आईआरडीएआई ने विदेशियों को बीमा कंपनी के वरीयता शेयर और अधीनस्थ ऋण में निवेश करने की अनुमति दी
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बीमा क्षेत्र के नियामक भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने विदेशी निवेशकों को भारतीय बीमा कंपनियों द्वारा जारी वरीयता शेयरों(preference shares) और अधीनस्थ ऋण(Subordinated debt) में निवेश करने की अनुमति दे दी है।
नियामक ने अब भारतीय बीमा कंपनियों द्वारा जारी अधीनस्थ ऋण को भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध करने की भी अनुमति दी है। हालांकि,उन्हें विदेशी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध नहीं किया जा सकता है।
यदि अधीनस्थ ऋण ,जीवन बीमा कंपनियों, सामान्य बीमा कंपनियों या पुनर्बीमा कंपनियों द्वारा जारी किया जाता है तो अधीनस्थ ऋण की परिपक्वता अवधि 10 वर्ष से कम नहीं होगी ।
स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के द्वारा जारी की गई अधीनस्थ ऋण के लिए परिपक्वता अवधि सात वर्ष से कम नहीं होगी ।
अधीनस्थ ऋण क्या है?
अधीनस्थ ऋण एक असुरक्षित ऋण है जो संपत्ति या आय पर दावों के संबंध में अन्य ऋणों या प्रतिभूतियों जिसे वरिष्ठ प्रतिभूतियां भी कहा जाता है, से नीचे रैंक करता है। अधीनस्थ ऋण को जूनियर सिक्योरिटीज भी कहा जाता है।
इसका मतलब यह है कि अगर कर्ज लेने वाला कर्ज चुकाने में चूक करता है तो कर्ज लेने वाले की सभी संपत्तियां जो जमानत के रूप में रखी गई हैं, बेच दी जाएंगी। संपत्तियों को बेचकर जो पैसा आएगा , उसका भुगतान पहले वरिष्ठ बांड धारकों को किया जाएगा और उसके बाद ही अधीनस्थ ऋण धारकों को भुगतान किया जाएगा।
वरीयता शेयर क्या है?
शेयर मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं। इक्विटी शेयर या सामान्य शेयर और वरीयता शेयर।
इक्विटी शेयरधारकों के विपरीत वरीयता शेयर धारकों को वोट देने का अधिकार नहीं होता है। हालाँकि लाभांश के भुगतान के मामले में वरीयता शेयरधारकों को पहले लाभांश का भुगतान किया जाता है और फिर इक्विटी शेयरधारकों को भुगतान किया जाता है।
लाभांश कंपनी द्वारा अर्जित किये गए लाभ का वह हिस्सा होता है जो कंपनी अपने शेयरधारकों के बीच बांटती है।
बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा 74% है।
आईआरडीएआईके अध्यक्ष: देबाशीष पांडा
आईआरडीएआई का मुख्यालय: हैदराबाद
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