बैंकों को पिछले 8 वित्तीय वर्षों में 8.6 लाख करोड़ रुपये के एनपीए की वसूली

Tags: Economy/Finance

वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने 18 जुलाई को संसद में लिखित रूप से कहा कि आरबीआई ने पिछले आठ वित्तीय वर्षों में बैंकों को 8.6 लाख करोड़ रुपये से अधिक के फंसे हुए ऋणों (एनपीए) की वसूली में मदद की।

एनपीए की वसूली के कारक

  • मौजूदा व्यापक आर्थिक स्थिति, क्षेत्रीय मुद्दे, वैश्विक कारोबारी माहौल, बैंकों द्वारा तनाव की पहचान में देरी, तेजी के दौरान आक्रामक उधार, अनुचित जोखिम मूल्य निर्धारण और खराब क्रेडिट अंडरराइटिंग आदि।

  • सरकार और आरबीआई द्वारा नियमित रूप से दिशा-निर्देश जारी करना और लंबे समय से तनावग्रस्त आस्तियों के समाधान के उद्देश्य से कई पहलों की शुरुआत।

  • ऋणों की वसूली और दिवालियापन अधिनियम, 1993, वित्तीय परिसंपत्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण और सुरक्षा ब्याज अधिनियम, 2002 और दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 जैसे वैधानिक प्रावधान भी एनपीए की वसूली के लिए सहायक थे।

गैर निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) क्या है?

  • गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियों से तात्पर्य ऐसे ऋण से है, जिसका लौटना संदिग्ध हो।

  • बैंक अपने ग्राहकों को जो ऋण देता है वह उसे अपने खाते में संपत्ति के रूप में दर्ज़ करता है, परन्तु यदि बैंक को यह आशंका होती है कि ग्राहक यह ऋण नहीं लौटा पाएगा, तो ऐसी संपत्ति को गैर-निष्पादनकारी संपत्तियाँ कहा जाता है। 

  • गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए एक बोझ हैं। ये देश की बैंकिंग व्यवस्था को बीमार करते हैं।

Please Rate this article, so that we can improve the quality for you -

Date Wise Search