कोर्ट के आदेशों की अनदेखी कर रही सरकारें : CJI
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चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमाना ने कहा कि कार्यपालिका के विभिन्न अंगों का काम ना करना और कानूनों में अस्पष्टता न्यायपालिका पर मुकदमों का बोझ बहुत बढ़ा रही है।
अवमानना याचिकाएं अदालतों पर बोझ की एक नई श्रेणी हैं, जो सरकारों द्वारा अवज्ञा का प्रत्यक्ष परिणाम है।
इस तरह की कार्रवाइयां न्यायिक घोषणाओं के प्रति सरकारों की सरासर अवज्ञा को दर्शाती हैं।
निर्णय लेने की जिम्मेदारी अदालतों को सौंपने की प्रवृत्ति स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है।
कानून बनाने से पहले विधायिका के कार्य अस्पष्टता, दूरदर्शिता की कमी और सार्वजनिक परामर्श के कारण डॉकेट विस्फोट हुआ है।
क्या है कोर्ट की अवमानना?
अदालत की अवमानना कानून की अदालत और उसके अधिकारियों के प्रति अवज्ञा या अनादर करने का अपराध है।
अवमानना की दो श्रेणियां हैं-
अदालत कक्ष में कानूनी अधिकारियों का अनादर करना।
जानबूझकर अदालत के आदेश का पालन करने में विफल होना।
संविधान के अनुच्छेद 129 ने सर्वोच्च न्यायालय को स्वयं की अवमानना को दंडित करने की शक्ति प्रदान की।
अनुच्छेद 215 उच्च न्यायालयों को ऐसी ही शक्ति प्रदान करता है।
न्यायालयों की अवमानना अधिनियम, 1971, इस विचार को वैधानिक समर्थन देता है।
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