकल्प -
अतिरिक्त बिंदु -
उपसर्ग - जो शब्दांश शब्दों के आदि में जुड़ कर उनके अर्थ में कुछ विशेषता लाते हैं उन्हें उपसर्ग कहते हैं। जैसे: आ, अनु, अभि, अति, नि आदि।
‘‘सांस्कृतिक’’ में प्रत्यय है-
‘‘सांस्कृतिक’’ में "इक" प्रत्यय है।
इसका विच्छेद है संस्कृति + इक = सांस्कृतिक।
अतिरिक्त बिन्दु :
प्रत्यय :
प्रत्यय के मुख्य दो भेद हैं-
कृत प्रत्यय :
तद्धित प्रत्यय :
‘दुष्कर’ में कौन-सा उपसर्ग है?
उपसर्ग — यह वह शब्दांश है जो किसी शब्द के पूर्व जोड़ा जाता है; जैसे – आगमन, उपदेश। इसी प्राकार दुष्कर मे दुस्+कर है। इनमें क्रमशः ‘आ’ तथा ‘उप’ उपसर्ग हैं। हिन्दी में जो उपसर्ग मिलते हैं वे संस्कृत, हिन्दी तथा ऊर्दू के उपसर्ग हैं।उपसर्गों का स्वतंत्र प्रयोग नहीं होता है। इनका प्रयोग किसी शब्द से पहले जुड़कर ही होता है।
'अभ्यागत' शब्द में कौन सा उपसर्ग है?
'अभ्यागत' शब्द में अभि उपसर्ग हैं।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
अतिरिक्त बिंदु -
उपसर्ग - जो शब्दांश शब्दों के आदि में जुड़ कर उनके अर्थ में कुछ विशेषता लाते हैं उन्हें उपसर्ग कहते हैं। जैसे: आ, अनु, अभि, अति, नि आदि।
उदाहरण -
"जीवन" उपसर्ग का शब्द है?
उपरोक्त सभी शब्द "जीवन" उपसर्ग से निर्मित शब्द है।
महत्वपूर्ण बिन्दु :
उपसर्ग :
‘उप’ का अर्थ है - समीप या निकट और ‘सर्ग’ का-सृष्टि करना।
“उपसर्ग वह शब्दांश या अव्यय है, जो किसी शब्द के आरंभ में जुड़कर उसके अर्थ में (मूल शब्द के अर्थ में) विशेषता ला दे या उसका अर्थ ही बदल दे।”
जैसे- अभि + मान = अभिमान
प्रत्यय रहित शब्द बताइए -
प्रत्यय रहित शब्द दुराचार है। दुराचार शब्द में दूर् उपसर्ग है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु-
अतिरिक्त बिंदु -
प्रत्यय की परिभाषा - प्रत्यय की परिभाषा - ‘प्रति’ और ‘अय’ दो शब्दों के मेल से प्रत्यय शब्द का निर्माण हुआ है। ‘प्रति’ का अर्थ ‘साथ में बाद में’ होता है। ‘अय’ का अर्थ होता है ‘चलनेवाला’। इस प्रकार प्रत्यय का अर्थ हुआ - शब्दों के साथ, पर बाद में चलनेवाला या लगनेवाला शब्दांश। अतः जो शब्दांश के अंत में जोड़े जाते हैं, उन्हें प्रत्यय कहते हैं। जैसे - ‘बड़ा’ शब्द में ‘आई’ प्रत्यय जोड़ कर ‘बड़ाई’ शब्द बनता है।
नोट:उपसर्गों की तरह इनको भी न तो सार्थक खंडों में विभक्त किया जा सकता है और न स्वतंत्र रूप में प्रयुक्त ही किया जा सकता है।
उपसर्ग की परिभाषा - उपसर्ग उस शब्दांश या अव्यय को कहते हैं, जो किसी शब्द अथवा अव्यय के आदि में जुड़कर उसके अर्थ में विशेषता या परिवर्तन उत्पन्न करते हैं; जैसे - कर्म के पहले सु उपसर्ग लगने से सुकर्म शब्द बन गया है और इससे कर्म की विशेषता प्रकट हो गयी।
'बदस्तूर' में उपसर्ग है-
'बदस्तूर' में 'ब' उपसर्ग है। ये 'उर्दू उपसर्ग' के अंतर्गत आता है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
उपसर्ग | अर्थ | निर्मित शब्द |
अल | निश्चित | अलगरज, अलबत्ता |
ऐन | ठीक पूरा | ऐन जवानी |
ब | ओर में, अनुसार | बनाम, बदस्तूर, बदौलत |
अतिरिक्त बिंदु -
किस शब्द में ‘अ’ उपसर्ग है -
अनीति में ‘अ’ उपसर्ग का प्रयोग हुआ है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
अन्य विकल्प -
अतिरिक्त बिंदु -
’तिरोहित’ में प्रयुक्त उपसर्ग है -
तिरोहित में 'तिरस्' उपसर्ग प्रयुक्त है।
अतिरिक्त बिंदु -
उदाहरण -
'पढ़ाना' में कौन - सा प्रत्यय का प्रयोग हुआ है -
व्याख्या - 'पढ़ाना' शब्द में 'कर्मवाचक कृदन्त' का प्रयोग हुआ है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
जैसे - आना - मिटाना, चलाना, पढ़ाना।
अन्य विकल्प -
कारणवाचक कृदन्त - जिन कृदन्त शब्दों से किसी क्रिया के साधन का बोध होता है, उन्हें कारणवाचक कृदन्त कहते हैं।
ये कृदन्त शब्द धातुओं के अंत में आ, ई, ऊ, न, नी, औटी आदि प्रत्यय जोड़कर बनाये जाते हैं।
जैसे - झूला, रेती, बेलन, कसौटी।
गुणवाचक कृदन्त - जिन कृदन्त शब्दों से क्रिया के विशेषण का बोध होता है उन्हें गुणवाचक कृदन्त कहते हैं।
ये कृदन्त शब्द धातुओं के अंत में आवना, ना, नी, क आदि प्रत्यय जोड़कर बनाये जाते हैं।
जैसे - सुहावना, उड़ना, सुननी, घटना।
भाववाचक कृदन्त - जिन कृदन्त शब्दों के द्वारा क्रियाओं के भाव का पता चले, वे भाववाचक कृदन्त कहलाते हैं।
ये कृदन्त शब्द धातुओं के अंत में आ, आई, आन, आव, आस, त, ती, आवट, आहत आदि प्रत्ययों के जोड़ने से भाववाचक कृदंतीय संज्ञा बनती हैं।
जैसे - मोटापा, मिलान, कलाप, निकास, घटिया।
अतिरिक्त बिंदु -
प्रत्यय की परिभाषा - 'प्रति' और 'अय' दो शब्दों के मेल से प्रत्यय शब्द का निर्माण हुआ है। 'प्रति' का अर्थ 'साथ में पर बाद में' होता है। 'अय' का अर्थ होता है 'चलनेवाला'। इस प्रकार प्रत्यय का अर्थ हुआ - शब्दों के साथ, पर बाद में चलनेवाला या लगनेवाला शब्दांश। अतः जो शब्दांश के अंत में जोड़े जाते हैं, उन्हें प्रत्यय कहते हैं।
निम्न में से किस शब्द में दो प्रत्यय का प्रयोग किया गया है?
समझदारी = समझ + दार + ई
समझदारी शब्द में ‘समझ' मूल शब्द है, ‘दार' तथा ‘ई' दोनों ही प्रत्यय हैं।
अन्य विकल्प-
अत्यंत शब्द में ‘अति' उपसर्ग है, ‘अंत' मूल शब्द है, इसमें कोई प्रत्यय नहीं है।
ईमानदार शब्द में ‘ईमान' मूल शब्द है तथा ‘दार' प्रत्यय है, इस शब्द में कोई भी अन्य प्रत्यय नहीं है।
लेनदार शब्द में ‘लेन' मूल शब्द है तथा ‘दार' प्रत्यय है, इस शब्द में कोई भी अन्य प्रत्यय नहीं है।
अतिरिक्त बिंदु -
अति + आचार = अत्याचार (जुल्म)
महत्वपूर्ण बिन्दु
निम्न में से किस शब्द में उपसर्ग और प्रत्यय दोनों हैं?
संभाव्य = सम् + भव + य
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
सुपाच्य = सु + पच + य
सुपाच्य शब्द में -
अन्य विकल्प -
इस शब्द में कोई भी उपसर्ग नहीं है।
अतिरिक्त बिंदु -
⇒ "उपसर्ग उस शब्दांश या अव्यय को कहते है, जो किसी शब्द के पहले आकर उसका विशेष अर्थ प्रकट करता है।" तात्पर्य यह है कि जो शब्दांश किसी शब्द के पूर्व (पहले) जुड़ते हैं, उन्हें उपसर्ग कहते हैं।
⇒उपसर्ग दो शब्दों- उप + सर्ग के योग से बना है। जिसमें 'उप' का अर्थ है- समीप, पास या निकट और 'सर्ग' का अर्थ है सृष्टि करना। इस तरह 'उपसर्ग' का अर्थ है पास में बैठाकर दूसरा नया अर्थवाला शब्द बनाना या नया अर्थ देना।
निम्न में से कृत वाचक कृदंत प्रत्यय है?
लेख + अक = लेखक (कृत वाचक कृदंत प्रत्यय का उदाहरण है)
महत्वपूर्ण बिन्दु
‘बुलावा’ में कौन-सा प्रत्यय है-
'बुलावा' में ‘आवा’ प्रत्यय प्रयुक्त है।
अतिरिक्त बिंदु -
अनुवाद में प्रयुक्त उपसर्ग है?
‘अनु' शब्दांश संस्कृति का उपसर्ग है, अनु का अर्थ होता है पीछे या समान ‘अनु' शब्दांश से बनने वाले शब्द- अनुचर, अनुकरण, अनुसार, अनुशासन आदि है।
महत्वपूर्ण बिन्दु :
जो शब्दांश शब्दों के आदि में जुड़कर उनके अर्थ में कुछ विशेषता लाते हैं वह उपसर्ग कहलाते हैं।
हिंदी में प्रचलित उपसर्गों को निम्नानुसार विभक्त किया गया है-
प्रत्यय का प्रयोग होता है?
जो शब्दांश शब्दों के अंत में जोड़कर उनके अर्थ में विशेषता या परिवर्तन ला देते हैं वह प्रत्यय कहलाते हैं।
जैसे- दयालु ‘दया' शब्द के अंत में ‘आलु' जुड़ने से अर्थ में विशेषता आ गई अतः यहां ‘आलु' शब्दांश प्रत्यय है।
महत्वपूर्ण बिन्दु :
प्रत्ययों का अपना अर्थ कुछ नहीं होता है और ना ही इनका प्रयोग स्वतंत्र रूप से किया जाता है। प्रत्यय के मुख्य दो भेद हैं-
1.कृत प्रत्यय
2.तद्धित प्रत्यय
कृत प्रत्यय :
वे प्रत्यय जो क्रिया के मूल रूप यानी धातु में जोड़े जाते हैं, कृत प्रत्यय कहलाते हैं कृत प्रत्यय से बने शब्द कृदंत (कृत + अंत) शब्द कहलाते हैं।
जैसे- लिख+अक = लेखक
यहां ‘अक' कृत प्रत्यय है तथा ‘लेखक' कृदंत शब्द है।
तद्धित प्रत्यय :
वे प्रत्यय जो क्रिया के मूल रूप यानी धातु को छोड़कर अन्य शब्दों संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण व अव्यय में जुड़ते हैं तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं, तद्धित प्रत्यय से बने शब्द कहलाते हैं।
जैसे- सेठ + आनी = सेठानी
यहां ‘आनी' तद्धित प्रत्यय है तथा ‘सेठानी' तद्धितान्त शब्द है।