केंद्र ने टीबी के इलाज के लिए 75 आदिवासी जिलों की पहचान की

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जनजातीय कार्य मंत्रालय तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के टीबी प्रभाग ने 24 अगस्त को राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान (एनटीआरआई), नई दिल्ली में ‘जनजातीय टीबी पहल’ के तहत 100 दिवसीय आश्वासन अभियान की विशेषताओं का प्रचार करने के लिए एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया।


महत्वपूर्ण तथ्य -

  • भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर, 75 अधिक बोझ वाले जनजातीय जिलों को आगामी महीनों में टीवी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए चुना गया है।

75 जिलों के लिए त्रिस्तरीय रणनीति :

  1. समुदाय को एकजुट करने, टीबी लक्षणों, प्रसार और उपचार प्रक्रियाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने तथा इसे दूर करने की प्रक्रिया के दौरान शामिल किए गए सामुदायिक प्रभावकों के साथ निरंतर जुड़ाव के माध्यम से टीबी सेवाओं की मांग का सृजन करना।

  2. टीबी परीक्षण और निदान के बुनियादी ढांचे में वृद्धि करके कार्यान्वयन अंतराल को दूर करने के लिए पीआईपी और वित्त पोषण के अन्य स्रोतों का लाभ उठाकर अनुकूलित समाधान के प्रावधान द्वारा टीबी सेवाओं के वितरण में सुधार करना।

  3. सक्रिय मामलों का पता लगाने के अभियानों के माध्यम इस बीमारी के फैलने के जोखिम को कम करना।

जनजातीय टीबी पहल :

  • यह जनजातीय कार्य मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय के केंद्रीय टीबी प्रभाग की एक संयुक्त पहल है, जिसे यूएसएआईडी द्वारा एक तकनीकी भागीदार और पीरामल स्वास्थ्य द्वारा कार्यान्वयन भागीदार के रूप में समर्थन प्राप्त है।

  • इस पहल के माध्यम से भारत के 174 जनजातीय जिलों में टीबी के सक्रिय मामलों का पता लगाने के लिए आश्वासन अभियान 7 जनवरी 2022 को शुरू किया गया था।

  • इस पहल को महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले में झंडी दिखाकर शुरू किया गया था।

  • इसके तहत 68,019 गांवों में टीबी की घर-घर जाकर जांच की गई।

  • अभियान के दौरान 1,03,07,200 व्यक्तियों की मौखिक जांच के आधार पर 3,82,811 लोगों में टीबी होने की पहचान की गई थी।

  • इनमें से 2,79,329 (73 प्रतिशत) नमूनों की टीबी के लिए जांच की गई और 9,971 लोग टीबी के लिए पॉजिटिव पाए गए।

  • इन सभी का भारत सरकार के प्रोटोकॉल के अनुसार इलाज किया गया।

क्षय रोग (टीबी) क्या है ?

  • यह माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु के कारण होता है।

  • बैक्टीरिया आमतौर पर फेफड़ों पर हमला करते हैं, लेकिन टीबी के बैक्टीरिया शरीर के किसी भी हिस्से जैसे किडनी, रीढ़ और मस्तिष्क पर हमला कर सकते हैं।

  • एचआईवी के उद्भव के कारण 1985 में क्षय रोग के संक्रमण बढ़ने लगे।

  • एचआईवी एक व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है, इसलिए यह टीबी के कीटाणुओं से नहीं लड़ सकता है।

प्रसार :

  • इसके बैक्टीरिया हवा के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है।

  • जब फेफड़े की टीबी से पीड़ित लोग खांसते, छींकते या थूकते हैं, तो वे टीबी के कीटाणुओं को हवा में फैला देते हैं।

टीबी के लक्षण :

  • तीन या अधिक सप्ताह से खाँसी आना 

  • खांसी के साथ बलगम से खून आना 

  • सीने में दर्द, या सांस लेने या खांसने के साथ दर्द

  • वजन कम होना, थकान, बुखार और रात को पसीना आना आदि।

टीबी से निपटने के लिए सरकार की पहल :

  • क्षय रोग उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (एनएसपी) (2017-2025)

  • निक्षय पोषण योजना (एनपीवाई- वित्तीय सहायता)

  • टीबी हारेगा देश जीतेगा अभियान

  • सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत संशोधित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम

  • भारत सरकार का लक्ष्य 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाना है।

  • संयुक्त राष्ट्र एसडीजी लक्ष्य 3.3 के तहत 2030 तक टीबी महामारी को समाप्त करना।

  • हर साल 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है।

अतिरिक्त जानकारी -

टीबी का बोझ :

  • हर साल एक करोड़ लोग टीबी से बीमार पड़ते हैं और हर साल 15 लाख लोग टीबी से मरते हैं।

  • टीबी से पीड़ित सभी लोगों में से लगभग आधे लोग 8 देशों- बांग्लादेश, चीन, भारत, इंडोनेशिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपींस और दक्षिण अफ्रीका में पाए जाते हैं।

  • यह दुनिया भर में मौतों के शीर्ष 10 प्रमुख कारणों में से एक है।

  • भारत में दुनिया के 30 प्रतिशत टीबी के मामले हैं, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है, इसके बाद इंडोनेशिया और चीन का नंबर आता है।

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