उच्चतम न्यायालय ने देवास मल्टीमीडिया को बंद करने के आदेश को बरकरार रखा

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17 जनवरी 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने बेंगलुरु स्थित देवास मल्टीमीडिया को बंद करने के नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के मई 2011 के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा, "यह एक विशाल परिमाण की धोखाधड़ी का मामला है जिसे छिपाया नहीं जा सकता है"।

  • सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की बेंगलुरु बेंच के फैसले को बरकरार रखा, जिसने मई 2011 में देवास को बंद करने का आदेश दिया था और जिसमें कहा गया था कि फर्म को धोखाधड़ी के मकसद से बनाया गयाा था ताकि  एंट्रिक्स के तत्कालीन अधिकारियों के साथ सांठ गांठ कर  बैंडविड्थ प्राप्त  किये जा सके। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की बेंगलुरु बेंच  ने एक अस्थायी परिसमापक भी नियुक्त किया था, जो कंपनी के बंद होने के बाद उसकी परिसमापन प्रक्रिया की देख रेख कर सके ।
  • एनसीएलटी के इस आदेश को राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण ने सितंबर 2021 में भी बरकरार रखा था। 

क्या है देवास मल्टीमीडिया केस

2005 में देवास मल्टीमीडिया कंपनी ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एंट्रिक्स कॉरपोरेशन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत, इसरो को देवास मल्टीमीडिया को 167 करोड़ रुपये में 12 साल के लिए दो एस-बैंड उपग्रह स्पेक्ट्रम पट्टे पर देने थे। स्टार्ट-अप देवास मल्टीमीडिया को  इसरो उपग्रहों पर स्पेस बैंड या एस-बैंड ट्रांसपोंडर का उपयोग करके भारत में मोबाइल प्लेटफॉर्म को मल्टीमीडिया सेवाएं प्रदान करना था।

  • 2011 में यूपीए सरकार ने इस सौदे को रद्द कर दिया क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा और अन्य सामाजिक जरूरतों के लिए एस-बैंड स्पेक्ट्रम की आवश्यकता थी
  • सौदा रद्द होने के बाद, देवास में विदेशी निवेशकों, जिसमें ड्यूश टेलीकॉम, मॉरीशस के तीन निवेशक और खुद देवास शामिल थे, ने मुआवजे की मांग के लिए अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरणों से संपर्क किया था।
  • ड्यूश टेलीकॉम को जिनेवा  में स्थित , स्थायी मध्यस्थता न्यायालय द्वारा $101 मिलियन  का मुआवजे मिला ; अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानून न्यायाधिकरण द्वारा मॉरीशस के निवेशकों को $111 मिलियन का मुआवजा मिला; और देवास को इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा 1.2 बिलियन डॉलर का मुआवजा  मिला।
  • तब से देवास मल्टीमीडिया और अन्य शेयरधारकों ने बकाया वसूलने के लिए भारत सरकार की चिन्हित संपत्तियों को जब्त करने के लिए अमेरिका और कनाडा में मामले दर्ज किए हैं।

देवास मल्टीमीडिया
 

  • देवास मल्टीमीडिया एक बैंगलोर स्थित स्टार्ट-अप है, जिसकी स्थापना 2004 में हुई थी, जिसके प्रमुख डॉ. एम.जी. चंद्रशेखर, इसरो के पूर्व वैज्ञानिक सचिव थे।
  •  2008 में, ड्यूश टेलीकॉम ने देवास में 17 प्रतिशत हिस्सेदारी लगभग 75 मिलियन डॉलर में खरीदी।
  • यह कंपनी  मोबाइल सहित विभिन्न प्लेटफॉर्म पर पूरे भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाएं देना चाहता था ।

एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन

  • यह 1992 में कंपनी अधिनियम 1956 के तहत स्थापित किया गया था और इसका मुख्यालय बेंगलुरु में है।
  • यह अंतरिक्ष विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में भारत सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है।
  • इसका मुख्य कार्य इसरो द्वारा विकसित उत्पादों और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना और व्यावसायिक रूप से विपणन करना है।
  • यह एक मिनीरत्न श्रेणी 1, की केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है।

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