कन्नड़ भाषा को बढ़ावा देने के लिए कर्नाटक सरकार का नया विधेयक
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कन्नड़ भाषा व्यापक विकास विधेयक हाल ही में कर्नाटक राज्य विधानसभा में पेश किया गया था।
महत्वपूर्ण तथ्य
विधेयक को कन्नड़ और संस्कृति मंत्री वी सुनील कुमार ने 22 सितंबर को पेश किया।
यह विधेयक उन निवासियों को वर्गीकृत करता है जिनके माता-पिता या अभिभावक कम से कम 15 वर्षों से कर्नाटक में रह रहे हैं और कन्नड़ को पढ़ने और लिखने में सक्षम हैं।
विधेयक की विशेषताएं
नए विधेयक में प्रस्ताव है कि कन्नड़ को उच्च शिक्षा और तकनीकी पाठ्यक्रमों में पढ़ाया जाए।
यह उन छात्रों के लिए उच्च शिक्षा में आरक्षण का भी प्रस्ताव करता है, जिन्होंने कक्षा 1 से 10 तक कन्नड़ माध्यम से पढ़ाई की है।
कर्नाटक औद्योगिक नीति 2020-25 में कंपनियों को कन्नड लोगों के लिए 70% और ग्रुप डी के कर्मचारियों के लिए 100% आरक्षण देना अनिवार्य है। यह नया विधेयक उन कंपनियों को किसी प्रकार का लाभ नहीं देने का प्रस्ताव करता है जो इसका पालन नहीं करती हैं।
विधेयक में एक राजभाषा आयोग के गठन का भी प्रस्ताव है।
कर्नाटक में बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के कर्मचारी कन्नड़ का प्रयोग करेंगे।
विधेयक में प्रस्ताव है कि राज्य में अधीनस्थ न्यायालयों और न्यायाधिकरणों में कन्नड़ का इस्तेमाल किया जाए।
कर्नाटक राज्य के बारे में
गठन - 1 नवंबर 1956
राजधानी- बेंगलुरु
राज्यपाल– थावर चंद्र गहलोत
मुख्यमंत्री– बसवराज बोम्मई (भाजपा)
विधान सभा सीटें- 225
लोकसभा सीटें- 28
कर्नाटक में स्थित जोग जलप्रपात (गरसोप्पा) भारत का सबसे ऊँचा जलप्रपात है जो शरवती नदी पर है।
यक्षगान कर्नाटक का प्रमुख लोक नृत्य है।
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