शोधकर्ताओं ने विकसित किया 3डी प्रिंटेड कृत्रिम कॉर्निया
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हैदराबाद के शोधकर्ताओं की एक टीम ने देश में पहली बार एक कृत्रिम कॉर्निया को सफलतापूर्वक 3डी प्रिंट किया है और इसे खरगोश की आंख में प्रत्यारोपित किया है।
महत्वपूर्ण तथ्य
ये 3D प्रिंटेड कॉर्निया एलवी प्रसाद आई इंस्टीट्यूट (LVPEI), आईआईटी हैदराबाद (IITH) और सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) के वैज्ञानिकों ने मिलकर बनाया है।
इस कॉर्निया को इंसान की आंख के कॉर्नियल टिशू से बनाया गया है।
इस कॉर्निया को पूरी तरह से देश के वैज्ञानिकों ने स्वदेशी तकनीक से ही बनाया है।
इसमें कोई सिंथेटिक कंपोनेंट नहीं है और इसे मरीजों को भी लगाया जा सकता है।
कैसे बनाया गया 3D कॉर्निया?
वैज्ञानिकों ने इंसानी आंख से डिसेल्युलराइज्ड कॉर्नियल टिशू और स्टेम सेल्स निकालकर बायोमिमीटिक हाइड्रोजेल बनाया।
वैज्ञानिकों ने कहा है कि ये 3D प्रिंटेड कॉर्निया इंसान की आंख के कॉर्नियल टिशू से तैयार किया गया है, इसलिए ये पूरी तरह से बायोकम्पेटिबल और नैचुरल है।
इससे कॉर्नियल स्कैरिंग (जिसमें कॉर्निया अपारदर्शी हो जाता है) और केराटोकोनस (जिसमें कॉर्निया पतला हो जाता है) जैसी बीमारियों का इलाज करने में मददगार साबित होगा।
कई बार चोट की वजह से आर्मी जवानों का कॉर्निया खराब हो जाता है, ऐसी स्थिति में 3D प्रिंटेड कॉर्निया से उन जवानों की रोशनी वापस लाया जा सकता है।
कॉर्निया क्या है?
कॉर्निया आंख का पारदर्शी हिस्सा है जो आंख के सामने के हिस्से को ढकता है।
यह पुतली (आंख का केंद्र), परितारिका (आंख का रंगीन भाग), और पूर्वकाल कक्ष (आंख के अंदर द्रव से भरा हुआ) को कवर करता है।
कॉर्निया का मुख्य कार्य प्रकाश को अपवर्तित करना या मोड़ना है।
आंख में प्रवेश करने वाले अधिकांश प्रकाश पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कॉर्निया जिम्मेदार होता है।
3डी प्रिंटिंग क्या है?
3D प्रिंटिंग लेयरिंग विधि के माध्यम से त्रि-आयामी ऑब्जेक्ट बनाने के लिए कंप्यूटर एडेड डिज़ाइन (CAD) का उपयोग करती है।
सॉफ्टवेयर की मदद से प्रिंट किए जाने वाले मॉडल को पहले कंप्यूटर द्वारा विकसित किया जाता है, जो फिर 3डी प्रिंटर को निर्देश देता है।
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