कोर्ट के आदेशों की अनदेखी कर रही सरकारें : CJI

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चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमाना ने कहा कि कार्यपालिका के विभिन्न अंगों का काम ना करना और कानूनों में अस्पष्टता न्यायपालिका पर मुकदमों का बोझ बहुत बढ़ा रही है।

  • अवमानना याचिकाएं अदालतों पर बोझ की एक नई श्रेणी हैं, जो सरकारों द्वारा अवज्ञा का प्रत्यक्ष परिणाम है।

  • इस तरह की कार्रवाइयां न्यायिक घोषणाओं के प्रति सरकारों की सरासर अवज्ञा को दर्शाती हैं।

  • निर्णय लेने की जिम्मेदारी अदालतों को सौंपने की प्रवृत्ति स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है।

  • कानून बनाने से पहले विधायिका के कार्य अस्पष्टता, दूरदर्शिता की कमी और सार्वजनिक परामर्श के कारण डॉकेट विस्फोट हुआ है।

  • क्या है कोर्ट की अवमानना?

  • अदालत की अवमानना कानून की अदालत और उसके अधिकारियों के प्रति अवज्ञा या अनादर करने का अपराध है।

  • अवमानना की दो श्रेणियां हैं-

  1. अदालत कक्ष में कानूनी अधिकारियों का अनादर करना।

  2. जानबूझकर अदालत के आदेश का पालन करने में विफल होना।

  • संविधान के अनुच्छेद 129 ने सर्वोच्च न्यायालय को स्वयं की अवमानना को दंडित करने की शक्ति प्रदान की।

  • अनुच्छेद 215 उच्च न्यायालयों को ऐसी ही शक्ति प्रदान करता है।

  • न्यायालयों की अवमानना अधिनियम, 1971, इस विचार को वैधानिक समर्थन देता है।

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