आरबीआई ने मुद्रास्फीति पर आक्रामक मौद्रिक नीति जारी रखते हुए रेपो दर में 50 आधार अंकों की वृद्धि की
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मुद्रास्फीति पर अपने आक्रामक रुख को जारी रखते हुए 30 सितंबर 2022 को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति ने नीति रेपो दर में 50 आधार अंकों (0.50%) की वृद्धि की घोषणा की।
मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए आरबीआई द्वारा इस वित्तीय वर्ष में, रेपो में यह लगातार चौथी बार वृद्धि है। 2020 के बाद आरबीआई ने पहली बार ,4 मई 2022 को रेपो दर में वृद्धि की थी और तब सेइसमें 1.90% की वृद्धि हुई है।
महंगाई पर नियंत्रण, प्राथमिकता
- आरबीआई ने 2022-23 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को 6.7% पर बनाए रखा है।
- एमपीसी ने यह भी निर्यण लिया की मुद्रास्फीति को नियंत्रण करने के लिए , आरबीआई धीरे धीरे उदार मौद्रिक नीति को ख़तम करेगा ताकि देश के आर्थिक विकास पर प्रतिकूल असर न हों।
- इसका मतलब है कि आरबीआई एक सख्त मौद्रिक नीति का पालन करेगा जहां बाजार में मुद्रा की आपूर्ति को कम करने की कोशिश की जाएगी ताकि मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया जा सके।
- यही कारण है कि आरबीआई रेपो दर बढ़ा रहा है जिसके परिणामस्वरूप बैंकों को भी अपनी उधार दर बढ़ाने पड़ेगे । इससे कार लोन, होम लोन आदि महंगा हो जायेगा और बाज़ार में मुद्रा की मांग कम हों जाएगी।
- आरबीआई के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति के लिए मध्यम अवधि का लक्ष्य 4 प्रतिशत के बैंड के +/- 2 प्रतिशत के भीतर है। इसका मतलब है कि अगर मुद्रास्फीति की दर अधिकतम 6% या न्यूनतम 2% है तो आरबीआई को कोई प्रॉब्लम नहीं होगा।
आरबीआई द्वारा घोषित कदम
पॉलिसी रेपो रेट
- पॉलिसी रेपो रेट को तत्काल प्रभाव से 5.40% से बढ़ाकर 5.90% कर दिया गया है।
- आरबीआई जिस दर पर बैंकों को अल्पावधि के लिए कर्ज देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं।
रिवर्स रेपो रेट
- फिक्स्ड रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया और यह 3.35% है।
- फिक्स्ड रिवर्स रेपो में, वाणिज्यिक बैंक अल्पावधि के लिए अपनी अतिरिक्त तरलता आरबीआई के पास जमा करते हैं और आरबीआई ऐसी जमा राशि पर ब्याज का भुगतान करता है।
स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ)
- स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) को 5.15% से बढ़ाकर 5.65% कर दिया गया है।
- एसडीएफ पर दी जाने वाली ब्याज दर हमेशा रेपो दर से 0.25% कम होती है।
सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ)
- सीमांत स्थायी सुविधा को 5.65% से बढ़ाकर 6.15% कर दिया गया है। एमएसएफ वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को अल्पावधि ऋण प्रदान करता है।
- इसे रेपो रेट से 0.25% ज्यादा रखा गया है।
बैंक दर
- बैंक दर को 5.65% से बढ़ाकर 6.15% कर दिया गया है।
- बैंक दर वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को लंबी अवधि के लिए उधार देता है।
- बैंक दर और सीमांत स्थायी सुविधा हमेशा आरबीआई द्वारा समान रखी जाती है।
आरक्षित अनुपात
नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर)
- नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह 4.50% है।
- बैंकों को अपने शुद्ध समय और मांग जमा देयताएं (एनडीटीएल) का एक निश्चित प्रतिशत कैश के रूप में आरबीआई के पास रखना होता है जिसे नकद आरक्षित अनुपात कहा जाता है।
वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर)
- वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह 18% है।
- बैंकों को अपने शुद्ध समय और मांग जमा देयताएं (एनडीटीएल) का एक निश्चित प्रतिशत नकद, सोना या स्वीकृत सरकारी प्रतिभूतियों के रूप में अपने पास रखना होता है, जिसे वैधानिक तरलता अनुपात कहा जाता है।
2022-23 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान
आरबीआई ने 2022-23 के लिए आर्थिक विकास दर 7.2% से घटाकर 7.0% कर दिया है।
नोट: 100 आधार अंक (बीपीएस) 1% के बराबर होता है।
मौद्रिक नीति समिति क्या है?
- संशोधित आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 45ZB के तहत, केंद्र सरकार को मुद्रास्फीति लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक नीतिगत ब्याज दर निर्धारित करने के लिए छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का गठन करने का अधिकार है।
- इस तरह का पहला एमपीसी 29 सितंबर 2016 को गठित किया गया था।
- वर्तमान में, मौद्रिक नीति समिति के 6 सदस्य शक्तिकांत दास (आरबीआई के गवर्नर), डॉ माइकल देवव्रत पात्रा (आरबीआई के डिप्टी गवर्नर), डॉ मृदुल के सागर, प्रो जयंत आर वर्मा, डॉ. शशांक भिडे, डॉ. आशिमा गोयल,ये चारों अर्थशास्त्री हैं।
- आरबीआई अधिनियम के अनुसार, एमपीसी को एक वर्ष में कम से कम चार बार बैठक करना चाहिए।
- एमपीसी की अगली बैठक 5-7 दिसंबर 2022 और चालू वित्त वर्ष की अंतिम बैठक 6-8 फरवरी 2023 को होगी।
परीक्षा के लिए ं महत्वपूर्ण फुल फॉर्म :
सीआरआर/CRR : कैश रिज़र्व रेश्यो
एसएलआर/SLR : स्टेटच्युरी लिक्विडिटी रेश्यो
एमएसएफ/MSF : मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी
एसडीएफ/SDF : स्टैंडिंग डिपाजिट फैसिलिटी
एमपीसी/MPC : मोनेटरी पालिसी कमेटी
एनडीटीएल/NDTL:नेट टाइम और डिमांड डिपॉजिट लायबिलिटीज
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